मणिपुर भारत के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित राज्यों के समूह का अखंड हिस्सा है। चूंकि मणिपुर अपने अन्य पड़ोसी राज्यों की तरह ही मुख्य भारतीय भूभाग से अलग है। अतः राज्य में अनेक सांस्कृतिक विविधताएं विद्यमान है जिनमे राज्य में मनाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के त्योहार भी शामिल हैं जिनसे भारत देश के साथ-साथ पूरी दुनिया रूबरू नहीं है। अतः आईये मणिपुर राज्यों के कुछ प्रमुख त्योहारों से आपको रूबरू करवाते हैं।
1. गान-नगाई (Gaan-Ngai):
गान-नगाई, मणिपुर का एक प्रमुख त्योहार है। इसे ‘चक्कन गान-नगाई’ के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष नवंबर-दिसंबर माह के बीच मनाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में ‘गान-बू’ महीने के नाम से जाना जाता है। यह फसलों के उत्पादन के उपरांत मनाया जाने वाला त्योहार है।
इस त्योहार में स्थानीय जनजातीय लोगों द्वारा सड़कों पर जुलूस निकाले जाते है। गान-नगाई त्योहार में स्थानीय लोगों द्वारा तरह-तरह के पारम्परिक पकवान बनाए जाते है। परम्परा के अनुसार लोग एक-दूसरे के घरों में जाते है। पकवानों का आनंद उठाने के साथ-साथ परम्परागत नृत्य, गीतों का सिलसिला चलता है।
2. लुई नगाई नी (Lui Ngai Ni):
लुई नगाई नी मणिपुर के नागा जनजाति का प्रमुख त्योहार है। इसकी महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस त्योहार को मणिपुर के राजकीय त्योहार का दर्जा प्राप्त है। यह मणिपुर में फसल के बुवाई के समय मनाया जाना वाला त्योहार है। सामान्यतः यह त्योहार प्रत्येक वर्ष फ़रवरी माह के 14-15 तारीख के बीच मनाया जाता है। नागा समुदाय में हार्नबिल फेस्टिवल के बाद यह दूसरा सबसे प्रचलित त्योहार है।
इस त्योहार में तरह-तरह के क्रियाकलापों जैसे कि नृत्य, गीत, खेल प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन किया जाता है। अन्य त्योहारों के भांति ही इस त्योहार में भी ढेर सारे पकवान बनाए जाते हैं। लोग अपने इष्टदेव को खुश करने का प्रयास करते हैं ताकि आने वाले समय में उन्हें अच्छी फसल प्राप्त हो सके।
3. याओसांग (Yaosang):
मणिपुर के प्रमुख त्योहारों में याओसांग त्योहार का नाम भी शामिल है। मणिपुर के मेताई (Meitei) समुदाय के लोगों में प्रचलित यह त्योहार हिन्दू धर्म में प्रचलित होली के समान ही है। याओसांग त्योहार मणिपुरी कैलेंडर के अनुसार लामता महीने के पूर्णिमा की रात में लकड़ियों से बनी झोपड़ी जलाने से शुरू होता है। इसके उपरांत मेताई (Meitei) समुदाय की छोटी-छोटी लड़कियां अपने आस-पड़ोस में जाकर लोगों से नाकाथेंग (पैसे) मांगती है।
अगली सुबह को ये सभी लड़कियां नए-नए वस्र धारण कर अपने-अपने रिश्तेदारों के यहाँ भी नाकाथेंग मांगने जाती हैं। परम्परा के अनुसार ये लड़कियां सड़क को रस्सियों से घेर कर आने-जाने लोगों से भी नाकाथेंग वसूल करती हैं। इस त्योहार में लोगों का समूह गोविंदागी मंदिर में इकठ्ठा होते हैं तथा संकीर्तन करते हैं।
याओसांग त्योहार के अगली सुबह लोग एक-दूसरे पर पानी फेंक कर इस त्योहार का आनंद उठाते हैं। हिन्दू धर्म में प्रचलित होली की तरह ही इस त्योहार में भी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।
4. चैराओबा त्योहार (Cheiraoba Festival):
मणिपुर में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में चैराओबा त्योहार का प्रमुख स्थान है। यह त्योहार मणिपुर राज्य के मिताई समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। सामान्यतः यह त्योहार मणिपुरी कैलेंडर के अनुसार नए वर्ष के प्रारम्भ में मनाया जाता है जो प्रत्येक वर्ष 13 से 14 अप्रैल के बीच पड़ता है। इस दिन सभी मिताई लोग अपने घरों को साफ़ करते हैं।
