पंजाब का एक ऐसा शहर अमृतसर जो पंजाब की संस्कृति, देश के इतिहास और गौरव सभी को एक साथ सँजो कर आगे बढ़ रहा है और दिनों-दिन खूब प्रगति कर रहा है। अमृतसर का अर्थ होता है अमृत का तालाब अर्थात एक ऐसा तालाब अथवा सरोवर जो अमृत से भरा हुआ हो। यह शहर अपने अर्थ को चरितार्थ भी करता है। अमृतसर शहर की रुमानियत ऐसी है कि यहाँ हर कोई एक बार जाना जरूर चाहता है।
अमृतसर के अन्य नाम:
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अमृतसर पंजाब राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसे रामदासपुर नाम से भी जाना जाता है तथा इसके साथ-साथ आम बोलचाल की भाषा में इसे अम्बरसर भी कहा जाता है। दरअसल शहर के बीचों-बीच स्थित अमृत सरोवर के कारण इसे अमृतसर कहा गया तथा इसकी स्थापना सिख गुरु राम दास के द्वारा की गई थी इसलिए इसे रामदासपुर भी कहा गया।
अमृतसर की स्थापना:
इस शहर की स्थापना सिख गुरु राम दास के द्वारा की गई थी। इस शहर के स्थापना के सम्बन्ध में कई मत विद्यमान हैं। एक मत के अनुसार जिस जमीन पर इस शहर को बसाया गया है उसे चंदा द्वारा इकठ्ठा किये गए 700 रूपये में ख़रीदा गया था। दूसरे मत के अनुसार इस जगह का चुनाव सिख गुरु अमर दास ने किया था और उन्होंने गुरु राम दास को एक ऐसे शहर के निर्माण के लिए आदेश दिया था जिसके बीचों-बीच एक सरोवर विद्यमान हो।
गोल्डन टेम्पल का निर्माण:
इस शहर की स्थापना के साथ-साथ गोल्डन टेम्पल का भी निर्माण शुरु हो गया था। गुरु राम दास के उपरांत इस टेम्पल का विकास कार्य उनके पुत्र गुरु अर्जन के द्वारा पूरा करवाया गया। उनके द्वारा ही गोल्डन टेम्पल में ‘गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब’ की स्थापना की गई तथा वर्ष 1604 ई. में गोल्डन टेम्पल में सिख धर्म ग्रन्थ को स्थापित किया गया।
वर्ष 1919 का जलियांवाला बाग़ हत्याकांड:
Jalliawala Bagh (Photo Credit: Wikipedia)
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड में बलिदान हुए शहीदों ने इस शहर को और प्रसिद्धि प्रदान कर दी। 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेज जनरल डायर द्वारा शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रही भीड़ पर गोली चलवाने का आदेश देना और लोगों का अपने देश के लिए खुद की आहूति देना इस शहर को पुरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया। यह शहर आज भी इस बात का गवाह है कि भारत देश के लोगों ने अपनी आजादी के लिए कितनी कीमतें चुकाई हैं।
वर्ष 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार:
ऑपरेशन ब्लू स्टार आजाद भारत की एक ऐसी घटना है जिसने अमृतसर शहर को स्तब्ध करके रख दिया था। वर्ष 1984 में 1 जून से 6 जून तक चले इस ऑपरेशन में अनुमानतः 5000 से अधिक लोगों की जान गई थी जिनमे औरते और बच्चे भी शामिल थे। यह ऑपरेशन सिख मिलिटेंट्स के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा चलाया गया था जिसका आदेश तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के द्वारा दिया गया था।
वाघा-अटारी बॉर्डर:
अमृतसर शहर से मात्र 28 किलोमीटर की दूरी पर भारत और पाकिस्तान के बीच वाघा बॉर्डर स्थित है। वाघा-अटारी बॉर्डर भारतीय शहर अमृतसर और पाकिस्तानी शहर लाहौर के बीच सीमा बनाता है। यहाँ दोनों देशों की सेनाओं के द्वारा प्रत्येक दिन ‘बीटिंग रिट्रीट’ का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन वर्ष 1959 से लगातार किया जा रहा है।
अमृतसरी छोला-कुल्चा:
अमृतसर का छोला-कुल्चा इतना अधिक प्रसिद्ध है कि पुरे दुनिया में जब भी छोला-कुल्चा का जिक्र होता है तो अमृतसरी छोले-कुल्चे की बात ना हो ऐसा हो नहीं सकता। अमृतसर में लोग पर्यटन के साथ-साथ छोले-कुल्चे का आनंद उठाने भी पहुँचते हैं।
अमृतसर में पर्यटन:
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अपनी विविधताओं के कारण पर्यटन की दृष्टि से अमृतसर शहर बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। एक अनुमान के मुताबिक अमृतसर में प्रत्येक दिन 1 लाख से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक पहुँचते हैं। इनमे से 70 से 80 हजार पर्यटक प्रत्येक दिन गोल्डन टेम्पल घूमने जाते हैं।
अपनी तमाम विविधताओं के कारण अमृतसर शहर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे प्रसिद्ध शहरों में शुमार है और नित्यदिन अपनी प्रसिद्धि में बढ़ोतरी किये जा रहा है।