सन 1947 में देश की आजादी के बाद से देश के कई महान नेताओं सहित सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा जी-जान लगाकर देश को एकजुट करने का प्रयास किया गया। उन्होंने देश के छोटे-बड़े करीब 584 रियासतों को एक साथ एकजुट कर एक महान देश बनाने में अपना योगदान दिया लेकिन देश के कुछ तत्कालीन नेताओं द्वारा उठाये गए क़दमों के कारण जम्मू और कश्मीर रियासत का विलय स्थाई रूप से ना हो सका जिसके परिणामस्वरूप आज आजादी के करीब 75 वर्ष बाद भी जम्मू और कश्मीर एक विवाद का कारण बना हुआ है।
क्या है गुपकार समूह
5 अगस्त 2019 को भारत सरकार द्वारा संविधान संशोधन कर आर्टिकल 370 को हटा दिया गया। इस आर्टिकल से जम्मू और कश्मीर राज्य को भारत सरकार से इतर बहुत सी शक्तियां प्राप्त थीं लेकिन इस आर्टिकल के हटने से राज्य की वो सारी शक्तियां समाप्त हो गई और अब वह पूर्णरूपेण भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया था लेकिन भारत सरकार द्वारा आर्टिकल 370 का हटाया जाना देश के कई राजनीतिक पार्टियों को स्वीकार नहीं था और उन सभी पार्टियों ने इसके खिलाफ 4 अगस्त 2019 को ही एक समूह का गठन कर लिया जिसका नाम था गुपकार समूह। गुपकार समूह का नाम उस रोड के नाम पर है जिस रोड पर फारूक अब्दुल्लाह का घर है।
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इसमें 6 राजनीतिक पार्टिया हैं शामिल
गुपकार समूह 6 राजनीतिक पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), पीपल्स कांफ्रेंस और जम्मू कश्मीर आवामी नेशनल कांफ्रेंस का समूह है। जब से फारूक अब्दुल्लाह और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती नजरबंदी से वापस लौटे हैं तब से गुपकार समूह का नाम फिर से चर्चा में आ गया। इस समूह की कार्यशैली फिर से सक्रिय हो गई है।
इस समूह का मुख्य लक्ष्य जम्मू कश्मीर को फिर से आर्टिकल 370 के कवच से ढकना है।
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