जबलपुर, मध्य प्रदेश का एक प्रमुख शहर है। इस शहर का ऐतिहासिक महत्व भी है। जबलपुर अपने विविधताओं के लिए भी भारत सहित दुनिया भर में प्रचलित है। यदि आप ऐतिहासिक दर्शनीय स्थलों के साथ-साथ रोमांचित करने वाले स्थलों के भ्रमण का शौक रखते हैं तो जबलपुर आपके लिए एक बेहतर टूरिस्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकता है।
कैसे पहुंचे जबलपुर?
जबलपुर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों के साथ-साथ देश भर के प्रमुख शहरों से भी प्रत्येक प्रकार के यात्री सुविधाओं जैसे, हवाई मार्ग, रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग से जुड़ा है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जबलपुर की दूरी करीब 310 किलोमीटर है। वहीँ देश की राजधानी दिल्ली से जबलपुर की दूरी लगभग 844 किलोमीटर है।
जबलपुर अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी से करीब 500 किलोमीटर दूर तथा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 350 किलोमीटर दूर स्थित है। देश के अन्य प्रमुख शहरों से यहाँ रेल मार्ग, सड़क मार्ग, तथा हवाई मार्ग से सीधे पहुंचा जा सकता है।
कहाँ-कहाँ घूमे?
जबलपुर स्थानीय पर्यटकों के साथ-साथ देश भर के पर्यटकों के लिए एक बेहतर पर्यटन स्थल है। यहाँ पर्यटकों के घूमने के लिए एक से एक पर्यटन स्थल स्थित हैं जो पर्यटकों की जबलपुर यात्रा को यादगार बना सकते हैं। तो आईये एक-एक करके जबलपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1- धुआँधार जलप्रपात (Dhuandhar Falls):
नर्मदा नदी पर स्थित धुआँधार जलप्रपात जबलपुर के सभी दर्शनीय स्थलों में सबसे प्रमुख है। धुआँधार जलप्रपात की विशेषता इसके नाम में ही छुपी है। धुआँधार दो शब्दों ‘धुआँ’ और ‘धार’ से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है कि इस जलप्रपात पर पानी के धार और बहाव से यहाँ का वातवरण धुँए से भर जाता है। इसी विशेषता के कारण इस जलप्रपात को ‘धुआंधार जलप्रपात’ के नाम से जाना जाता है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से धुआंधार जलप्रपात की दूरी लगभग 20 किलोमीटर हैं। धुआँधार जलप्रपात जबलपुर के भेड़ाघाट में स्थित है। इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 30 मीटर तक है। धुआँधार जलप्रपात के बेहतर दर्शन के लिए यहाँ रोपवे भी बनाया गया है जिसके द्वारा आप इस जलप्रपात का पूर्ण और अतिसुन्दर दर्शन कर सकते हैं।
वैसे तो वर्ष भर धुआंधार जलप्रपात में पानी का बहाव होता रहता है लेकिन यहाँ घूमने और अच्छे नज़ारे का आनंद उठाने के लिए नवंबर से मार्च तक का समय सबसे उचित समय होता है। मार्च महीने के बाद यहाँ का मौसम अत्यधिक गर्म हो जाता है और उसके बाद मानसून के समय यहाँ अत्यधिक जलभराव हो जाता है जिससे एक सुन्दर नजारे का आनंद ले पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 20 किलोमीटर
2- भेड़ाघाट की मार्बल पहाड़ियाँ (Bhedaghat Marble Rocks):
जबलपुर के दर्शनीय स्थलों में भेड़ाघाट की मार्बल पहाड़ियाँ दूर-दूर से लोगों को अपनी ओर खींच कर लाती हैं। इन मार्बल पहाड़ियों की प्राकृतिक बनावट और खूबसूरती लोगों को अद्भुत अनुभव देती है। ये पहाड़ियां नीले, काले, सफ़ेद, हरे इत्यादि रंगों में रंगी हुई हैं।
इन पहाड़ियों की ऊंचाई करीब 100 फ़ीट तक है जिनके बीच से बहती हुई नर्मदा नदी पर पर्यटक बोट में सवार होकर एक बेहतरीन सफर के हमसफ़र बनते हैं। भेड़ाघाट की मार्बल पहाड़ियों के अद्भुत दर्शन के लिए आप कुछ किराया देकर बोट से जा सकते हैं।
