कहा जाता है कि अगर किसी सपने को पाने का जुनून दिल में हो तो फिर उस सपने को अपना बनाने से कोई रोक नहीं सकता फिर चाहे परिस्थिति जैसी भी हो। ऐसी ही कुछ कहानी है बिहार के बालबांका तिवारी जी की।
हाल ही में हुए 325 नए आर्मी ऑफिसर्स के पासिंग आउट परेड में शामिल हुए बालबांका तिवारी सभी के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए थे। बालबांका ने बताया कि उनका सम्बन्ध बिहार के भोजपुर जिले से है। उनके पिता एक किसान हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद ही उन्हें परिवार के जरूरतों को पूरा करने के लिए नौकरी की तलाश में घर छोड़ना पड़ा।
उन्होंने बताया कि नौकरी की तलाश में सबसे पहले वह ओड़िशा के राउरकेला गए और उन्होंने वहां पर स्टील फैक्ट्री में काम करना शुरू किया फिर कुछ दिनों बाद उन्होंने स्नैक्स बनाने वाली कंपनी में 50 रूपये प्रतिदिन की मजदूरी पर काम किया। राउरकेला में काम करते समय ही उन्होंने अपना इंटरमीडिएट पूरा कर लिया।
इंटरमीडिएट के बाद बालबांका तिवारी को उनके चाचा से बिहार में आयोजित हो रहे एक आर्मी भर्ती रैली के बारे में पता चला। चूंकि बालबांका में बचपन से ही आर्मी ज्वाइन करने जज्बा था इसलिए अपने चाचा के कहने पर उन्होंने रैली में भाग लिया और अपने दूसरे प्रयास में वह आर्मी में सिपाही के पद पर चयनित हो गए।
आर्मी में जाने के बाद उन्हें आर्मी कैडेट कॉलेज के बारे में पता चला कि इसके माध्यम से सिपाही के पद से प्रमोट होकर बड़ा अधिकारी बना जा सकता है। फिर उन्होंने इसके लिए जी तोड़ मेहनत किया और टेस्ट दिया। टेस्ट पास होने के बाद जनवरी 2017 में उन्होंने आर्मी कैडेट कॉलेज ज्वाइन कर लिया और फिर अपने मेहनत के बल पर अब सेना में अधिकारी बन गए हैं।
बालबांका तिवारी की कहानी सभी को कुछ बड़ा करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
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