हिन्दू धर्म में भगवान ब्रह्मा का बहुत ही बड़ा स्थान है। भगवान ब्रह्मा को इस पूरी दुनिया का रचनाकार माना जाता है लेकिन जब इस दुनिया में उनके मंदिर की बात होती है तो सभी के जुबान पर बस एक ही जगह का नाम आता है और उस जगह का नाम है पुष्कर। तो चलिए आज पुष्कर शहर के बारे में कुछ जानने का प्रयास करते हैं।
कहाँ स्थित है पुष्कर?
पुष्कर, राजस्थान राज्य में अरावली पहाड़ियों के गोद में स्थित एक छोटा-सा शहर है। यह अजमेर जिले के अंतर्गत शामिल है और अजमेर शहर से इसकी दूरी मात्र 10 किलोमीटर है। पुष्कर शहर का अपना एक अनोखा ऐतिहासिक महत्व है। यह शहर हिन्दुओं के साथ-साथ सिक्खों के लिए भी अति महत्वपूर्ण हैं। पुष्कर शहर का निकटतम मुख्य रेलवे स्टेशन अजमेर है और निकटतम एयरपोर्ट ‘किशनगढ़ एयरपोर्ट’ है जो कि वहां से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है।
पुष्कर शब्द का अर्थ:
पुष्कर शहर मुख्यतः भगवान् ब्रह्मा और पूरी दुनिया में एकलौते उनके मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर शब्द का अर्थ ‘नीला कमल’ होता है।
पुष्कर का ऐतिहासिक महत्व:
पुष्कर का बहुत अधिक ऐतिहासिक महत्व भी है। हिन्दू धर्म के कई धार्मिक पुस्तकों, वेदों में इसका वर्णन किया गया है। रामायण, महाभारत और पुराणों में भी इसके महत्व का विवरण दिया गया है। मोहनजोदड़ों कालीन कलाकृतियों के सामान साक्ष्य भी यहाँ मिलते हैं हलांकि इन दोनों के प्रत्यक्ष सम्बन्ध के कोई प्रमाण नहीं हैं।
पुष्कर शहर में मुस्लिम शासकों के आक्रमण:
मुहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद से इस शहर को मुस्लिम शासकों द्वारा अत्यंत हानि पहुंचाई गई। अनेक ऐतिहासिक इमारतों, मंदिरों को तहस-नहस कर दिया गया। भारत से मुग़ल शासन के समाप्ति के उपरांत कई महान हिन्दू शासकों, ब्राह्मणों और अमीर व्यापारियों द्वारा इस शहर के मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों का पुनर्विकास करवाया गया।
पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर:
Brahma Temple (Photo Source: Wikipedia)
पुष्कर में स्थित भगवान् ब्रह्मा के मंदिर का पूरी दुनिया में अत्यंत महत्व है क्यूंकि यह दुनिया का एकलौता मंदिर है। इसका निर्माण गुर्जर सम्राट पुष्कर द्वारा करवाया गया था जिनकी पुत्री वेदमाता गायत्री का विवाह भगवान् ब्रह्मा के साथ हुआ था। पुष्कर शहर में मांस और अंडा खाना या बेचना प्रतिबंधित है।
पुष्कर का मेला:
Pushkar Fair (Photo Source: Wikipedia)
पुष्कर में प्रत्येक वर्ष विश्व प्रसिद्ध मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होता है और करीब 7 दिनों तक चलता है। इसे विश्व प्रसिद्ध मेला इसलिए कहा जाता है क्यूंकि यहाँ विदेशी सैलानियों की भरमार लगती है, हज़ारों की संख्या में विदेशी सैलानी यह मेला देखना पुष्कर आते हैं। प्रत्येक वर्ष इस मेले में करीब 2,00,000 लोग आते हैं। इस मेले में जानवरों जैसे ऊंट, घोड़े, गायें इत्यादि का बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त होता है। इसके अलावा मेले में सैकड़ों प्रकार के हाथ से बनाये गए कलाकृतियों का भी बड़ा बाजार लगता है।
पुष्कर झील:
Pushkar Lake (Photo Source: Wikipedia)
पुष्कर शहर में एक बड़ा-सा झील भी है जो इस शहर की खूबसूरती में चार-चाँद लगाता है। ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान् ब्रह्मा के हाथ से छूटकर एक कमल का फूल पृथ्वी पर गिर गया और वह फूल जहाँ गिरा वहीँ पर इस झील का निर्माण हो गया। मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा इस झील को भी काफी नुकसान पहुँचाया गया था। पुष्कर झील को तिब्बत स्थित मानसरोवर झील के सामान ही पवित्र माना जाता है।
सिक्ख धर्म से जुड़े स्थल:
Sikh Gurudwara (Photo Source: Wikipedia)
पुष्कर हिन्दुओं के साथ-साथ सिक्ख धर्म के लिए भी दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ पर गुरु नानक और गुरु गोविन्द सिंह की याद में दो अलग-अलग गुरूद्वारे का निर्माण करवाया गया है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर कहा जाता है कि जब गुरु गोविन्द सिंह को औरंगजेब ने आनंदपुर से निकलवा दिया था तब गुरु गोविन्द सिंह पुष्कर में ही आकर शरण लिए थे। पुष्कर झील के जिस घाट के सामने उन्होंने शरण लिया था उसे अब गोविन्द के घाट के नाम से जाना जाता है।