भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में से एक नागालैंड अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है। नागालैंड की सांस्कृतिक विशेषताओं में वहां मनाए जाने वाले त्योहारों का प्रमुख स्थान है। तो आईये आज नागालैंड में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों से स्वयं को रूबरू करवाते हैं।
1- हार्नबिल फेस्टिवल (Hornbill Festival):
नागालैंड में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में हार्नबिल फेस्टिवल सबसे प्रमुख है। यह फेस्टिवल प्रत्येक वर्ष के 1 दिसंबर से 10 दिसंबर के बीच मनाया जाता है। हार्नबिल फेस्टिवल का नाम एक पक्षी हार्नबिल के नाम पर रखा गया है.
इस फेस्टिवल की शुरुआत सबसे पहले साल 2000 में की गई थी और तब से प्रत्येक वर्ष इसे बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. हार्नबिल फेस्टिवल में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से बड़ी संख्या में सैलानी पहुँचते हैं. हार्नबिल फेस्टिवल नागालैंड की राजधानी कोहिमा से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित किसामा हेरिटेज विलेज में मनाया जाता है.
हार्नबिल फेस्टिवल में पूरे नागालैंड राज्य से अनेक प्रकार के आदिवासी समुदाय के कई समूह पहुँचते हैं. इन आदिवासी समूहों द्वारा अपने सांस्कृतिक और पारंपरिक खेलों और कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है. हार्नबिल फेस्टिवल में विभिन्न प्रकार के कलात्मक वस्तुओं की बिक्री के लिए हजारों दुकाने लगाई जाती हैं जहाँ आदिवासी समुदायों द्वारा बनाए गए वस्तुएं बिक्री के लिए रखीं जाती हैं.
नागालैंड के इस सबसे बड़े फेस्टिवल में प्रत्येक दिन अलग-अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जो कि वहां पहुँचने वाले सैलानियों के लिए अत्यंत रोमांचकारी तथा अचंभित करने वाले होते हैं.
2- आओलांग फेस्टिवल (Aoleang Festival):
यह फेस्टिवल नागालैंड के कोन्याक जनजाति द्वारा मनाया जाता है। कोन्याक जनजाति मुख्यतः नागालैंड के मोन जिले में ही निवास करती है। यह जनजाति लोगों के सिरों के शिकार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आओलांग फेस्टिवल प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है।
यह त्योहार अच्छी फसल प्राप्ति के ख़ुशी में मनाया जाता है। आओलांग फेस्टिवल के प्रथम तीन दिनों तक समुदाय के लोग जश्न की तैयारी में लगे रहते हैं। प्रथम तीन दिनों तक वे अपने लिए कपड़े, अच्छे भोजन के लिए जानवरों की व्यवस्था, जश्न के लिए चावल के बियर इत्यादि की तैयारी में लगे रहते हैं।
आओलांग फेस्टिवल का चौथा दिन जश्न का दिन होता है। इस दिन सुबह से ही पकवानो का सिलसिला चलता है। सभी अच्छे-अच्छे कपड़े पहनते हैं, पारम्परिक ज्वेलरी पहनते हैं, नाच-गाने का आयोजन किया जाता है। इस दिन समुदाय के पारम्परिक सिरों के शिकारों करने की कला का प्रदर्शन भी किया जाता है।
इस त्योहार के अंतिम 2 दो दिन भी बेहद ख़ास होते हैं। इन दो दिनों में समुदाय के सभी लोग अपने-अपने परिवारों के साथ समय बिताते हैं और अच्छे-अच्छे पकवानों का आनंद उठाते हैं। आओलांग फेस्टिवल के आखिरी दिन सभी अपने-अपने घरों की साफ़-सफाई में लग जाते हैं और इस तरह आओलांग फेस्टिवल समाप्त हो जाता है।
