पूरी दुनिया में अपनी विशेषता और बनावट के लिए मशहूर हावड़ा ब्रिज पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में स्थित है। जब कभी-भी कोलकाता शहर के विशेषताओं की बात होती है तो हावड़ा ब्रिज इसमें पहले स्थान पर होता है। इसकी विशेषता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि दुनिया का कोई भी व्यक्ति कभी कोलकाता शहर घूमने गया और उसने हावड़ा ब्रिज नहीं देखा तो समझों उसकी यह यात्रा अधूरी रह गई है। अब इतना पढ़ने के बाद आप भी हावड़ा ब्रिज के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक होंगे तो चलिए हावड़ा ब्रिज के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जानने का प्रयास करते हैं।
हावड़ा ब्रिज: एक कैंटीलीवर ब्रिज।
हावड़ा ब्रिज एक कैंटीलीवर ब्रिज है अर्थात यह विज्ञान एक ऐसा का अनोखा नमूना है जिसके बारे में यदि आप जानेगें तो सम्भवतः आपकी आँखें खुली रह जाएँ। दरअसल यह एक ऐसा ब्रिज है जिसके बीच में एक भी पिलर नहीं है मतलब यह पूरी तरह से अपने किनारों पर निर्भर है जिसे विज्ञान में कैंटीलीवर सस्पेंशन कहा जाता है।
हावड़ा ब्रिज: कोलकाता शहर की जीवन रेखा।
यह बात अंग्रेजों के जमाने की है, जब कोलकाता शहर में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी तब इस ब्रिज की आवश्यकता आन पड़ी। यह ब्रिज कोलकाता और हावड़ा को आपस में जोड़ता है। हालाँकि कि इन दोनों शहरों को जोड़ने वाला यह पहला ब्रिज नहीं है। वर्तमान समय में हावड़ा और कोलकता के बीच 2 अन्य ब्रिज भी हैं।
80 साल का ब्रिज।
हावड़ा ब्रिज की उम्र लगभग 80 साल की हो चुकी है। इस ब्रिज का निर्माण वर्ष 1936 में शुरू हुआ और वर्ष 1942 में पूरा हुआ। इस ब्रिज का का उद्घाटन 3 फ़रवरी 1943 को किया गया था हालाँकि दुनिया में चल रहे दूसरे विश्व युद्ध के कारण इसका कोई औपचारिक उद्घाटन नहीं किया गया था।
पंटून ब्रिज के स्थान पर हावड़ा ब्रिज।
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हावड़ा ब्रिज का निर्माण जिस स्थान पर किया गया वहां पहले पंटून ब्रिज नाम का एक दूसरा ब्रिज था जिसके हटाकर इस नए ब्रिज का निर्माण किया गया। दरअसल पंटून ब्रिज की क्षमता इतनी अधिक नहीं थी कि वह शहर में बढ़ते भीड़ का बोझ उठा सके।
रोज 7 लोगों लाख से अधिक का बोझ।
यह सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा परंतु यह कटु सत्य है कि हावड़ा ब्रिज पर प्रतिदिन लगभग 7 लाख से अधिक लोग एक तरफ से दूसरी तरफ पार होते हैं। दरअसल हावड़ा ब्रिज पर 4 लाख से अधिक पैदल यात्री तथा 3 लाख से अधिक गाड़ियां एक दिन में हावड़ा ब्रिज से होकर गुजरते हैं। अब एक गाड़ी में केवल एक व्यक्ति को मानकर चले तो गाड़ी और पैदल यात्री दोनो मिलाकर 7 लाख से अधिक हो जायेंगे।
हावड़ा ब्रिज के डिजाइनर।
विश्व प्रसिद्ध हावड़ा ब्रिज को मेसर्स रेंडेल, पाल्मर & ट्रिटन के मिस्टर वाल्टन के द्वारा डिजाइन किया गया था।
हावड़ा ब्रिज: रविन्द्र सेतु।
14 जून 1965 को हावड़ा ब्रिज का नाम बदलकर विश्व प्रसिद्ध और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि रविन्द्र नाथ टैगोर के नाम पर रविन्द्र सेतु रख दिया गया था।