भारत का इतिहास महान ऋषि मुनियों की कथाओ, उनके तप, सन्यास और उपासना के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। भारतीय इतिहास में लाखों ऋषि-मुनि और तपस्वी वर्षों तक जंगलों और हिमालय के गुफाओं में तपस्या कर ज्ञान प्राप्त करने में सफल रहे। धीरे-धीरे कलयुग में ऋषि मुनियों और उनके तपस्या की बातें बस कहानियों में सुनने को मिलने लगी जैसे कि सभी योगियों ने इस धरा को छोड़ दिया हो लेकिन इसी बीच कुछ ऐसे तपस्वी भी जन्म ले लेते हैं जो अपने अनेक दैवीय गुणों से दुनिया को चकित कर देते हैं। आज बात करने जा रहे हैं ऐसे ही एक तपस्वी के बारे में जिन्होंने अपने जीवन के लगभग 80 वर्ष बिना कुछ खाये-पिए ही बस सांस लेकर गुजार दिए।
प्रह्लाद जानी अथवा चुनरीवाले माताजी:
प्रह्लाद जानी का जन्म अगस्त 1929 को गुजरात के मेहसाना जिले के चरदा नामक स्थान पर हुआ था। उनका जन्म बहुत ही आम परिवार में हुआ था। शुरू से ही प्रह्लाद का मन पूजा-पाठ क्रिया में ज्यादा लगता था। महज 7 वर्ष की आयु में ही उन्होंने अपना घर-बार छोड़ दिया और जंगलों में जाकर रहने लगे। धीरे-धीरे तपस्या करते-करते लगभग 12 वर्ष की आयु में उन्हें अध्यात्म का ज्ञान हो गया।
धीरे-धीरे वे हिन्दू देवी माँ अम्बे के भक्ति में लीन होते गए है। प्रह्लाद जानी माँ अम्बे के भक्ति में इतना अधिक लीन हो गए कि उन्होंने माता के वस्त्रों के अनुरूप ही वस्त्र पहनना शुरू कर दिया। वह चटक लाल रंग की साड़ी के साथ नाक और कान में जेवर भी पहनने लगे। धीरे-धीरे स्थानीय इलाकों में उनकी ख्याति बढ़ने लगी। लोग उन्हें चुनरीवाले माताजी के नाम से जानने लगे।
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वर्ष 1940 में त्याग दिया था भोजन-पानी:
प्रह्लाद जानी के अनुसार उन्होंने वर्ष 1940 में ही भोजन-पानी त्याग दिया था। इस दुनिया में अनेक संतों के बारे में आपने पढ़ा या सुना होगा की वे फलाहारी हैं अर्थात केवल फल का ही सेवन करते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो दूधाहारी होते हैं अर्थात वे मात्र दूध का ही सेवन करते हैं लेकिन चुनरीवाले माता जी उन सभी से बहुत ऊँचे स्थान पर विद्यमान थे क्यूंकि उन्होंने भोजन और पानी ही त्याग दिया था जो कि किसी भी जीव के जीवन की सबसे बड़ी जरुरत है।
बिना भोजन-पानी के कुछ दिनों तक गुजारा किया जा सकता है लेकिन वर्षों-वर्षों तक जीवित रहना असम्भव है लेकिन चुनरीवाले माताजी अर्थात प्रह्लाद जानी ने इस असंभव को भी पार कर दिया था और पूरी दुनिया को चकित कर दिया था क्यूंकि विज्ञान के अनुसार बिना भोजन-पानी के शरीर के सभी अंग काम करना बंद कर सकते हैं।
प्रह्लाद जानी पर रिसर्च:
जब दुनिया में यह बात अधिक से अधिक लोगों को पता चली तो भला दुनिया के लोग शांत कैसे रह सकते हैं लोगों ने इस तपस्वी की तपस्या पर ऊँगली उठानी शुरू कर दी। अतः अहमदाबाद के डॉक्टरों की एक टीम को प्रह्लाद जानी पर रिसर्च करना पड़ा। वर्ष 2003 में प्रह्लाद जानी को अहमदाबाद के एक अस्पताल में 10 दिनों के लिए भर्ती किया गया। अस्पताल में उन्हें एक चारों तरफ से बंद कमरे में रखा गया जहाँ भोजन और पानी से उनका कोई संपर्क ना हो सके। डॉक्टरों के टीम ने 10 दिनों तक कई टेस्ट किये, एक्स-रे किये तथा अन्य शोध किये परन्तु डॉक्टरों निगरानी में प्रह्लाद जानी 10 दिनों तक बिना किसी तकलीफ के अस्पताल में ख़ुशी-ख़ुशी रहे।
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इसके उपरांत वर्ष 2010 में फिर से अहमदाबाद के 35 डॉक्टरों की टीम ने प्रह्लाद जानी पर रिसर्च शुरू किया। इस बार उन्हे 15 दिनों के लिए अस्पताल में रखा गया। इस बार भी अनेक तरीके से जांच-पड़ताल के उपरांत भी डॉक्टर्स को कुछ ऐसा नहीं मिला कि वे कह सके कि चुनरीवाले माताजी ढोंगी हैं या ढोंग रचा रहे हैं। हालाँकि दोनों ही बार डॉक्टर्स द्वारा किये गए टेस्ट के रिपोर्ट्स को सार्वजनिक नहीं किया गया। ऐसा क्यों किया गया अभी तक इस बारे में भी कोई तथ्य सामने नहीं आया है। डॉक्टर्स द्वारा किये गए जांच को सार्वजनिक ना किये जाने के कारण दुनिया भर के विज्ञानियों द्वारा इसकी बहुत आलोचना की गई। दुनिया भर के सभी शोधकर्ताओं ने इस परिप्रेक्ष्य में अपने-अपने मत सामने रखे।
प्रह्लाद जानी के जीवन पर बनी डॉक्यूमेंट्री:
प्रह्लाद जानी उर्फ़ चुनरीवाले माताजी के प्रसिद्ध होने के उपरांत दुनिया भर के फिल्मकारों द्वारा उनके ऊपर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई। वर्ष 2006 में डिस्कवरी के द्वारा भी उनके ऊपर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई जिसे “The Boy with Divine Powers” के नाम से दुनिया भर में प्रदर्शित किया गया। प्रह्लाद जानी अपने जीवन के आखिरी पलों तक दुनिया भर में बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गए थे।
प्रह्लाद जानी के आखिरी पल:
26 मई 2020 में 90 वर्ष की आयु में वे स्वर्ग सिधार गए। यह और अधिक चौंकाने वाला है कि एक ऐसा व्यक्ति जो अपने जीवन के करीब 80 वर्षों तक भोजन और पानी को हाथ ना लगाया हो वह 90 वर्ष की आयु तक जीवित रहता है। प्रत्यक्ष रूप से देखा जाए तो एक आम व्यक्ति के लिए इस प्रकार की उपलब्धि हासिल करना अत्यंत मुश्किल है और असंभव है।
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