प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों और तौर-तरीकों को ही माध्यम बनाकर अब उन्ही के सरकार के खिलाफ छात्रों को साथ लेकर विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रहीं हैं। कोरोना काल में लोगों में जागरूकता बढाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा लोगों से 22 मार्च की शाम 5 बजे 5 मिनट तक थाली और ताली बजाकर कोरोना को रोकने में लगे सभी डॉक्टर्स, सिपाहियों और अन्य सभी कर्मियों को धन्यवाद देने का आह्वान किया गया था फिर उसके बाद 5 अप्रैल को उन्होंने लोगों से रात 9 बजे 9 मिनट तक बल्ब बंद कर दीपक जलाने की अपील की थी।
क्या है पूरा मामला?
इस घटना के लगभग 6 महीने बीतने के उपरांत अब जब देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है तब सभी विद्यार्थी भी अपने-अपने एग्जाम करवाने को लेकर सरकार के विरुद्ध खड़े हो रहे हैं क्यूंकि कोरोना महामारी आने के बाद से अभी तक कोई भी एग्जाम नहीं हुए हैं और विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। एसएससी, बैंक, रेलवे सहित बहुत से राज्य स्तरीय परीक्षाएं अभी रुकीं हुई हैं जिनसे विद्यार्थियों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।
क्या है 9 बजे, 9 मिनट का विरोध-
अपनी नाराजगी जाहिर करने हेतु विद्यार्थी 5 सितम्बर को शाम 5 बजे सड़कों पर निकलकर थाली और ताली बजाकर अपना विरोध जाता चुके हैं। अब उनकी अगली योजना आज 9 सितम्बर रात 9 बजे सभी लाइट्स बंद कर दीपक जलाकर सरकार को जागरूक करने की है। विद्यार्थियों के इस अभियान में विपक्षी पार्टियों का भरपूर सहयोग भी मिल रहा है।
विपक्षी पार्टियों का समर्थन-
बिहार में राजद के तेजस्वी यादव विद्यार्थियों के इस अभियान में साथ खड़े होने का वादा कर रहें हैं तो वहीँ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव और कांग्रेस की प्रियंका गाँधी भी तेजस्वी के इस अभियान को अपना अपना समर्थन दे रहे हैं। ध्यातव्य हो कि इसके पहले जब केंद्र सरकार नीट और जेईई का एग्जाम करवाना चाह रही थी तो इन्हीं विपक्ष पार्टियों द्वारा भरपूर विरोध किया गया और कोरोना महामारी की दुहाई दी गई लेकिन अब ये पार्टियां अपने ही विचारों के उलट एग्जाम करवाने के लिए सरकार पर दबाब बनाने की बात कर रही हैं।
अगर राजनीतिक पार्टियों के व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़ दिया जाय तो यहाँ यह कहना उचित होगा कि यदि केंद्र सरकार नीट और जेईई ऐसा एग्जाम करवा सकती है तो उसे एसएससी, बैंक, रेलवे सहित अन्य सभी राज्य स्तरीय परीक्षाएं भी करवानी चाहिए ताकि जिन विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटका है उन्हें सही मार्ग मिल सके।