जब कभी हम भारतीयों के बीच किसी खूबसूरत शहर की बात होती है तो ज्यादातर भारतीय लोगों को किसी ना किसी विदेशी शहर या देश का नाम याद आ जाता है लेकिन वे इस बात से बिलकुल अनजान रहते हैं कि उनके अपने देश भारत में भी ऐसे बहुत से खूबसूरत शहर हैं जिनको एक बार देख लेने के बाद उन्हें अपने आँखों पर यकीं करना मुश्किल होगा कि वे भारत में ही हैं और साथ ही साथ उनके इस भ्रम से भी पर्दा उठ जाएगा कि खूबसूरत शहर हमेशा विदेशों में ही देखने को मिलते हैं। जी हाँ, आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान राज्य के सबसे खूबसूरत और भारत के स्वर्णिम इतिहास को खुद में समेटे उदयपुर शहर के बारे में।
उदयपुर:
यह शहर राजस्थान राज्य के दक्षिणी भाग में गुजरात राज्य की सीमा के नजदीक स्थित है। अरावली की पहाड़ियां इसे थार रेगिस्तान से अलग करती हैं। भारतीय राजधानी दिल्ली से इसकी दूरी करीब 660 किलोमीटर जबकि भारतीय औद्योगिक राजधानी मुंबई से यह करीब 800 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उदयपुर, राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर से दक्षिण दिशा में करीब 400 किलोमीटर दूर तथा गुजरात की औद्योगिक राजधानी अहमदाबाद से उत्तर दिशा में करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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इस शहर की स्थापना मेवाड़ के महाराणा (King of Mewar) उदय सिंह द्वितीय के द्वारा वर्ष 1559 में किया गया था। इस शहर की स्थापना के साथ ही साथ उन्होंने इसे मेवाड़ की राजधानी भी बना दिया था क्यूंकि मेवाड़ की पहली राजधानी चित्तौरगढ़ में विदेशी आक्रमण का खतरा अत्यधिक रहता था। अंग्रेजों के अधीन होने के पूर्व वर्ष 1818 तक यह मेवाड़ की राजधानी के रूप में रहा था। वर्ष 1947 में देश आजाद होने के उपरांत यह राजस्थान राज्य के अधीन शामिल हो गया।
झीलों का शहर:
उदयपुर को ‘झीलों के शहर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका यह नाम पड़ने के पीछे यहाँ मौजूद झीलों की संख्या हैं। दरअसल यह शहर झीलों से पटा पड़ा है। यहाँ कुल 7 झीलें हैं जिनमे पिछोला झील, फ़तेह सागर झील, स्वरुप सागर झील, रणसागर झील और दूध तलाई झील प्रमुख हैं।
पर्यटन के आधार पर यह शहर अत्यंत उपयुक्त शहर है। इस शहर में स्थित सभी झील अत्यंत शोभनीय हैं तथा पर्यटकों को भी अपने तरफ लुभातीं हैं। इन झीलों के अलावा भी इस शहर में बहुत से ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जिन्हे देखने के बाद आपको यकीं करना मुश्किल होगा कि आप अपने ही देश में हैं। उदयपुर के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्न हैं।
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6 किलोमीटर लम्बी दीवार:
वर्ष 1567 ई. में मुग़ल शासक अकबर ने चित्तौरगढ़ पर आक्रमण कर कब्ज़ा कर लिया था। अतः उदयपुर को अकबर की सेना से बचाने के लिए राणा उदय सिंह द्वितीय ने 6 किलोमीटर लम्बी दीवार का निर्माण उदयपुर के चारो तरफ करवा दिया था। इस दीवार में 7 दरवाजे लगवाए गए जिन्हे हाथीपोल, उदयपोल, चांदपोल, सूरजपोल, अम्बापोल, ब्रह्मपोल इत्यादि नामों से जाना जाता है। वर्तमान समय में यह क्षेत्र पुराने उदयपुर के अंतर्गत आता है।
जग निवास (Lake Palace):
यह मेवाड़ के शासकों का निवास स्थान था। इसका निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय के द्वारा वर्ष 1743 ई. करवाया गया था। यह पिछोला झील में स्थित एक द्वीप पर बना है। करीब 16000 वर्ग मीटर में फैले इस खूबसूरत महल का निर्माण सफ़ेद संगमरमर से करवाया गया है। वर्तमान समय में इसे ताज होटल ग्रुप के अंतर्गत एक 5 स्टार होटल के रूप में संचालित किया जा रहा है।
जग मंदिर (Jag Mandir):
