हमारे देश की संस्कृति का अनुपम और अद्वितीय निर्माण इसे दुनिया की सभी संस्कृतियों से बहुत भिन्न बनाता है। इस दुनिया में उपलब्ध सभी चीजों को देखने और समझने का हमारा नजरिया पूरी दुनिया से बहुत अलग है। दुनिया जिन्हे मात्र अपने उपयोग की वस्तु समझती है और उसका जमकर उपयोग करती है। हम उन्हें अपने दिल में जगह देते हैं। उदाहरणस्वरूप दुनिया जिन्हे महज एक जानवर समझती है, हमे उनमे भी अपने किसी न किसी भगवान का रूप दिखाई देता है। आज हम बात करेंगे राजस्थान स्थित ऐसे ही एक मंदिर की जहाँ देवी के साथ-साथ हजारों चूहों की पूजा की जाती है।
करणी माता मंदिर:
राजस्थान के बीकानेर जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर एक छोटे से टाउन देशनोक में मशहूर करणी माता का मंदिर स्थित है। यह मंदिर अपनी अनेक विशेषताओं के साथ-साथ यहाँ रहने वाले चूहों के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर में करणी माता के साथ-साथ इन चूहों की भी बड़ी श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है और इन्हे भी प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
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कौन है करणी माता:
राजस्थान के लोकमतों के अनुसार करणी माता माँ दुर्गे की अवतार थीं। इनका जन्म वर्ष 1387 ई. के आस-पास राजस्थान के एक चारण परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम रिघुबाई था। थोड़ा बड़े होने पर इनका विवाह श्री किपोजी चारण से हुआ। विवाह के कुछ वर्षों बाद माता का पारिवारिक और सांसारिक मोह-माया से मन विचलित हो उठा और वह माँ दुर्गे की भक्ति में लीन रहने लगीं। कुछ समय उपरांत वह अपने पति से अलग हो गई और उनसे अपनी बहन का विवाह करवा दिया।
राजस्थान के इतिहासकारों और लोकमतों की माने तो माता करीब 151 वर्षों तक जीवित रहीं थीं। उनके जीवन काल में ही जो व्यक्ति अपनी विपदा लेकर माँ के दर में पहुँचता था उसे उसका निवारण अवश्य मिल जाता था। माता की मृत्यु के उपरांत करणी माता मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के राजा गंगा सिंह के द्वारा करवाया गया था।
मंदिर में चूहों की उपस्थिति:
Photo Source: Social Media.
करणी माता मंदिर में अनुमानतः 25 हजार से अधिक चूहे रहते हैं। यह बात भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए अतिविस्मयकारी है कि इस मंदिर में इतने चूहे कहाँ से आए होंगे और ऐसी क्या परिस्थिति है जो इन्हे यहाँ बांधे रहती है। मंदिर में इन चूहों को चूहा नहीं बल्कि काबा के नाम से बुलाया जाता है। मंदिर में दर्शन करने जाने वाले व्यक्ति को अपने पैर घसीट कर चलने पड़ते हैं ताकि कोई भी चूहा पैर के नीचे ना आ जाए।
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चूहे मंदिर में कैसे आए:
मंदिर के चूहों के इस विचित्र मौजूदगी को देश-दुनिया के बहुत से फिल्म डायरेक्टरों द्वारा अपनी डाक्यूमेंट्री में दिखाने का प्रयास किया गया है। दरअसल इस मंदिर में चूहों के आने के सम्बन्ध में दो कहानियां प्रचलित हैं। पहली कहनी के अनुसार, जब करणी माता के पूर्व पति, उनकी बहन और उनके बहन के लड़के लक्ष्मण का निधन हो गया तो माता ने यमराज से उनके जीवन बख्श देने की गुजारिश की। अंततः यमराज ने विवश होकर लक्ष्मण को चूहे के रूप में जीवनदान दे दिया। तभी से इस मंदिर में चूहों का वास है।
दूसरी कहानी के अनुसार, एक बार करीब 20 से हजार से अधिक सिपाहियों की एक टुकड़ी देशनोक पर आक्रमण करने आई तो करणी माता ने अपनी दैवीय शक्ति से उन सभी सिपाहियों को चूहों के रूप में परिवर्तित कर दिया और तभी से ये सभी वहां मौजूद हैं।
मंदिर का प्रसाद:
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इस मंदिर में चढ़ाये गए प्रसाद को यदि चूहों के द्वारा जूठा कर दिया गया है तो इसका अर्थ यह है कि वह प्रसाद शुद्ध हो गया है और उसे ग्रहण करना लाभकारी हो सकता है। इस मंदिर में प्रातः और सांयकालीन आरती के समय चूहे अपने बिलों से निकलकर बाहर आ जाते हैं।
पुरे राजस्थान राज्य सहित देश के अन्य भागों में इस मंदिर की ख्याति प्रसिद्ध है। यहाँ लोग भारत के साथ-साथ विदेशों से भी इसके दर्शन हेतु आते हैं।
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