रजनीकांत नाम सुनते ही भारत के एक ऐसे प्रतिभाशाली अभिनेता की छवि सामने आती है जिसकी दुनिया दीवानी है। रजनीकांत फिल्मों में अपने एक्शन, स्टाइल और अभिनय से लोगों का मन मोहते आए हैं लेकिन अब उनका इरादा कुछ बदल रहा है। अब वह फिल्मों के अलावा राजनीति में आकर लोगों के लिए काम कर उनका मन मोहना चाहते हैं।
रजनीकांत सोमवार को अपनी संस्था ‘रजनी मक्कल मंडरम’ के जिला सचिवों के साथ एक मीटिंग में भाग लिए। इस मीटिंग में उनकी संस्था के सदस्यों द्वारा उनसे अगला चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया। सदस्यों के आग्रह पर रजनीकांत ने उनसे पूछा कि क्या आपको लगता है कि मुझे अगला चुनाव लड़ना चाहिए? और यदि आपको ऐसा लगता है तो इस बारे में मैं एक बार विचार कर अपना निर्णय आपको दूंगा।
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तमिलनाडु राज्य में फिल्म अभिनेता और अभिनेत्रियों का हमेशा से राजनीति में वर्चस्व रहा है। इसके सबसे बड़े उदाहरण एम.जी. रामचंद्रन और जयराम जयललिता हैं। एम.जी. रामचंद्रन जिन्हे एम.जी.आर के नाम से जाना जाता है 10 वर्ष तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे थे। एम.जी.आर के बाद उनकी तीसरी पत्नी वी. एन. जानकी 1988 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी थीं।
वी. एन. जानकी के बाद 1991 में फिल्म अभिनेत्री जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी। अपने पुरे जीवन काल में उन्हें 3 बार तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। अब तक कुल 8 लोग तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने हैं जिनमे से 4 लोगों का सम्बन्ध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फिल्मों से रहा है।
अतः तमिलनाडु के राजनीतिक इतिहास को देखते हुए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि यदि रजनीकांत राजनीति में आते हैं तो वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री नहीं बनेगें। यदि रजनीकांत समय से अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा करते हैं और राजनीति में उतरने की बात को गंभीरता से लेते हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे तमिलनाडु के अगले मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं होंगे।
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