3-सेक्रेनेयी फेस्टिवल (Sekrenyi Festival):
नागालैंड में मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। सेक्रेनेयी फेस्टिवल नागालैंड के अनागामी आदिवासी समुदाय के द्वारा मनाया जाता है। अनागामी समुदाय के कैलेंडर के अनुसार यह फेस्टिवल केजेई महीने के 25वें दिन पड़ता है लेकिन ग्रिगेरियन कैलेंडर के अनुसार यह फेस्टिवल प्रत्येक वर्ष 25 फ़रवरी से शुरू हो जाता है। यह फेस्टिवल लगभग 15 दिन तक मनाया जाता है।
सेक्रेनेयी का अर्थ स्वयं को शुद्ध करने से है। इस त्योहार में अनागामी समुदाय के लोग विभिन्न रीति-रिवाजों के माध्यम से स्वयं और अपने परिवार को पुराने किये गये बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाने के लिए शुद्धि कार्य करते हैं। इस त्योहार में घर की मुख्य गृहणी शुद्ध जल से पहले अपने घर के चारो कोनों को शुद्ध करती है. उसके उपरांत परिवार के सभी सदस्यों के ऊपर जल छिड़का जाता है।
सेक्रेनेयी फेस्टिवल के चौथे दिन अनागामी समुदाय का नववर्ष शुरू हो जाता है। नववर्ष के मौके पर समुदाय के सभी लोग विभिन्न पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। समुदाय के नौजवान बच्चे इकठ्ठा होकर एक साथ शिकार करने का गुण सीखते हैं।
4- मोआत्सु फेस्टिवल (Moatsu festival):
मोआत्सु फेस्टिवल नागालैंड में मनाए जाने वाले त्यौहार में से एक है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष नागालैंड के आओ जनजाति द्वारा मई महीने 1 मई से 3 मई के बीच मनाया जाता है। आओ जनजाति के लोग जब अपने सभी कार्यों को सफलता पूर्वक समाप्त कर लेते हैं उसके उपरांत इस त्योहार को मनाते हैं।
दरअसल इस त्योहार के पहले तक आओ जनजाति के लोग अपने सभी प्रमुख कार्य यथा झूम खेती की तैयारी करना, खेतों में बीजों की बुवाई करना, पानी के कुँओं की सफाई करना तथा घरों की मरम्मत इत्यादि का काम समाप्त कर मोआत्सु फेस्टिवल के जश्न में शामिल होते हैं।
परम्परा अनुसार इस त्योहार के दिन सबसे ख़ास बियर बनाई जाती है। गाय और सूअर जैसे जानवरों की बलि दी जाती है और उससे ख़ास तरह के पकवान बनाए जाते हैं। समुदाय की महिलाएं विशेष प्रकार के पारम्परिक जेवर बनाती हैं और इस त्योहार के उपलक्ष्य पर पहनती हैं। समुदाय के बुजुर्ग व्यक्ति नौजवानों को अपने बहादुरी के किस्से सुनाते हैं। वे नौजवानों को बहादुरी से अपने दुश्मनों का सामना करने का पाठ भी पढ़ाते हैं।
5- बुशू फेस्टिवल (Bushu Festival):
नागालैंड के दिमा जनजाति के द्वारा बुशू फेस्टिवल मनाया जाता है। बुशू फेस्टिवल प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है। यह फसलों की कटाई के बाद मनाया जाने वाला त्योहार है। दिमा जनजाति के लोग अपने फसलों की कटाई समेत अन्य कार्यों से मुक्ति पाने के बाद इस त्योहार के जश्न में शामिल होते हैं।
इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य अपनी परंपरा को जीवित रखना है। बुशू फेस्टिवल में दिमा जनजाति के सभी वर्ग के लोग जैसे बच्चे, नौजवान, बड़े-बूढ़े, लड़के-लड़कियां, महिला-पुरुष इत्यादि एक साथ जश्न में शामिल होते हैं। इस दिन ढोल-नगाड़े बजाए जाते हैं। बुशू फेस्टिवल के दिन विभिन्न प्रकार के खेल, नृत्य, गीत इत्यादि समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।