वैसे तो चैराओबा त्योहार हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा ही मनाया जाता है लेकिन इस त्योहार के प्रसिद्धि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मणिपुर के मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस त्योहार को बड़े धूम-धाम से मनाते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में तरह-तरह के पकवान जैसे एरोम्बा, पकौड़ा, ऊटी इत्यादि बनाते हैं। लोगों एक दूसरे को उपहार देते हैं। इस त्योहार में खाना-पीना खाने के बाद लोग अपने पास के पहाड़ पर चढ़ाई करने जाते हैं।
5. लाइ हराओबा (Lai Haraoba):
लाइ हराओबा मणिपुर में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में प्रमुख स्थान रखता है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष मई महीने में मनाया जाता है। इस त्योहार में मणिपुर के सभी स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। लाइ हराओबा में सभी पुरुष और महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस दिन अन्य सभी त्योहारों के भांति ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं।
इस त्योहार में सभी लोग अपने पारम्परिक नृत्य-गानों का आनंद उठाते हैं और इसमें बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
6. कांग उत्सव (Kang Festival):
मणिपुर में मनाए जाने वाले त्योहारों में कांग उत्सव का भी अति-महत्वपूर्ण स्थान है। यह उत्सव मणिपुर के गोविंदजी मंदिर में मनाया जाता है। कांग उत्सव में भगवान् जगन्नाथ, बलराम, शुभद्रा इत्यादि को रथ में बिठाकर जुलूस निकाला जाता है। मणिपुर में रथ को कांग के नाम से जाना जाता है और इस त्योहार में रथ की महत्ता को देखते हुए इस त्योहार का नाम कांग त्योहार अथवा कांग उत्सव रखा गया है।
कांग उत्सव में श्रद्धालु बड़े धूम-धाम से ढोल-बाजे के साथ रथ को मंदिर तक ले जाते हैं। इस त्योहार में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। भगवान् के समक्ष घी के दिये जलाए जाते हैं। निःसंदेह कांग उत्सव, मणिपुर का एक प्रमुख त्योहार है।
7. हिकरू हिन्डोगबा (Heikru Hindognba):
हिकरू हिन्डोगबा भी मणिपुर में मनाए जाने वाले त्योहारों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह प्रत्येक वर्ष मणिपुर के मिताई कैलेंडर के अनुसार लंगबान महीने के 11वें दिन मनाया जाता है जो कि ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार सितम्बर माह में होता है।
इस त्योहार का मुख्य आकर्षण नौका रेस होता है। इस रेस का आयोजन इम्फाल के नजदीक बिजॉय गोविंदा में किया जाता है। हिकरू हिन्डोगबा में भगवान् विष्णु की मूर्ती को नौका रेस के समीप ही स्थापित कर रेस स्पर्धा का आयोजन होता है। इसमें यहाँ का युवा वर्ग पूरे उत्साह के साथ भाग लेता है।
हिकरू हिन्डोगबा त्योहार वर्ष 984 ई. में महाराजा इरेंग्बा के शासन काल में प्रथम बार मनाया गया था।
8. निंगोल चैकोबा (Ningol Chakouba):
मणिपुर राज्य में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं जिनमे निंगोल चैकोबा (Ningol Chakouba) का भी अहम् स्थान है। यह त्योहार मणिपुरी कैलेंडर के अनुसार हियंगेई (Hiyangei) महीने में मनाया जाता है जो कि ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच होता है। निंगोल चैकोबा (Ningol Chakouba) त्योहार का मुख्य तात्पर्य आपसी रिश्तों को और अधिक मजबूती प्रदान करना है।
इस त्योहार में विवाहित महिलाओं को उनके माता-पिता और भाई द्वारा अपने घर आमंत्रित किया जाता है। सभी विवाहित महिलाएं अपने मायके जाती हैं जहाँ उनके स्वागत की पूरी तैयारी की जाती है। उनके लिए तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। निंगोल चैकोबा (Ningol Chakouba) त्योहार में सभी महिलाएं अपने भाइयों सहित परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बैठकर भोजन का आनंद उठाती हैं।
