जब आप फिल्म M.S. Dhoni: An Untold Story देखते हैं तो एक सीन में महेन्द्र सिंह धोनी के दोस्त परम भैया पंजाब में धोनी के स्पॉन्सरशिप के लिए किसी से बात करते हैं तो वह आदमी परेशान होकर थोड़ा तल्ख लहजे में परम भैया से बोलता है,
आदमी – धोनी कोई सचिन तेंदुलकर थोड़ी है!
परम भैया – नहीं पाजी, धोनी धोनी है! एक बार उस लड़के को मौका मिल गया ना तो बहुत आगे तक जाएगा।
और सच में वहीं धोनी उर्फ माही जो उस समय केवल रांची के छोटी सी गलियों तक फेमस था आज पूरी दुनिया उसके मैदान में उतरने का इंतजार करती है लेकिन शायद अब आप उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलते नहीं देख पाएंगे क्यूंकि जिसे आप 2004 से देखते आ रहे थे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अब अलविदा कह दिया है।
महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची में हुआ था। उनके पिता पान सिंह धोनी मूलतः उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी थे और बाद में रांची में बस गए थे। धोनी को बचपन से ही खेलकूद में रुचि थी लेकिन क्रिकेट नहीं फुटबॉल में। धोनी अपने स्पोर्ट्स टीचर के कहने पर क्रिकेट खेलना शुरू किए और धीरे धीरे क्रिकेट इनका पैशन बन गया।
धोनी वर्ष 2001 से 2003 तक खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर के पोस्ट पर भी कार्य किए। उनकी बायोपिक फिल्म M.S. Dhoni: An Untold Story के एक सीन में खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर वह निराश हताश बैठे होते है तब उनके सीनियर अधिकारी ए के गांगुली वहां आते हैं और उनसे पूछते हैं कि
ए के गांगुली – अरे धोनी यहां बैठे बैठे क्या सोच रहा था?
धोनी – सर, हम सोच रहे थे कि हम कर क्या रहे हैं, हम एक क्रिकेटर हैं लेकिन टीसी का काम कर रहे हैं खड़गपुर स्टेशन पर, ये बात नहीं कि हमें ये काम छोटा लगता है सर, लेकिन ये बात है कि यहां से आगे कैसे खेलेंगे हम?
ए के गांगुली – इसमें ज्यादा सोचने का क्या है? लाइफ में सब बॉल एक समान थोड़ी ना मिलेगा, मेरिट पर खेलना है और टिके रहना है “The Scoreboard will keep moving”.
अपने सीनियर अधिकारी से मिले प्रोत्साहन से वह अपने गेम पर ध्यान देने लगे और आखिर में हिम्मत कर अपनी टीसी की जॉब छोड़ क्रिकेट पर पूरी तरह ध्यान दिए और धीरे धीरे आगे बढ़े।
महेंद्र सिंह धोनी, बांग्लादेश के खिलाफ वर्ष 2004 में अपने पहले अंतरराष्ट्रीय ODI क्रिकेट मैच में डेब्यू किए जिसमे कि उनका परफॉर्मेंस बहुत अच्छा नहीं रहा बावजूद उसके पाकिस्तान के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज में उनका चयन हो गया। अपने पांचवे एकदिवसीय मैच में ही उन्होंने 123 बॉल पर 148 रन बनाकर किसी भी भारतीय विकेट कीपर द्वारा बनाया गया सबसे उच्चतम स्कोर बना दिया।
धोनी का टेस्ट मैच में डेब्यू वर्ष 2005 में हुआ और दिसंबर 2014 तक उन्होंने टेस्ट मैच खेला। 1 दिसंबर 2006 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ उनका Twenty20 डेब्यू मैच हुआ। वे कुल 90 टेस्ट मैच, 350 ODI और 98 Twenty20 मैच खेले। जिनमे टेस्ट मैच में 4876, ODI में 10773 और Twenty20 में 1617 रन बनाए।
धोनी ने भारतीय क्रिकेट इतिहास को बदलकर रख दिया। धोनी के कप्तानी के पहले भारतीय टीम बमुश्किल कोई सीरीज जीत पाती थी लेकिन महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना परचम पूरी दुनिया में लहराया। धोनी के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 2007 ICC Twenty20 World Cup, 2010 और 2016 में एशिया कप, 2011 में ICC Cricket World Cup और 2013 में ICC Champions Trophy पर अपना कब्जा जमाया।
वे पहले खिलाड़ी थे जिन्हें लगातार दो बार ICC ODI Player of the Year award वर्ष 2008 और 2009 में मिला। उन्हें वर्ष 2007 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 2009 में पदम् श्री और वर्ष 2018 में पदम् भूषण से सम्मानित किया गया। 2009, 2010 और 2013 में वह ICC World Test XI के कप्तान बनाए गए। वे 8 बार ICC World ODI XI के प्लेयर चुने गए और 5 बार इसके कप्तान बनाए गए। नवंबर 2011 में Territorial Army ने उन्हें Lieutenant Colonel बनाया। यह सम्मान पाने वाले कपिल देव के बाद वह दूसरे खिलाड़ी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के अलावा महेंद्र सिंह धोनी वर्ष 2008 से चेन्नई सुपकिंग्स के लिए खेल रहें हैं। धोनी का जर्सी न. 7 है। धोनी अपने हेलीकॉप्टर शॉट के लिए जाने जाते हैं। वह एक बेहद दमदार फिनिशर की भूमिका में खेलते थे और जब तक वह मैदान में रहते मैच जीतने की संभावना अधिकतम रहती थी।
बार बार महेंद्र सिंह धोनी जैसा महान खिलाड़ी जन्म नहीं लेता है। वह अपने खेल के साथ साथ क्रिकेट मैदान में अपने शांत स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे उनके उसी स्वभाव के कारण उन्हें कैप्टन कूल भी कहा जाता है। इस महान खिलाड़ी के बारे में जितना भी लिखो कम है।