हम सभी कभी ना कभी ट्रेन में अवश्य सफ़र किये होंगे. हम में से बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जो बहुत सी ट्रेनों में सफ़र किये होंगे. जैसे कभी इस शहर से उस शहर तो कभी उस शहर से किसी और शहर. हर बार हमे अलग-अलग नंबर की ट्रेनों का टिकट लेना पड़ा होगा. सीधे शब्दों में कहें तो अलग-अलग रुट पर चलने वाली ट्रेनों के नंबर भी अलग-अलग होते हैं और जब हम रिजर्वेशन करवाने जाते हैं तो हमे ट्रेन नंबर के आधार पर ही टिकट मिलते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि मैं बार-बार ट्रेन नंबर की बात क्यूँ कर रहा हूँ तो आपको बताते चले कि आज का यह आर्टिकल भारत में ट्रेनों के नंबर के बारे में हैं कि आखिर भारत में ट्रेनों के नंबर किस आधार पर रखें जाते हैं और इन नंबर के पीछे कौन-कौन से राज छुपे होते हैं.
भारत में पहली बार 16 अप्रैल 1853 को अंग्रेजी शासन द्वारा ट्रेन का सञ्चालन शुरू किया गया था. उसके बाद निरन्तर इसमें सुधार होते गये और ट्रेन के विकास का सफ़र भारत में बढ़ता गया. धीरे-धीरे ट्रेनों को अलग-अलग ट्रेन नंबर के आधार पर विभाजित किया गया. पहले ट्रेनों के नंबर चार अंकों के होते थे लेकिन 20 दिसम्बर 2010 से ट्रेनों के नंबर में एक अंक बढाकर उसे पांच अंक का कर दिया गया.
ट्रेनों के नंबर को उनके रूट, उनके जोन और उनके सर्विसिंग स्टेशन के आधार पर रखा जाता है. भारतीय रेलवे 18 जोन में बंटा हुआ है और इन्ही जोन के अंतर्गत ट्रेनों का विभाजन किया गया है अर्थात यदि किसी ट्रेन का सञ्चालन चेन्नई रेलवे स्टेशन से हो रहा है तो वह ट्रेन दक्षिण रेलवे जोन की ट्रेन कही जायेगी. इसी प्रकार यदि किसी ट्रेन का सञ्चालन दिल्ली से हो रहा है तो उसे उत्तर रेलवे जोन का ट्रेन कहा जायेगा.
नंबर के आधार पर ट्रेनों का विभाजन:-
1- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 है तो वह ट्रेन कोई स्पेशल ट्रेन होगी. जैसे कि समर स्पेशल, फेस्टिवल स्पेशल, कोई एग्जाम स्पेशल या अन्य.
2- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 1 या 2 है तो इसका मतलब कि वह ट्रेन एक लम्बे रूट की ट्रेन है. अर्थात यह एक शहर से दुसरे शहर को जाती है.
3- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 0 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध कोंकण रेलवे से है.
4- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 1 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध सेंट्रल रेलवे, वेस्ट सेंट्रल रेलवे और नार्थ सेंट्रल रेलवे से है.
5- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 2 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध राजधानी एक्सप्रेस, दुरोंतो एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति और गतिमान एक्सप्रेस ट्रेनों से है.
6- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 3 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध ईस्टर्न रेलवे और ईस्ट सेंट्रल रेलवे से है.
7- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 4 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध नॉर्दन रेलवे, नार्थ सेंट्रल रेलवे और नार्थ वेस्टर्न रेलवे से है.
8- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 5 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध नार्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे और नार्थ ईस्टर्न रेलवे से है.
9- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 6 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध साउथर्न रेलवे और साउथ वेस्टर्न रेलवे से है.
10- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 7 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध साउथ सेंट्रल और साउथ वेस्टर्न रेलवे से है.
11- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 8 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध साउथ ईस्टर्न रेलवे, साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे और साउथ ईस्टकोस्ट रेलवे से है.
12- यदि किसी ट्रेन के नंबर का पहला अंक 0 या 1 है और उसका दूसरा अंक 9 है तो उस ट्रेन का सम्बन्ध वेस्टर्न रेलवे, वेस्ट सेंट्रल रेलवे और नार्थ वेस्टर्न रेलवे से है.
इसी प्रकार ट्रेन के 5 अंकों के नंबर के तीसरे, चौथे और पांचवे नंबर को भी उनके अन्य विभाजन के आधार पर ही रखा जाता है तो इस प्रकार ट्रेन नंबर के पीछे कुछ अहम् राज छुपे होते है जो उस ट्रेन की पूरी जन्मकुंडली बताते हैं.