हिन्दू धर्म अथवा सनातन धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है। दुनिया भर में हिन्दू धर्म के करोड़ों-अरबों अनुयायी भी हैं और सभी के आस्थाओं के अनुसार उनके पूजा घर अर्थात मंदिर भी पूरे दुनिया में निर्मित हैं। हिन्दू धर्म के बहुत से अनुयायी पूजा-अर्चना के लिए रोज मंदिरों में जाना पसंद करते हैं वहीँ बहुत से अनुयायी अपने घर में ही बने छोटे से मंदिर में पूजा-अर्चना कर अपने मन को अपने ईश्वर में लीन कर लेते हैं।
दुनिया के अलग-अलग भागों में अलग-अलग तरह से हिन्दू धर्म के मंदिरों का निर्माण हुआ है। कुछ मंदिर अत्यंत विशाल हैं, कुछ अत्यंत खूबसूरत तो कुछ में कुछ और खासियतें छिपीं हैं। इसी क्रम में आज हम दुनिया के 10 सबसे बड़े मंदिरों के बारे में चर्चा करेंगे।
अंगकोर वाट मंदिर:
यह मंदिर एशियाई देश कम्बोडिया के अंगकोर में अवस्थित है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है और साथ ही साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है अर्थात किसी भी धर्म में इससे बड़ा कोई पूजा स्थल आज तक नहीं बना है। इसका निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के द्वारा 12वीं शताब्दी में करवाया गया था। यह मंदिर 16,26,000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल पर फैला है। यह मंदिर भगवान् विष्णु को समर्पित है।
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स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर:
यह मंदिर 6,60,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। यह मंदिर संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2010 में शुरू हुआ था और वर्ष 2014 में यह मंदिर आम लोगों के लिए खोला गया। इस मंदिर में इटली के मार्बल, तुर्की के टाइल्स और भारत के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में लगे पत्थरों पर नक्काशी राजस्थान के कारीगरों द्वारा की गई है। इस मंदिर में हनुमान, गणपति, शिव-पार्वती, राम-सीता, और राधा-कृष्ण के मूर्तियों का अनावरण किया गया है। इस मंदिर का निर्माण स्वामी नारायण संस्था द्वारा करवाया गया है।
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर:
यह मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली जिले में एक द्वीप श्रीरंगम में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण छठी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच हुआ था। एक समय था जब इसे दुनिया के सबसे बड़े मंदिर के रूप में जाना जाता था और अभी भी यह दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों में शुमार है। वर्तमान समय में यह भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। इस मंदिर का कुल क्षेत्रफल 6,31,000 वर्ग मीटर है।
यह मंदिर मुख्यतः हिन्दू देवता भगवान् रंगनाथ को समर्पित है। भगवान् रंगनाथ विशेष रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों में अधिकतर पूजे जाते हैं। इन्हे भगवान् विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। यह मंदिर अपने समय में इस पूरे क्षेत्र में वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र था। भारत पर विदेशी शासकों के अधिकार करने के उपरांत इस मंदिर को बहुत बार लूटा गया।
वर्ष 1323 ई से 1327 ई के बीच दिल्ली सल्तनत के शासक मुहम्मद बिन तुगलक की सेना ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था। तुगलक की सेना के आक्रमण के पूर्व ही इस मंदिर के पुजारियों और अन्य भक्तों के द्वारा मंदिर से भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमाओं को अलग-अलग स्थानों पर छिपा दिया गया ताकि उन प्रतिमाओं के साथ सल्तनत सेना दुर्व्यवहार ना कर सके। कहा जाता है कि इस युद्ध में करीब 11 हजार भक्तों ने अपनी जान गँवा दी थी।
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छतरपुर मंदिर:
यह मंदिर भारतीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। यह मंदिर माँ दुर्गे के नौ रूपों में से एक माँ कात्यायनी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण बाबा संत नागपाल के द्वारा करवाया गया था। इस का निर्माण कार्य वर्ष 1970 में पूरा हो गया था। यह मंदिर लगभग 2,80,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला है। सामान्यतः नवरात्री के दौरान इस मंदिर में भक्तों की भीड़ बहुत अधिक बढ़ जाती है। यह मंदिर दक्षिण दिल्ली में क़ुतुब मीनार से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अक्षरधाम मंदिर:
यह मंदिर भी भारतीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। इस मंदिर का क्षेत्रफल 2,40,000 वर्ग किलोमीटर है। इस मंदिर का निर्माण बोछासंवासी अक्षर पुरुषोतम स्वामीनारायण संस्था के द्वारा करवाया गया है। इस मंदिर के निर्माण में प्रमुख स्वामी महाराज का अहम् योगदान है। इस मंदिर का उद्घाटन 6 नवंबर 2005 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी. जे. अब्दुल कलाम, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और बी. एल. जोशी की उपस्थिति में प्रमुख स्वामी महाराज जी द्वारा किया गया था।
बैसाकिह मंदिर (Besakih Temple):
यह मंदिर इंडोनेशिया के बाली द्वीप के माउंट औगुँग पर स्थित है। यह लगभग 2,00,000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला है। इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था इस बारे में ठीक-ठीक कह पाना थोड़ा मुश्किल है परन्तु मंदिर में प्रयोग किये गए पदार्थों के अध्ययन से यह लगभग 2000 साल पुराना मंदिर मालूम पड़ता है। बाली द्वीप पर निवास करने वाले हिन्दुओं के लिए यह आस्था का एक बहुत बड़ा केंद्र हैं।
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बेलूर मठ (Belur Math):
यह मंदिर पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के पश्चिमी किनारे पर बेलूर नामक स्थान पर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना स्वामी विवेकानंद के द्वारा की गई थी। इस मंदिर की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें हिन्दू, इस्लामिक, बौद्ध और क्रिस्चियन शिल्प का प्रयोग किया गया तथा दुनिया को धार्मिक एकता का सन्देश दिया गया है। इस मंदिर को रामकृष्ण मिशन का हृदय स्थल कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1938 में पूरा हुआ था। यह मंदिर लगभग 1,60,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैला है।
थिल्लई नटराज मंदिर (Thillai Nataraja Temple):
यह मंदिर तमिलनाडु राज्य के कडलोर जिले के चिदंबरम नामक स्थान पर स्थित है। इसे चिदंबरम नटराज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर मुख्यतः भगवान् शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण करीब पांचवी शताब्दी के आस-पास हुआ था। यह मंदिर भी 1,60,000 वर्ग मीटर की क्षेत्रफल में फैला है।
प्रम्बानन अथवा राजा जोंगरंग मंदिर:
यह मंदिर इंडोनेशिया में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर मुख्यतः त्रिमूर्ति अर्थात भगवान् ब्रम्हा, विष्णु और शिव को समर्पित है। यह मंदिर यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज साइट के अंतर्गत वर्णित है। यह मंदिर करीब 152000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला है।
बृहदेश्वर मंदिर:
यह मंदिर तमिलनाडु के तंजौर जिले में कावेरी नदी के दक्षिण दिशा में स्थित है। इस मंदिर को राजराजेश्वरम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक हिन्दू मंदिर है और भगवान् शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राज राजा चोल प्रथम के द्वारा 1003 ई. से 1010 ई. के बीच करवाया गया था। यह मंदिर यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज साइट में सूचीबद्ध है।
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