कहा जाता है कि दुनिया में डॉक्टर ईश्वर के दुसरे रूप होते हैं जो हमे गंभीर से गंभीर बिमारियों में ईलाज कर नया जीवन प्रदान करते हैं लेकिन यदि सरकारी अस्पतालों के ईलाज को छोड़ दिया जाय तो प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज करवाकर नया जीवन पाना आसान नही होता क्यूंकि प्राइवेट अस्पताल या क्लिनिक के डाक्टरों की फीस बहुत ही अधिक होती हैं जिन्हें हर एक व्यक्ति वहन नही कर सकता।
अपने देश में जहाँ एक तरफ एक अच्छे डॉक्टर की फीस 500 या 1000 रूपये तक होती है वहीं दूसरी तरफ यदि कोई अच्छा डॉक्टर मात्र 10 रूपये में अच्छे से अच्छा ईलाज करे तो उसे ईश्वर से कम नही कहा जा सकता। यह सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है क्यूंकि मौजूदा समय में एक झोलाछाप डॉक्टर भी अपने मरीजों से कम से कम 100 रूपये तो वसूल ही लेता है।
हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के कडप्पा शहर की डॉ. नूरी परवीन की जो अपने मरीजों से फीस के रूप में मात्र 10 रूपये ही लेती हैं। डॉ. नूरी परवीन को उनके क्षेत्र के लोग ‘10 रूपये वाली डॉक्टर साहिबा’ के नाम से भी बुलाते हैं। डॉ. नूरी ने बताया कि उनके क्लिनिक में ईलाज कराने वाले लोगों के लिए 200-300 रूपये इकठ्ठा करना बहुत मुश्किल काम होता है जिस कारण उन्हें अच्छा ईलाज नही मिल पाता है। लोगों की इसी स्थिति को देखते हुए उन्होंने फैसला किया कि गरीब लोगों से ईलाज के लिए वह मात्र 10 रूपये फीस लेंगी।
डॉ. नूरी परवीन बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थी। उन्होंने कडप्पा के ही फातिमा इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज से अपनी एम्.बी.बी.एस की पढाई पूरी की है। डॉ. नूरी ने कहा कि कॉलेज के समय से ही उन्होंने लोगों के हित में काम करना शुरू कर दिया था। डॉ. नूरी द्वारा इस मंहगाई के युग में स्वास्थ्य के क्षेत्र में दिए जा रहे इस योगदान को मानव सेवा के क्षेत्र में किये गये उत्तम से उत्तम कार्यों की श्रेणी में गिना जाएगा।