भारत का पड़ोसी देश चीन अपनी टेक्नोलॉजी, अपनी जनसंख्या और अपने देश के सीमा विस्तार नीति के साथ साथ आम लोगों के अधिकारों के हनन के लिए भी जाता है। चीन वर्षों से उइगर मुसलमानों पर अत्याचार के लिए विश्व विख्यात है। चीन में यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा चीनी कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ आवाज उठाई जाती है तो उसकी आवाज दबा दी जाती है।
हाल ही में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें चीन के एक बड़े बिजनेस टायकून रेन जिकियांग द्वारा आलोचना स्वरूप शी जिनपिंग को जोकर कहा गया था। उनका जोकर कहना शी जिनपिंग सरकार को बिल्कुल भी रास ना आया और सरकार द्वारा रेन पर तरह तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए।
दरअसल चीन में कोरोना वायरस के फैलने से बिगड़ी स्थिति और उसके सही ढंग से समाधान ना मिलने पर रेन जीकियांग ने एक आर्टिकल लिखकर उसमे सरकार और उनकी नीतियों की आलोचना की थी। उन्होने अपने आर्टिकल में सीधे तौर पर चीनी राष्ट्रपति के नाम का इस्तेमाल नहीं किया था फिर भी उन पर कार्यवाही कर दी गई।
रेन जिकीयांग के इसी आर्टिकल को आधार बनाकर कोर्ट द्वारा उन्हें 18 वर्ष के लिए जेल भेज दिया गया और 4.2 मिलियन युआन का जुर्माना भी लगाया गया है जो लगभग 4.5 करोड़ भारतीय रुपए के बराबर होगा। कोर्ट ने कहा कि रेन ने अपने बचाव में कुछ भी नहीं कहा है और वे उनपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप को भी स्वीकार स्वीकार कर लिए थे।
वर्ष 2016 में भी रेन द्वारा सरकारी नीतियों का विरोध किए जाने पर उन्हें लगभग एक साल के लिए प्रोबेशन पर रखा गया था और उनके सोशल मीडिया अकाउंट को डिलीट कर दिया गया जिसपर लगभग उनके 1 मिलियन फॉलोअर्स थे।
रेन को इस तरह सजा दिए जाने की भी आलोचना की जा रही है। चीन में विपक्षियों का मत है कि कम्युनिस्ट पार्टी लोगों की आवाज दबाने के लिए इस तरह भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है।
गौरतलब हो कि शी जिनपिंग वर्ष 2013 से ही असीमित कार्यकाल के लिए चीन के राष्ट्रपति हैं।