इसका निर्माण भी पिछोला झील पर स्थित एक द्वीप पर हुआ। इसका निर्माण कार्य वर्ष 1551 में शुरू हुआ था और करीब 100 वर्षों के उपरांत वर्ष 1652 में पूरा हुआ था। इसके निर्माण में मेवाड़ के तीन महाराणाओं की भूमिका रही है। यह मेवाड़ के महाराणाओं के लिए गर्मी के मौसम में भोग-विलास का प्रमुख स्थान था।
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मानसून पैलेस (Monsoon Palace):
इसे सज्जनगढ़ महल के नाम से भी जाना जाता है क्यूंकि इसका निर्माण महाराणा सज्जन सिंह के द्वारा वर्ष 1884 में करवाया गया था। इस महल का निर्माण मौसमी घटनाओं के बारे में पता लगाने के लिए किया गया था परन्तु महाराजा सज्जन सिंह के असामयिक मृत्यु के कारण यह सफल नहीं हो सका। वर्तमान समय में यह वन विभाग के अंतर्गत है तथा इसे आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया है। यहाँ से डूबते सूरज को देखना अपने आप में एक अलग रोमांच पैदा करता है।
सिटी पैलेस (City Palace):
यह पैलेस पिछोला झील के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसके निर्माण में करीब 400 साल का समय लगा और मेवाड़ के कई शासकों ने इसमें अपना-अपना सहयोग दिया। सबसे पहले महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने इसका कार्य वर्ष 1559 ई. शुरु करवाया था।
जगदीश मंदिर (Jagdish Temple):
यह मंदिर उदयपुर शहर के बीचोबीच स्थित है। यह मंदिर वर्ष 1651 में बना था। इसका निर्माण महाराणा जगत सिंह ने करवाया था। इस मंदिर को पहले जगन्नाथ राय के नाम से भी जाना जाता था। यह मंदिर विशेषतः भगवान् जगन्नाथ के लिए समर्पित है।
सहेलियों की बारी (Saheliyon ki Bari):
यह एक बगीचा है जिसका निर्माण वर्ष 1710-1734 के बीच महाराणा संग्राम सिंह ने करवाया था। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी महारानी के लिए खुद इसे डिज़ाइन किया था। महारानी अपने सभी 48 सहायिकाओं के साथ इस बगीचे में जाया करती थीं। वर्तमान समय में यहाँ पर एक म्यूजियम भी हैं जिसमे भारतीय इतिहास के बारे में बहुत रोचक जानकारियां मिलती हैं।
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मोती मागरी (Moti Magri):
फ़तेह सागर झील के करीब ही मोती चोटी है जिसे कि पर्ल हिल के नाम से भी जाना जाता है है। इस चोटी पर महाराणा प्रताप सिंह के सम्मान में उनकी कांस्य प्रतिमा को स्थापित किया गया है। उदयपुर शहर में यह एक बड़ा पर्यटन स्थल है जहाँ भारी मात्रा में पर्यटक पहुंचते हैं।
प्रताप गौरव केंद्र:
Pratap Gaurav Kendra
Photo Credit: Wikipedia.
महाराणा प्रताप सिंह के सम्मान में इसे स्थापित किया गया है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य आधुनिक तकनीकी के माध्यम से महाराणा प्रताप सिंह और उनके उपलब्धियों को लोगों तक पहुँचाना है। इस केंद्र को उदयपुर के टाइगर हिल पर स्थापित किया गया है जो कि उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
उदयपुर पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहाँ पर हर साल लाखों सैलानी पहुँचते हैं और इस खूबसूरत शहर का दीदार करते हैं, इससे प्यार करते हैं और हमेशा-हमेशा के लिए इसे अपने दिल में बसा कर यहाँ से विदा होते हैं। इसके प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अंग्रेज एडमिनिस्ट्रेटर जेम्स टॉड ने इसे ‘भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे रोमांटिक जगह’ कहा था। वर्ष 2015 में यहाँ स्थित ‘ओबेरॉय उदयविलास होटल’ को दुनिया के सबसे लक्ज़री होटल का सम्मान मिला था।
इसके अलावा यहाँ पूरी दुनिया से अलग-अलग फ़िल्मकार पहुँचते हैं और अपनी फिल्मो को शूट करते हैं। यहाँ पर हॉलीवुड की सबसे चर्चित फिल्मों सीरीज जेम्स बांड की एक फिल्म ऑक्टोपुस्सी की शूटिंग यहीं पर वर्ष 1983 में की गई थी। बॉलीवुड की अनगिनत फिल्मों की शूटिंग भी उदयपुर में की जा चुकी है।
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