बोलीविया एक दक्षिण अमेरिकी देश है। यह एक छोटा देश है और वर्तमान समय में इसकी जनसँख्या लगभग 1.15 करोड़ के आस-पास है। इस देश में लगभग 1.29% जल प्रतिशत है जबकि भारत का जल प्रतिशत 9.6% है। वर्ष 1999-2000 के बीच यहाँ एक बहुत बड़ा जल युद्ध हुआ जिसे कि सामान्यतः Bolivian Water War भी कहा जाता है।
दरअसल दो मल्टीनेशनल कंपनी औगस डेल तुनारी और बेच्टेल को बोलिवियन सरकार द्वारा बोलीविया के चौथे सबसे बड़े शहर कोचाबाम्बा में वाटर पाइपलाइन के कंस्ट्रक्शन और जल वितरण का अधिकार दिया गया। इन कंपनियों को अधिकार मिलने के बाद कोचाबाम्बा में जल के रेट अत्यधिक मात्रा में बढ़ गये। वाटर कनेक्शन अमीर और मध्यम वर्ग के लोगों तक ही सीमित थे जबकि गरीब तबका ट्रक और वाटर टैंक पर अपने जरूरतों के लिए निर्भर रहता था और बाकी लोगों से अधिक रेट पर उसे जल मिल पाता था जो कि सामान्यतः गन्दा पानी होता था। जल के बढ़े रेट के कारण वहां भारी अफरा-तफरी का माहौल खड़ा हो गया था। लोगों में सरकार और जल वितरण करने वाली कंपनियों के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया था।
कोचाबाम्बा में जब लोगों के सब्र का बाँध टूटा तो लोग सड़कों पर उतर आए। बड़े व्यापक तौर पर इन दोनों कंपनियों और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस विरोध प्रदर्शन के खिलाफ हुए सरकारी गोलीबारी में एक 17 वर्षीय युवक की मौत हो गई और सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया। सरकार द्वारा गोली मारने वाले सैनिक को पदोन्नति देकर मेजर बना दिया गया।
सरकार और विदेशी संस्थाओं द्वारा इस विद्रोह को दबाने का भरपूर प्रयास किया गया लेकिन लोगों ने हार ना मानी। अंततः लोगों को सफलता मिली और सरकार को इन कंपनियों के साथ किये गये अग्रीमेंट को समाप्त करना पड़ा। एक रिपोर्ट के अनुसार जल के रेट में हुए बढ़ोतरी के कारण वहां गरीबी में 2% तक की वृद्धि हो गई थी।