कौन नहीं चाहता कि इस दुनिया से जाने के बाद भी वह कुछ ऐसी निशानी छोड़ जाए जिसे देख लोग उसे याद करें। अब ये निशानी कई तरह की हो सकती है जैसे कोई लेखक कोई किताब लिख जाता है जिसके वजह से लोग उसे जानते है, कोई पेंटर कुछ विशेष पेंटिंग बना जाता है जिससे उसकी पहचान जुड़ जाती है, कोई संगीतकार अपनी धुन से, कोई समाजसेवी अपने समाजसेवा से और इस तरह से हजारों ऐसे माध्यम हैं जिनसे लोग अपनी पहचान छोड़ जाते हैं। आज से सैकड़ों साल पहले बड़े-बड़े राजा महाराजा बड़े-बड़े किले-महल बनवाकर खुद को अमर कर गए लेकिन वर्तमान समय में देश के सर्वोच्च नेता स्वयं को अमर करने के लिए और कुछ बड़ा नहीं कर पाते हैं तो अपनी मूर्ति ही बनवा कर स्वयं को अमर करने का एक छोटा प्रयास कर लेते हैं।
हाल ही में ऐसा ही कुछ वाकया हुआ अमेरिका में। एक खबर वायरल होने लगी की अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प खुद के चेहरे को अमेरिका के प्रसिद्ध माउंट रशमोर पर बनवाना चाहते हैं जिससे जगह-जगह उनकी आलोचना होने लगी। आखिरकार उन्हें ट्वीट कर यह जानकारी देनी पड़ी कि उनकी ऐसी कोई इच्छा नहीं है और यह खबर पूरी तरह फेक है।
दरअसल,अभी जुलाई में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राज्य साउथ डकोटा गए, वहां के गवर्नर ने माउंट रशमोर के रेप्लिका के साथ उनका स्वागत किया जिसपर देश के अन्य चार राष्ट्रपतियों के साथ ट्रम्प का चेहरा भी जुड़ा हुआ था। इस विजिट के बाद वाइट हाउस के द्वारा माउंट रशमोर से जुड़े ऑफिस से पूछा गया कि “माउंट रशमोर पर प्रेसिडेंट्स का चेहरा लगवाने का प्रोसेस क्या होता है।” इसी कारण यह खबर वायरल हो गई कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प माउंट रशमोर पर अपना चेहरा जुड़वाना चाहते हैं।
माउंट रशमोर क्या है?
संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य साउथ डकोटा में माउंट रशमोर स्थित है। 1920 में मूर्तिकार Gutzon Borglum द्वारा माउंट रशमोर पर अमेरिका और अमेरिका के लोगों की भलाई के लिए कार्य करने वाले राष्ट्रपतियों के मूर्तियों को चित्रित करने का कार्य शुरू किया गया। इसके लिए अमेरिका के चार राष्ट्रपतियों को चुना गया। जॉर्ज वाशिंगटन को उनके राष्ट्र निर्माण में अहम् योगदान के लिए, थॉमस जैफरसन को अमेरिका के विस्तार के लिए, अब्राहम लिंकन को अमेरिका को संरक्षित रखने और गुलामों को स्वतंत्र करने के लिए और थिओडोर रूजवेल्ट को अमेरिका में औद्योगिक विस्तार के लिए।
पहले राष्ट्रपतियों की मूर्तियों को उनके चेहरे से कमर तक चित्रित करने का विचार था परन्तु 1941 में फण्ड ख़त्म हो जाने के कारण बस उनके चेहरे तक को ही चित्रित किया जा सका। यह मेमोरियल पार्क 1278 एकड़ में स्थित है।