जीवन में कई बार ऐसा होता है जब इतिहास खुद को दुहराते हुए चमत्कारिक रूप से किसी ऐसे बिछड़े से मिला देता है जिससे दुबारा कभी मिलने की उम्मीद ना रही होती है। कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के ग्वालियर से।
दरअसल ग्वालियर, मध्य प्रदेश में चुनाव ड्यूटी में लगे डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय भदौरिया अपने काम से कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक अधेड़ उम्र का भिखारी ठण्ड में काँपते हुए दिखा। उन्होंने ने मानवता और अपने फर्ज के नाते रुककर उसकी मदद करनी चाही।
वे लोग गाड़ी से उतरकर उस भिखारी से मिले और उसे कुछ खाने और पहनने के लिए दिए। फिर कुछ-कुछ बातचीत शुरू हुई, बातों ही बातों में जब उन्हें उस भिखारी की सच्चाई पता चली तो वे दंग रह गए।
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दरअसल वह भिखारी एक पूर्व पुलिस अधिकारी था और उससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह थी कि वह व्यक्ति डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर के बैच का ही अधिकारी था। दोनों लोगों ने एक ही साथ वर्ष 1999 में पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर ज्वाइन किया था।
उस भिखारी का नाम मनीष मिश्रा है। मनीष मिश्रा अपने बैच में एक अचूक निशानेबाज थे। मनीष मिश्रा के घर-परिवार में सभी अच्छे पदों पर कार्यरत हैं। उनके भाई थानेदार हैं, उनके पिता और चाचा एसएसपी के पद से रिटायर हुए थे, उनकी बहन किसी दूतावास में एक अच्छे पद पर कार्यरत हैं। उनकी पत्नी जिनसे उनका तलाक हो गया है भी न्यायिक विभाग में किसी पद पर कार्यरत हैं।
मनीष मिश्रा की मानसिक स्थिति धीरे-धीरे ख़राब हो गई थी और एक दिन अचानक अपने घर से गायब हो गए थे लेकिन वर्षों बाद ईश्वर ने उन्हें उनके ही मित्रों के सामने लाकर खड़ा कर दिया। मनीष मिश्रा के मित्र रत्नेश सिंह तोमर ने अब उनका इलाज भी शुरू करवा दिया है।
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