भारतीय संस्कृति का निर्माण इतना व्यवस्थित तरीके से हुआ है कि पुरे भारतीय समाज में विभिन्नता होते हुए भी एक समानता बनी रहती है। भारत में सर्दी का मौसम जब धीरे-धीरे समाप्त होने की ओर बढ़ने लगता है और पुरे भारत में नए-नए फसलों का आगमन होता है तब पुरे भारत में नए फसलों के आगमन पर ख़ुशी का माहौल होता है और देश के हर एक समुदाय, तबके और वर्ग में अलग-अलग त्योहारों को मनाया जाता है। इस क्रम में उत्तर भारत में मुख्यतः मकर संक्रांति मनाया जाता है जबकि दक्षिण भारत में पोंगल मनाया जाता है। आज का हमारा विषय भी पोंगल त्योहार है।
पोंगल (Pongal):
पोंगल एक भारतीय त्योहार है। यह मुख्यतः दक्षिण भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र-प्रदेश, तेलंगाना और केरल में मनाया जाता है। इसके अलावा यह त्योहार मलेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा सहित अन्य देशों में भी प्रवासी भारतीयों के द्वारा मनाया जाता है। पोंगल शब्द का अर्थ एक पकवान से है जो इस त्योहार के दिन मुख्य रूप से पकाया जाता है। पोंगल पकवान के नाम पर ही इस त्योहार का नाम पोंगल पड़ा है।
कब मनाया जाता है पोंगल:
पोंगल त्योहार तमिल कैलेंडर के अनुसार ताई अथवा थाई महीने के पहले दिन मनाया जाता है और ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार जनवरी महीने के 14 से 15 तारीख के बीच मनाया जाता है।। तमिल संस्कृति के अनुसार जब नए फसल तैयार हो जाते है और सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाता है उसके उपरांत पोंगल त्योहार शुरू हो जाता है। मुख्यतः पोंगल चार दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है जिसका शुभारम्भ भोगी पोंगल के साथ हो जाता है जो तमिल कैलेंडर के अनुसार मरगाजी महीने के आखिरी दिन पड़ता है। इसके उपरांत सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और अंततः क़ानूम पोंगल मनाया जाता है।
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भोगी पोंगल:
भोगी पोंगल, पोंगल त्योहार का पहला दिन होता है। हालाँकि यह रात्रि अथवा भोर के समय मनाया जाता है। भोगी पोंगल के दिन आग जलाने के लिए लोग एक जगह पर लकड़ियां इकट्ठी करते हैं और उसमे आग जलाते हैं। इस दिन लोग अपने घर से कुछ पुराने कपड़े तथा अन्य वस्तु लाकर उस आग के हवाले कर देते हैं। भोगी पोंगल के पहले लोग अपने-अपने घरों की सफाई तथा रंगाई-पुताई करते हैं।
घर की बेटियां घर के सामने रंगोली बनाती हैं। घर के जानवरों जैसे गाय-भैंसों को नहलाया-धुलाया जाता है और उनके सिंहों को रंगा जाता है। कुछ पकवान भी बनाये जाते हैं और लोग मौज-मस्ती करते हैं। इस दिन मुख्यतः भगवान् इंद्र की पूजा की जाती है और उनसे निवेदन किया जाता है कि अगले वर्ष वे खूब बारिश करें ताकि अच्छी फसल उग सके।
सूर्य पोंगल:
पोंगल त्योहार का यह सबसे मुख्य दिन होता है। इसे पेरुम पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान् सूर्य को समर्पित होता है। सूर्य पोंगल तमिल थाई महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस दिन पोंगल नामक पकवान को पकाया जाता है। सामान्यतः घर की महिलाएं इस दिन घर के बाहर किसी एक स्थान पर इकठ्ठा होकर अलग-अलग चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में पोंगल बनाती हैं। पोंगल पकवान को बनाने के लिए दूध, चावल और शक्कर प्रयोग किया जाता है।
सबसे पहले दूध को मिटटी के बर्तन में उबलने दिया जाता है। जब दूध में उबाल आ जाता है तब उसमे चावल और शक्कर डाला जाता है। इस मिश्रण को अपने आप पककर बर्तन से बाहर गिरने दिया जाता है। जब यह पकवान बर्तन से बाहर गिरता तब माना जाता है कि यह अपने इष्ट सूर्यदेव को समर्पित हो गया। पोंगल खुले आसमान के नीचे दिन के समय बनाया जाता है ताकि सूर्य देव इसे ग्रहण कर सके। पोंगल पकवान बनने के दौरान तमिल महिलाएं पारम्परिक गीत गातीं हैं जिसे कुरवाई कहा जाता है और पुरुष या लोग अन्य शंख बजाते हैं।
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मट्टू पोंगल:
सूर्य पोंगल के अगले दिन मट्टू पोंगल मनाया जाता है। यह दिन मुख्यतः घरेलु जानवरों जैसे गाय, भैंस और बैल को समर्पित होता है। सभी लोग अपने-अपने जानवरों को सजाते-सवांरते हैं। उन्हें अलग-अलग रंगों से रंगते हैं, जानवरों के शरीर पर तेल, कुमकुम हल्दी इत्यादि लगाते हैं। लोग बड़ी श्रद्धापूर्वक अपने जानवरों को केला, गुंड़, गन्ना इत्यादि खाने के लिए देते हैं। इस दिन तमिलनाडु के अलग-अलग जगहों पर जल्लीकट्टू नामक खेल का भी आयोजन किया जाता है जिसमे मजबूत और तगड़े-तगड़े बैलों को नियंत्रित करने की योग्यता दिखानी होती है।
क़ानूम पोंगल:
यह पोंगल का आखिरी और चौथा दिन होता है। इस दिन सभी लोग अपने-अपने रिश्तेदारों से मिलते-जुलते हैं और एक दूसरे के बीच प्रेमभाव बढ़ाते हैं। यह बहुत ही सामाजिक दिन होता हैं। तमिलनाडु के गांवों में लोग इस दिन खेतों से ताजे गन्ने काट कर लाते हैं और समूह में बैठकर गन्ने का आनंद लेते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर भी जाते हैं। छोटे अपने से बड़े लोगों से आशीर्वाद लेते हैं वहीँ बड़े अपने से छोटे को आशीर्वाद के साथ-साथ कुछ गिफ्ट भी देते हैं।
पोंगल एक महान और बहुत ही व्यापक त्योहार होता है जिसका प्रत्येक वर्ष लोग इंतजार करते हैं और अपने-अपने परिवार के सदस्यों के साथ एक सुनहरा समय बिताते हैं।
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