वहीँ अगर इन पहाड़ियों के खूबसूरत नज़ारे का अनुभव आसमान की ऊंचाइयों से लेना चाहते हैं तो आप रोपवे के माध्यम से जा सकते हैं। सूर्यास्त के समय इन पहाड़ियों के बीच से बोट पर सवार होकर गुजरना एक अलग अनुभव होता है। वहीं चांदनी रात में चाँद की उपस्थिति में इन पहाड़ियों को निहारना भी पर्यटकों को अनुपम सुकून देता है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 20 किलोमीटर
3- मदन महल फोर्ट (Madan Mahal fort):
जबलपुर शहर के एक पहाड़ी पर बना मदन महल फोर्ट भी पर्यटकों के लिए पर्यटन की दृष्टि से एक अच्छा डेस्टिनेशन है। इस फोर्ट का निर्माण जबलपुर के तत्कालीन शासक राजा मदन सिंह के द्वारा करवाया गया था। मदन महल फोर्ट 11 शताब्दी का किला है। इसका निर्माण आक्रमणकारियों पर नजर रखने के लिए किया गया था।
मदन महल फोर्ट से जबलपुर के अद्भुत नज़ारे दिखाई देते हैं और इसके साथ ही साथ आप जबलपुर के इतिहास से रूबरू हो पाते हैं। इस फोर्ट के पास ही मदन महल फोर्ट रेलवे स्टेशन भी स्थित है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 8 किलोमीटर
4- बैलेंसिंग रॉक (Balancing Rock):
जबलपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से बैलेंसिंग रॉक भी एक प्रमुख स्थल है। बैलेंसिंग रॉक कुछ क्षण के लिए आपको देखने में बेहद आसान सा दिखेगा लेकिन जब आप इसके बारे में जानेंगे तो आप चौंक सकते हैं।
दरअसल बैलेंसिंग रॉक का निर्माण प्राकृतिक तरीके से हुआ है जिसमे पत्थर के एक आधारशिला पर पत्थर का एक दूसरा बड़ा भाग सदियों से टिका हुआ है। ऊपर का पत्थर निचले पत्थर पर मात्र 6 वर्ग इंच के हिस्से से ही जुड़ा है। बैलेंसिंग रॉक 6.5 रिएक्टर स्केल के भूकंप को भी झेल चुका है लेकिन आज तक गिरा नहीं।
मदन महल फोर्ट से इसकी दूरी महज कुछ क़दमों की ही है। यानि मदन महल फोर्ट और बैलेंसिंग रॉक का दर्शन आप एक ही साथ कर सकते हैं। बैलेंसिंग रॉक से जबलपुर के बेहद खूबसूरत नज़ारे दिखाई पड़ते हैं जो आपके ट्रिप को यादगार बना देंगे।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 8 किलोमीटर
5- चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini Temple):
जबलपुर में ही आपको चौसठ योगिनी मंदिर के दर्शन का भी मौका मिलेगा। चौसठ योगिनी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर में देवी दुर्गा के साथ साथ अन्य 64 योगिनी की भी मूर्ती स्थापित है। यह एक गोलाकार आकृति में बना मंदिर है। जिसमे पत्थरों पर विभिन्न देवियों की मूर्तियां बनी है।
चौसठ योगिनी मंदिर भी जबलपुर के भेड़ाघाट में नर्मदा नदी के पास ही स्थित है। यदि आप जबलपुर पहुंचकर अन्य स्थलों का दर्शन करते हैं तो इस मंदिर का दर्शन करना भी ना भूले। यह मंदिर भारतीय ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 20 किलोमीटर
6- बारगी डैम (Bargi Dam):
अब जब जबलपुर की यात्रा पर पहुँच ही गए हैं तो चलिए थोड़ा रोमांचित होने का लुत्फ़ भी उठा लीजिये। जबलपुर शहर के पास ही नर्मदा नदी पर बारगी डैम स्थित है। वैसे तो इस डैम का निर्माण कई अन्य कारणों जैसे सिंचाई परियोजना इत्यादि के लिए किया गया है लेकिन इस डैम के पास ही एक सुन्दर लेक का भी निर्माण किया गया है।
बारगी डैम के पास बने लेक में पर्यटकों के मनोरंजन का पूरा ध्यान रखा गया है। लेक में बोटिंग की समुचित व्यवस्था है जहाँ पहुंचकर आप बोटिंग का आनंद उठा सकते हैं। इस डैम के पास ही रिसोर्ट हैं जहाँ रुकने के समुचित व्यवस्था भी है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 33 किलोमीटर
7- रानी दुर्गावती संग्रहालय (Rani Durgawati Museum):
जबलपुर की यात्रा के दौरान आपको रानी दुर्गावती संग्रहालय घूमने का मौका भी मिलेगा। यह संग्रहालय आपको जबलपुर के इतिहास के साथ-साथ भारतीय इतिहास से भी रूबरू करवाएगा। रानी दुर्गावती संग्रहालय में महात्मा गाँधी से जुड़े कुछ पत्र और उनकी पुरानी तस्वीरें देखने को मिल जाएँगी।