भोजन ग्रहण करने के उपरांत माता-पिता सहित परिवार के अन्य सदस्य जैसे भाई, चाचा, चाची इत्यादि लोगों द्वारा बेटियों को अनेक तरह के उपहार दिए जाते हैं जो इस त्योहार का अहम् अंग है। ये महिलाएं भी अपने मायके वालों के लिए विभिन्न प्रकार के उपहार लेकर आती हैं।
9. कुट अथवा चावांग कुट त्योहार (Kut or Chavang Kut Festival):
यह त्योहार भी मणिपुरी संस्कृति को दुनिया के सामने प्रदर्शित करता है। इसे कुट अथवा चावांग कुट त्योहार के नाम से जाना जाता है। चावांग का अर्थ पतझड़ तथा कुट का अर्थ फसल से है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष मुख्यतः नवंबर माह में मनाया जाता है। कुट अथवा चावांग कुट त्योहार (Kut or Chavang Kut Festival) मणिपुर के कुकी-चीन-मिज़ो समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाता है।
कुट अथवा चावांग कुट त्योहार फसल प्राप्ति के उपरांत मनाया जाता है तथा इसके माध्यम से इस समुदाय के लोग अपने ईश्वर को धन्यवाद् देते हैं। यह त्योहार कई दिनों तक चलता है। त्योहार के आखिरी दिन गाँवों में पुजारी सभी लोगों को चावल से बना बियर बाँटते हैं जिसे कि प्रसाद के सामान माना जाता है।
इस त्योहार में समुदाय के लोग अपने पारम्परिक गीत और नृत्यों का आयोजन भी करते हैं। सभी लोग पारम्परिक तरीके से यह त्योहार मनाते हैं। हालाँकि आधुनिक समय में इस समुदाय के बहुत से लोग ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए हैं लेकिन इसके बावजूद भी वे अपने इस परंपरागत त्योहार को मनाना नहीं भूले हैं।
10. चुम्फा त्योहार (Chumpha Festival):
चुम्फा त्योहार भी मणिपुर में मनाए जाने वाले अन्य कई त्योहारों के भांति ही फसल से सम्बंधित त्योहार है। यह त्योहार मणिपुर के तंगकुल समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। चुम्फा त्योहार 2 दिनों तक मनाया जाता है। इसमें समुदाय के लोग बड़े उत्साह के साथ अपने परम्परागत गीत गाते हैं तथा नृत्य करते हैं।
इस त्योहार के द्वारा समुदाय के लोग अपने इष्टदेव को धन्यवाद् देते हैं। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में मनाया जाता है। चुम्फा त्योहार उत्तर भारत में मनाए जाने वाले बैसाखी त्योहार के भांति ही है। इस दिन सभी अपने मित्रों सम्बन्धियों के साथ इकठ्ठा होते हैं। सभी एक दूसरे को बधाइयाँ देते हैं तथा एक दूसरे के साथ मिठाइयां इत्यादि बाँटते हैं।
चुम्फा त्योहार में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। लोग रंग-बिरंगे ड्रेस पहनते हैं। इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। चुम्फा त्योहार का मुख्य आयोजन मणिपुर की राजधानी इम्फाल में की जाती है।
11. संगाई फेस्टिवल (Sangai Festival):
संगाई फेस्टिवल प्रत्येक वर्ष 21 से 30 नवंबर के बीच मणिपुर में मनाया जाता है। यह त्योहार मणिपुर में पाए जाने वाले हिरण जिसे कि स्थानीय भाषा में संगाई के नाम से जाना जाता है के नाम पर मनाया जाता है। संगाई हिरन मुख्यतः मणिपुर के विश्वप्रसिद्ध किबुल लामजाओ पार्क में पाया जाता है।
यह त्योहार मणिपुर के सभी त्योहारों में सबसे उच्च स्थान रखता है। इस त्योहार का आयोजन विश्व स्तर के आयोजन के साथ किया जाता है। वर्ष 2010 से पूर्व इस त्योहार को टूरिज्म फेस्टिवल के नाम से जाना जाता था लेकिन वर्ष 2010 से इसका नाम बदलकर संगाई फेस्टिवल रख दिया गया है।
संगाई फेस्टिवल मनाने का मुख्य लक्ष्य मणिपुर को विश्व स्तर पर पर्यटन के बड़े केंद्र के रूप में प्रदर्शित करना है। इस त्योहार में तरह-तरह के प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है जिनमे स्थानीय हैंडीक्राफ्ट्स, हैंडलूम, विभिन्न प्रकार के स्थानीय फूड्स इत्यादि को प्रदर्शित किया जाता है।
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