भारत के दक्षिणतम हिस्से में समुद्र किनारे स्थित केरल राज्य क्षेत्रफल में तो अत्यंत छोटा परन्तु सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में अत्यंत विशाल स्थान रखता है। यहाँ धार्मिक सद्भाव के उदाहरण दिखाई पड़ते हैं। यहाँ हिन्दू धर्म के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी बहुतायत संख्या में रहते हैं लेकिन आज हम आपको इस कड़ी में केरल राज्य में स्थित कुछ महान और अत्यंत ही पवित्र मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
1- सबरीमाला मंदिर (Sabrimala Temple):
सबरीमाला मंदिर केरल के सभी मंदिरों में अत्यंत प्रमुख स्थान रखता है। यह मंदिर भगवान् अयप्पा को समर्पित है जिन्हे ‘धर्म शास्ता’ के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान् अयप्पा, भगवान् शिव और भगवान् विष्णु के स्त्री अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। भगवान् अयप्पा ने एक ब्रह्मचारी का जीवन निर्वाह किया था।
यह मंदिर केरल राज्य के पथनमथिट्टा के जंगलों में पेरियार टाइगर रिज़र्व के अंदर सबरीमाला के पहाड़ियों पर स्थित है। एक अनुमान के अनुसार प्रति वर्ष कम से कम 4 से 5 करोड़ श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन हेतु पहुँचते हैं। यह मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए वर्ष भर नहीं खुला रहता है बल्कि कुछ चुनिंदा दिनों जैसे प्रत्येक मलयाली महीने के प्रथम 5 दिन, मकरसंक्राति, मकरविलाकू उत्सव इत्यादि दिवसों पर ही भक्तगण यहाँ दर्शन कर सकते हैं।
इस मंदिर में 10-50 वर्ष तक की महिलाओं का प्रवेश निषेध है। हालाँकि इस मुद्दे पर काफी विवाद भी हुआ और कुछ महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट तक में चुनौती दी थी परन्तु इसका कोई सटीक हल नहीं निकल सका।
2- पद्मनाभस्वामी मंदिर (Padmanabhswamy Temple):
यह मंदिर भी केरल राज्य के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर केरल राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित है। यह मंदिर भगवान् विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान् विष्णु के शेषनाग पर अनंत शयन की मुद्रा को दर्शाया गया है।
ऐसा विश्वास है यह मंदिर ट्रावनकोर के शाही परिवार की रक्षा करता है। इस मंदिर के मुख्य ट्रस्टी ट्रावनकोर के महाराजा मूलम तिरुनल राम वर्मा हैं।
3- अट्टुकल भगवती मंदिर (Attukal Bhagwathy Temple):
अट्टुकल भगवती मंदिर केरल के सबसे प्रसिद्धि प्राप्त मंदिरों में से एक है। यह मंदिर केरल निवासियों में अत्यंत ही लोकप्रिय है। माता भद्रकाली को समर्पित यह मंदिर केरल के तिरुवनंतपुर में स्थित है। इस मंदिर को महिलाओं के सबरीमाला के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर केरल सहित पूरे दुनिया भर में अपने एक विशेष पर्व अट्टुकल पोंगल के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध है।
इस अट्टुकल पोंगल के दिन पूरे केरल राज्य से लाखों की संख्या में महिलाएं यहाँ पहुँचती हैं। महिलाएं इस मंदिर के परिसर में ही प्रसाद पकाकर मंदिर में देवी को समर्पित करती हैं। अट्टुकक्ल पोंगल त्योहार के दिन इस मंदिर में पूजा के लिए इकठ्ठा होने वाली महिलाओं की संख्या 15 से 25 लाख तक होती है।
4- अम्बालापूजा श्री कृष्णा स्वामी मंदिर (Ambalappuzha Sree Krishna Swamy Temple):
केरल राज्य के अलापुझा जिले में स्थित ‘अम्बालापूजा श्री कृष्ण स्वामी मंदिर’ भगवान् श्री कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर करीब 500 साल पहले यहाँ के एक शासक के द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर में भगवान् के भोग के रुप में प्रतिदिन पायसम नामक प्रसाद चढ़ाया जाता है जो कि चावल और दूध से बनता है। भगवान् को चढ़ाये जाने वाले इस प्रसाद के पीछे भी बड़ी ही रुचिकर कहानी है।
इस पौराणिक कहानी के अनुसार, इस क्षेत्र में राज्य करने वाले राजा के दरबार में एक बार एक साधु पहुंचे। साधु ने राजा के साथ शतरंज खेलने की शर्त रखी। चूंकि राज स्वयं भी शतरंज का बड़ा शौक़ीन था। अतः वह तैयार हो गया और अतिआत्मविश्वास में कहा कि यदि साधु इस खेल में जीत जाते हैं तो वह उनके इच्छानुसार पुरस्कार प्रदान करेगा।
साधु ने कहा कि मुझे पुरस्कार में बहुत कुछ नहीं चाहिए, बस आप मुझे चावल के कुछ दाने दे दीजियेगा वही मेरे लिए पर्याप्त है। राजा सहमत हो गया, परन्तु साधु ने कहा कि चावल मुझे मेरे बताए अनुसार ही चाहिए। साधु ने कहा कि चावल शतरंज के खानों के अनुसार ही चाहिए अर्थात आप पहले खाने में एक चावल रखेंगे, दूसरे में दो चावल तीसरे में चार चावल इसी तरह प्रत्येक खाने में अपने पिछले खाने से दुगुना चावल रखना है।
