हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता और राजनीतिज्ञ परेश रावल को हाल ही में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। अभिनेता परेश रावल के बारे में तो लगभग हम सभी जानते है पर नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के बारे में सभी नहीं जानते हैं तो अब यहां यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा क्या है? इस स्कूल में क्या होता है? हालांकि नाम से पता चल रहा है कि ये कुछ-कुछ ड्रामा से संबंधित है लेकिन यहां ड्रामा के बारे में क्या होता है, क्या पढ़ाया जाता है और किसको पढ़ाया जाता है? चलिए यहां जानेंगे सब कुछ कि आखिर क्या है ये नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा जिसके चेयरमैन अभिनेता-नेता परेश रावल बनाए गए हैं।
क्या है नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा?
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की स्थापना 1959 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा की गई थी। यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। 1975 में इसे स्वतंत्र संस्था बना दिया गया था। संस्था में एक डायरेक्टर और एक चेयरमैन होते हैं। संस्था के डायरेक्टर सुरेश शर्मा जी हैं जबकि इसके चेयरमैन परेश रावल जी को नियुक्त किया गया है। यह संस्था नई दिल्ली में स्थित है। नई दिल्ली के अलावा इसकी क्षेत्रीय इकाईयां बैंगलोर और वाराणसी में भी हैं। इस संस्था द्वारा सुनियोजित पाठ्यक्रम के माध्यम से रंगमंच के हर-एक पहलू का प्रशिक्षण दिया जाता है।
एडमिशन के लिए योग्यता-
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में एडमिशन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से फॉर्म भरा जाता है। एडमिशन फॉर्म फरवरी/मार्च महीने में आते हैं। फॉर्म भरने के लिए स्टूडेंट्स को ग्रेजुएट होने के साथ-साथ कम से कम 6 नाटकों में अभिनय का अनुभव होना चाहिए। एडमिशन के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा अधिकतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को आयु में 5 वर्ष की छूट मिलती है।
एडमिशन प्रक्रिया क्या है?
कुल फॉर्म भरे जाने के बाद नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा द्वारा उन सभी अभ्यर्थियों को एक स्पीच, कुछ कवितायेँ और कुछ नाटक भेजे जाते हैं। अभ्यर्थियों को स्वयं भी एक स्पीच अपने मातृभाषा में तैयार करनी होती है। सभी अभ्यर्थियों का उनके क्षेत्रीय केंद्रों पर नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा द्वारा दिए गए मटेरियल के आधार पर टेस्ट लिया जाता है। इस टेस्ट में देश भर से करीबन 120 अभ्यर्थियों को चुना जाता हैं। अब चुने गए 120 अभ्यर्थियों का नई दिल्ली में चार दिनों का एक वर्कशॉप होता है और उसी वर्कशॉप के आधार पर प्रत्येक सत्र के लिए मात्र 26 अभ्यर्थियों को चुना जाता है।
कितना फीस लगता है?
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा द्वारा तीन साल के इस कोर्स का कोई भी फीस नहीं लिया जाता है। यह पूरी तरह से भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा वित् पोषित है। प्रत्येक विद्यार्थी को यहाँ स्कॉलरशिप दी जाती है जिसके द्वारा वह अपनी मेस फीस, हॉस्टल फीस के अलावा अन्य सभी खर्च वहन कर पाता है।
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के एलुमनी (पूर्व विद्यार्धी)-
देश के इस नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा ने देश-दुनिया को बहुत से महान कलाकार दिए हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में स्वयं के साथ-साथ संस्था का नाम भी रोशन किया है। संस्था के कुछ एलुमनी निम्न हैं।
आशुतोष राणा, अनू कपूर, अनुपम खेर, नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी, संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी, राजपाल यादव, इरफ़ान खान, रघुवीर यादव, यशपाल शर्मा, ओम पूरी, मुकेश तिवारी इत्यादि हैं