इस दुनिया के सभी धर्मों में ईश्वर सर्वोपरि होता है। सभी धर्मों में अलग-अलग देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है और अपने देवता/ईश्वर के प्रति लोगों में अपार श्रद्धा भी होती है। ऐसे ही एक देव-स्थान के बारे में हम आज बात करेंगे, जिनके प्रति लोगों की अपार श्रद्धा को देख आप चौंक जाएंगे।
शनि शिंगणापुर:
आज हम बात कर रहे हैं, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित हिन्दू देवता भगवान् शनिदेव के मंदिर शनि शिंगणापुर की। यह स्थान अपने मंदिर से अधिक वहां के लोगों द्वारा भगवान् शनि के प्रति दिखाए जा रहे श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के लोगों का मत है कि शनिदेव की कृपा हमेशा इस गाँव पर बनी रहती है और वह हमेशा यहाँ विद्यमान रहते हैं इसलिए वे लोग अपने घरों-दुकानों में ना तो दरवाजे लगवाते हैं और ना ही ताले।
शनि शिंगणापुर का इतिहास:
शनि शिंगणापुर का अभी तक कोई लिखित इतिहास तो नहीं मिला है परन्तु ऐसा माना जाता है कि जब कलयुग की शुरुआत हुई थी उसी समय भगवान शनि स्वयं इस स्थान पर जमीन से निकले थे। करीब 5 फुट लम्बाई की एक पत्थर की मूर्ति जमीन के ऊपरी सतह पर विद्यमान है। शनिदेव के इस मंदिर की गाथा लोगों तक पीढ़ी दर पीढ़ी चलती गई।
शनिदेव और गड़ेरिये:
ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र में रहने वाले गड़ेरियों के एक झुण्ड ने एक बार गलती से भगवान् शनिदेव के शिलापट्ट पर लोहे से वार कर दिया था जिसके बाद शिलापट्ट से खून के धार बहने लगे। सभी गड़ेरिये डर गए और वहां से वापस चले गए। उस दिन रात में उनके सपने में भगवान शनिदेव ने दर्शन दिया और उनसे बताया कि वह शिलापट्ट उनकी ही है और उन्होंने वहां पर स्वयं जन्म लिया है। शनिदेव ने उनसे कहा कि किसी को भी डरने की आवश्यकता नहीं है।
गड़ेरियों ने उनसे कहा कि यदि ऐसी बात है तो हम आपके लिए एक मंदिर का निर्माण करवा देंगे परन्तु भगवान शनिदेव ने ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि यह पूरा आकाश ही उनके लिए छत है उन्हें किसी दुसरे छत की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि आप लोग रोज मेरी पूजा-अर्चना और तेलाभिषेक करना। उन्होंने लोगों से यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को आज के बाद से अपने घरों में दरवाजे और ताले लगाने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि मैं हमेशा यहाँ विद्यमान रहूँगा और आप लोगों की मदद और सुरक्षा करता रहूँगा।
शनि शिंगणापुर में मेले का आयोजन:
शनि शिंगणापुर में प्रत्येक अमावस्या के दिन एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमे लाखों लोग शनिदेव के दर्शन को पहुँचते हैं जबकि सामान्य दिनों में यहाँ करीब 30 से 40 हजार श्रद्धालुओं की भीड़ इकठ्ठा होती है। लोगों के लिए शनिवार के दिन भगवान् का दर्शन करना ज्यादा शुभ माना जाता है। लोग फूल-मालाओं, जल और तेल से भगवान् की पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि शनिवार के दिन सरसों तेल दान करने से पुण्य मिलता है। वर्ष 1997 में गायक, फिल्म प्रोड्यूसर गुलशन कुमार ने शनि शिंगणापुर पर आधारित एक फिल्म ‘सूर्यपुत्र शनिदेव’ का निर्माण किया था जिसके बाद इस देव-स्थान की चर्चा पुरे देश में फ़ैल गई थी।
महिलाओं के लिए प्रतिबन्ध:
इस देव-स्थान पर सैकड़ों वर्षों से महिलाओं के लिए प्रतिबन्ध लगा था कि वे भगवान के दर्शन के लिए नहीं जा सकती हैं लेकिन 26 जनवरी 2016 को सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई के दिशानिर्देशन में करीब 500 से अधिक महिलाओं ने मंदिर में घुसने का प्रयास किया था जिसे पुलिस बल द्वारा रोक दिया गया। हालाँकि बाद में 8 अप्रैल 2016 को मुंबई हाईकोर्ट के दिशानिर्देश पर शनि शिंगणापुर ट्रस्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दे दिया था।