राजा, साधु के इस शर्त को स्वीकार कर लिया। शतरंज का खेल शुरू हुआ और अंत में राजा की हार हुई। शर्त अनुसार अब राजा को चावल देना था। जब राजा साधु के शर्तानुसार चावल देने लगा तो उसके राज-पाट के पूरे चावल समाप्त हो गए। अंत में साधु ने कहा कि आप मुझे अभी चावल मत दीजिये बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके मुझे रोज पायसम प्रसाद के रूप में चुकाते रहिये। वह साधु कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान् श्री कृष्ण थे।
इसलिए इस मंदिर में प्रत्येक दिन पायसम नामक प्रसाद सें भगवान् को भोग लगाया जाता है।
5- चोत्तानिक्करा मंदिर (Chottanikkara Temple):
चोत्तानिक्करा मंदिर केरल राज्य के कोचीन जिले के अंतर्गत चोत्तानिक्करा नामक क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर माँ भगवती को समर्पित है। इस मंदिर में माँ महालक्ष्मी भगवान् विष्णु के साथ निवास करती हैं। इस मंदिर में प्रातः काल में माता सरस्वती की पूजा की जाती है, दोपहर के समय माता लक्ष्मी तथा सांय काल में माता काली की पूजा की जाती है।
इस मंदिर के इतिहास के बारे में प्रचलित कहानी के अनुसार, एक बार यहाँ स्थित एक जंगल में माँ काली का एक भक्त रहता था। वह प्रत्येक शुक्रवार को माता के नाम पर एक भैंस की बलि देता था। एक बार वह एक भैंस के बछड़े को पकड़ लाया और उसे बलि देने जाने लगा तभी उसकी बेटी उसे ऐसा करने से मना करने लगी। चूंकि वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था इसलिए उसने उस बछड़े की बलि नहीं दी बल्कि उसे पाल लिया।
परन्तु एक दिन अचानक उस व्यक्ति की बेटी गायब हो गई। वह अपनी बेटी को जगह-जगह ढूँढा पर वह नहीं मिली। तब उसे एक पुजारी ने कहा कि वह बलि देने के लिए एक माँ से उसके बछड़े को छीन लाया था इस लिए उसकी बेटी भी उसके पास से दूर चली गई है। उस व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ। वह व्यक्ति वापस घर जाकर जब उस बछड़े को देखा तो चौंक गया कि बछड़े वाली जगह से अलौकिक रोशनी आ रही थी। तब पुजारी ने उसे बताया कि वह बछड़ा कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान् विष्णु और उनकी पत्नी माता लक्ष्मी ही थे जो तुम्हे तुम्हारी गलती का अहसास करवाने आये थे।
आने वाले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे इसी जगह पर इस मंदिर का निर्माण हुआ जिसे आज चोत्तानिक्करा मंदिर के नाम से जाना जाता है।
6- गुरुवायुर मंदिर (Guruvayur Temple):
गुरुवायुर मंदिर भगवान् विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर केरल राज्य के त्रिसूर जिले में स्थित है। यह मंदिर केरल राज्य के साथ-साथ तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र है। इस मंदिर में भगवान् विष्णु के चतुर्भुज रूप का दर्शन होता है। भगवान् विष्णु के एक हाथ में पवित्र शंख, दूसरे हाथ में सुदर्शन चक्र, गले में हार और वह स्वयं कमल के फूल पर विराजमान है।
इस मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक ड्रेस कोड बनाया गया है और सभी को उसी ड्रेस कोड के अनुरूप मंदिर में प्रवेश की अनुमति है। पुरुषों को कमर के नीचे मुंडू नामक वस्त्र पहनना होता है जो बहुत हद तक धोती की तरह ही होता है और पुरुषों की छाती पर कोई वस्त्र नहीं होना चाहिए। यदि चाहें तो एक छोटा सा कपड़ा अपने कंधे पर डाल सकते हैं।
लड़कियों के लिए पश्चिमी ड्रेसों में जाने की अनुमति नहीं है। लड़कियों को ब्लॉउज के साथ स्कर्ट्स और महिलाओं को साड़ी पहनकर ही जाने की अनुमति है। छोटे लड़के नीचे शॉर्ट्स तथा ऊपर बिना शर्ट के ही जा सकते हैं।
7- एट्टुमानूर महादेवर मंदिर (Ettumanoor Mahadevar Temple):
एट्टुमानूर महादेवर मंदिर भगवान् शिव को समर्पित है। केरल राज्य के कोट्टायम जिले में स्थित यह एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर केरल राज्य के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में ऐसा मत है कि महर्षि व्यास और पांचों पांडवों ने यहाँ भगवान् शिव की पूजा भी की थी। यहाँ प्रत्येक वर्ष श्रद्धालु तो आते ही रहते हैं परन्तु तिरुवतिरा उत्सव के समय यहाँ श्रद्धालुओं का मेला लग जाता है।
एक बार इस मंदिर में त्रावणकोर के राजा के द्वारा सोने की साढ़े सात हाथियों (सात बड़े आकार की और एक छोटे आकार की हाथी) को दान किया गया था। इन हाथियों को मलयाली भाषा में इजरापोनंना के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक वर्ष इन हाथियों को आम लोगों के दर्शन हेतु बाहर निकाला जाता है। श्रद्धालु मंदिर के पास ही स्थित पेरूर नामक गाँव में मीनाचिल नदी में पवित्र स्नान करते हैं जिसे मलयाली भाषा में आरातू (Aaraatu) के नाम से जाना जाता है।