हमे बचपन से सिखाया जाता है कि यदि हम अच्छा कार्य करेंगे तो हमे स्वर्ग मिलेगा और बुरा कार्य करेंगे तो नर्क। यह मान्यता तक़रीबन दुनिया के सभी देशों और धर्मों में विद्यमान है। हिंदी में इसे स्वर्ग- नर्क कहा जाता है, उर्दू में इसे जन्नत-जहन्नुम कहा जाता है और अंग्रेजी भाषा में इसे हेवेन-हेल कहा गया है। दुनिया के अन्य देशों में भी यह विद्यमान है। नर्क का तात्पर्य बुरे से और स्वर्ग का तात्पर्य अच्छे से है। अब इस पृथ्वी पर भी यदि कुछ अच्छा मिल जाता है तो लोग उसकी तुलना स्वर्ग से कर देते हैं और यदि कुछ बहुत बुरा मिल जाता है तो उसकी तुलना नर्क से कर बैठते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं यमन देश में स्थित ऐसे ही एक जगह के बारे में जिसे “यमन का नर्क” कहा जाता है।
यह भी पढ़ें:
- आखिर क्या है मध्य प्रदेश स्थित ‘भीमकुण्ड” का राज?
- राजस्थान के इस मंदिर में क्यों की जाती है हजारों चूहों की पूजा?
बारहोत का कुंआ:
यमन देश के बारहोत में एक कुंआ है जिसे बारहोत के कुंआ के नाम से जाना जाता है लेकिन इसका सबसे प्रचलित नाम ‘यमन का नर्क’ है। यह एक प्राकृतिक कुंआ है। शायद मानवनिर्मित भी हो सकता है क्यूंकि अभी तक इसके बारे में बहुत अधिक अध्ययन नहीं किया गया है। इस कुंए के मुहाने की चौड़ाई करीब 30 मीटर तक है और लम्बाई लगभग 110 मीटर है।
क्यों इसे नर्क का कुंआ कहा जाता है?
इसे नर्क का कुंआ कहे जाने के पीछे प्रचलित क्षेत्रीय कहानियां हैं। चूंकि यमन एक पिछड़ा देश है जहाँ हमेशा युद्ध की स्थिति बनी रहती है। इसीलिए वहां दुनिया के अन्य देशों के वैज्ञानिकों, भू-विज्ञानियों ने बहुत अधिक अध्ययन नहीं किया है। जिसके परिणामस्वरूप लोगों ने वर्षों से चली आ रही कहानियों के आधार पर इसे नर्क का कुंआ ही मान लिया गया है। स्थानीय कहानियों के अनुसार इसे जिन्नों को सजा देने के लिए बनाया गया है। कुछ लोगों को मानना है कि इसके बारे में बात करने से भी अशुभ घटनाएं हो सकती हैं।
यह भी पढ़ें:
इसकी सच्चाई:
21 सितम्बर 2021 को ओमान के गुफा अध्ययनकारियों द्वारा इसका अध्ययन करने का प्रयास किया गया। इस समूह की एक टुकड़ी इस कुंए में उतरी थी। कुंए के अंदर इस टीम को मरे हुए सांप, कुछ मोतियां, चिड़ियों की निर्जीव अवशेष इत्यादि मिले हैं। इस कुंए में जीवन संभव नहीं है क्यूंकि यहाँ इसके निचले सतह पर ऑक्सीजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है। ऑक्सीजन के अलावा भी जीवित रहने के लिए आवश्यक अन्य घटक भी यहाँ उपलब्ध नहीं है जिसके कारण मनुष्य के साथ-साथ जानवरों का जीवन भी यहाँ दूभर है।
नर्क से कम नहीं:
इसे यदि वर्षों से नर्क के नाम से जाना जाता है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्यूंकि यदि एक बार इसमें कोई व्यक्ति या जीव गलती से अंदर चला गया तो उसकी मृत्यु तय है। हालाँकि इसमें अध्ययन के लिए गए वैज्ञानियों ने यहाँ से मिले अवशेषों का सैंपल एकत्रित कर लिया है। अब देखने वाली बात है कि अध्ययन के उपरांत भी इसे यमन का नर्क कहा जाएगा या धीरे-धीरे एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित हो जाएगा।
यह भी पढ़ें: