भारत का इतिहास अनेक राजपूत राजाओं के वीरगाथाओं से भरा हुआ है लेकिन ये महान राजपूत राजा मात्र अपने वीरगाथा के लिए ही मशहूर नहीं रहें हैं बल्कि इनकी सम्पन्नता भी उतनी ही मशहूर रही है और इनके द्वारा बनवाईं गईं विभिन्न विशाल और अद्भुत इमारते आज भी इनके सम्पन्नता की गाथा गाती हैं तथा दुनिया के लोगों को अपने रूप और अद्भुत बनावट से अचंभित कर देती हैं।
आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसी ही एक अनुपम और अपने स्थापत्य कला के लिए मशहूर ईमारत ‘हवा महल’ के बारे में। हवा महल राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित है। हवा महल के बिना जयपुर सूना है अर्थात जब भी जयपुर की बात हो और हवा महल के बारे में चर्चा ना हो तो समझ लीजिये कि बात अभी भी अधूरी है।
किसके द्वारा निर्माण करवाया गया?
हवा महल का निर्माण जयपुर के संस्थापक ‘महाराजा सवाई जय सिंह’ के पोते ‘महाराजा सवाई प्रताप सिंह’ के द्वारा वर्ष 1799 में करवाया गया था। दरअसल महाराजा सवाई प्रताप सिंह राजस्थान के ही झुंझुनू जिले में पहले से बनी एक ईमारत ‘खेतड़ी महल’ से बहुत प्रभावित थे इसीलिए उन्होंने उसी के आधार पर हवा महल का निर्माण करवाया। हवा महल के वास्तुकार ‘लाल चाँद उस्ताद’ थे।
हवा महल का निर्माण क्यों करवाया गया?
अब अगर आप हवा महल के बारे में पढ़ रहे हैं तो इसका निर्माण क्यों करवाया गया यह जानना भी आपके लिए बहुत जरुरी है। दरअसल राजस्थान राज्य अपने मरुस्थल के कारण हमेशा से बहुत गर्म राज्य रहा है और वहां के लोगों को इस कारण बहुत गर्म मौसम का सामना करना पड़ता है। महाराजा सवाई प्रताप सिंह के शासनकाल के समय भी यही परेशानी विद्यमान थी। अब चूंकि राजपूत राजाओं की रानियाँ राजमहलों में रहा करती थी और उन्हें बहुत अधिक गर्मी का सामना करना पड़ता था क्यूंकि उस समय वर्तमान परिस्थिति की तरह एयर कंडिशन्ड और कूलर की व्यवस्था नहीं थी। महाराजा को इस बात का अहसास था अतः उन्होंने अपनी रानी के सुविधा के लिए ‘हवा महल’ का निर्माण करवाया था ताकि रानियों को गर्मी के मौसम में ठंडी का अहसास बना रहे।
हवा महल का स्थापत्य:
Photo Source: Wikipedia.
हवा महल स्थापत्य कला की दृष्टि से बहुत ही अनुपम ईमारत है। इसमें हिन्दू-राजपूत शैली के साथ-साथ इस्लामिक शैली का भी पुट मिलता है। यह महल बाहर की तरफ से देखने में एक मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई पड़ता है जिसमे मधुमक्खी के छत्ते में बने छोटे-छोटे मधुकोष की तरह ढेर सारे झरोखों को बनाया गया है जहाँ से महल की रानियाँ बाहर का नजारा लेती थीं और उन्हें कोई देख भी नहीं पाता था।
हवा महल एक पांच मंजिल की ईमारत है। जिसकी ऊंचाई लगभग 50 फ़ीट तक है। बाहर से महल का जो भाग दिखाई पड़ता है उसके पीछे बहुत सारे रंग-बिरंगे कमरे और बैठक हॉल बने हैं। जिन्हे बहुत खूबसूरत रंगीन संगमरमर से सजाया गया है। इन कमरों के बाद एक बड़ा-सा आँगन भी बना है।
महल का रख-रखाव:
वर्तमान समय में इस महल का रख-रखाव राजस्थान राज्य के आर्कियोलॉजिकल विभाग के द्वारा किया जा रहा है। विभाग द्वारा ही समय-समय पर इसका रेनोवेशन करवाया जाता है।