इसके साथ ही साथ आदिवासी समुदाय से जुड़े प्राचीन शिलालेख और मूर्तियों का सुन्दर संग्रह भी देखने को मिलेगा। रानी दुर्गावती संग्रहालय की स्थापना साल 1976 ई. में हुई थी। यह संग्रहालय जबलपुर शहर में ही स्थित है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 7 किलोमीटर
8- पिसनहारी की मढ़िया (Pisanhari Ki Madhiya):
जबलपुर की आपकी यात्रा में पिसनहारी की मढ़िया एक ऐसा दर्शनीय स्थल है जो आपके हृदय को अति-प्रसन्न कर देगा। पिसनहारी की मढ़िया एक जैन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1442 में हुआ था। पिसनहारी की मढ़िया मंदिर का निर्माण आटा पीसने वाली एक महिला के द्वारा करवाया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि उस महिला ने आटा पीसकर कुछ धन बचाये थे और उसी धन से उसने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर जबलपुर के एक पहाड़ी क्षेत्र पर स्थित है। मंदिर के मुख्य द्वार पर उस महिला की मूर्ती स्थापित है और मंदिर के ऊपरी हिस्से में हाथ से आटा पीसने की चक्की भी रखी है।
पिसनहारी मंदिर 13 छोटे-छोटे मंदिरों का एक समूह है। इस मंदिर में जैन तीर्थंकर की 152 मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर परिसर में एक गर्भ-गृह भी है। पिसनहारी की मढ़िया मंदिर परिसर में भगवान् बाहुबली की 55 फुट ऊँची मूर्ती भी स्थापित है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 7 किलोमीटर
9- तिलवारा घाट (Tilwara Ghat):
जबलपुर के सभी पर्यटन स्थलों में तिलवारा घाट का भी नाम शामिल है। यह घाट नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। तिलवारा घाट अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रख्यात है। इस घाट के पास ही भगवान् शिव का तिलवादेश्वर मंदिर भी स्थित है।
तिलवारा घाट का ऐतिहासिक महत्व भी है। महात्मा गाँधी की अस्थियों को यहीं नर्मदा नदी में विसर्जित किया गया था। तिलवारा घाट धुआंधार जलप्रपात के पास ही स्थित है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 20 किलोमीटर
10- श्री विष्णु वराह मंदिर (Shri Vishnu Varah Temple):
जबलपुर की यात्रा के दौरान शहर से कुछ ही दूर मझौली में स्थित श्री विष्णु वराह मंदिर का दर्शन करना ना भूलें। इस मंदिर में भगवान विष्णु के वराह अवतार की मूर्ती स्थापित है। इस मूर्ती का सम्बन्ध 11 वीं शताब्दी से है।
ऐसा कहा जाता है कि एक बार एक मछुआरा यहीं पास के एक तालाब में मछली पकड़ रहा था। जहाँ उसे भगवान् विष्णु की यह मूर्ती मिली थी। जब यह मूर्ती मछुआरे को मिली थी उस समय इसका आकार अत्यंत छोटा था। समय के साथ इस मूर्ती का आकार बढ़ता गया।
श्री विष्णु वराह मंदिर के दर्शन हेतु दूर-दूर से लोग यहाँ पहुँचते रहते हैं। जबलपुर के पास पर्यटन की दृष्टि से भी यह एक बेहतर विकल्प है जो आपको इतिहास के सुनहरे काल से अवगत कराता है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूरी- 45 किलोमीटर
11- ग्वारी घाट (Gwari Ghat):
जबलपुर के पास ही नर्मदा नदी के किनारे ग्वारी घाट स्थित है। ग्वारी घाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ की सुंदरता ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है और लोग यहाँ खींचे चले आते हैं। ग्वारी घाट जबलपुर रेलवे स्टेशन से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
ग्वारी घाट पर प्रत्येक दिन शाम के समय आरती होती है जो यहाँ के वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। इस घाट के किनारे साईं बाबा का एक मंदिर स्थित है तथा सिक्खों द्वारा यहाँ एक गुरुद्वारा भी स्थापित करवाया गया है।
जबलपुर रेलवे स्टेशन से दूर- 8 किलोमीटर