केरल भारत के दक्षिणतम हिस्से में स्थित प्राकृतिक सुंदरता को स्वयं में बसाने वाला राज्य है। यह प्राकृतिक रूप से सुन्दर होने के साथ-साथ अनेक पारम्परिक त्योहारों को भी संजोने वाला राज्य है। यहाँ मनाए जाने वाले त्योहार (Festivals) देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। तो चलिए आज हम केरल राज्य में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों (Famous Festivals of Kerala) के बारे में विस्तार से बताते हैं।
ओणम (Onam):
ओणम केरल में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में सबसे प्रमुख त्योहार है। दुनिया भर से लाखों की संख्या में लोग इस त्योहार को देखने और इसका आनंद उठाने के लिए इस त्योहार के समय केरल पहुँचते हैं। यह त्योहार हिन्दू धर्म के अनुपालकों द्वारा अपने इष्ट महाबली की याद में मनाया जाता है। प्राचीन काल में महाबली केरल के महान शासक हुए थे।
कहा जाता है कि राजा महाबली प्रसिद्ध ऋषि कश्यप के पुत्र हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लाद के पोते थे। राजा महाबली के बारे में प्रचलित एक कथा के अनुसार एक बार राजा महाबली और देवताओं के बीच युद्ध होने लगा जिसमे देवता जब हारने लगे तब वे लोग भगवान् विष्णु से मदद मांगने पहुंचे परन्तु भगवान विष्णु मदद करने से मना कर दिए क्यूंकि राजा महाबली उनके बहुत बड़े भक्त थे। राजा महाबली ने देवताओं पर विजय प्राप्त करने के उपरांत एक यज्ञ का आयोजन किया। राजा महाबली ने इस यज्ञ में घोषणा किया कि जिसे जो कुछ भी चाहिए मांग सकता है। मैं आज किसी को खाली हाथ नहीं जाने दूंगा।
इस यज्ञ में भगवान् विष्णु ने एक बौने बालक का रूप धारण कर लिया जिसे उनके वामन अवतार के नाम से जाना जाता है। अपने वामन अवतार में वह राजा महाबली द्वारा आयोजित यज्ञ में पहुंचे गए। एक बौने के रूप में पहुंचे भगवान् विष्णु ने राजा महाबली से कहा कि मुझे किसी हाथी, घोड़े अथवा धन की आवश्यकता नहीं है। मैं बस आपके साम्राज्य में तीन कदम चलूँगा और इन तीन कदम में जितना भी क्षेत्र आएगा, मुझे बस वही चाहिए।
राजा महाबली सहमत हो गए। इसके उपरांत भगवान् विष्णु ने अत्यंत विशाल रूप धारण कर लिया और मात्र दो कदम में ही राजा महाबली का पूरा राज्य समाहित कर लिया। तीसरे कदम के लिए राजा महाबली ने भगवान् के लिए अपना सिर झुका लिया और भगवान से कहा कि आप अपना तीसरा कदम मेरे सिर पर रख सकते हैं। भगवान् विष्णु राजा महाबली के इस वचनवद्धता से अति प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा महाबली को वरदान देते हुए कहा कि आप युगो-युगो तक प्रत्येक वर्ष अपने लोगों के लिए इस पृथ्वी लोक पर आते रहेंगे।
राजा महाबली के ही याद में प्रत्येक वर्ष ओणम त्योहार पुरे हर्षोउल्लास के साथ केरल राज्य भर में मनाया जाता है। इस दिन तरह-तरह के पकवान बनते हैं जिन्हे केले के पत्ते रख कर खाया जाता है। इस दिन नदियों और झीलों में लम्बी-लम्बी नौकाओं पर रेस भी लगाया जाता है। यह त्योहार वास्तव में अपनी परम्परा को संजोएं हुए है।
विशु (Vishu):
विशु केरल और इसके सीमाओं से लगे आस-पास के राज्यों के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार केरल के साथ-साथ तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के कुछ क्षेत्रों तथा पांडिचेरी के माहे जिले में भी मनाया जाता है। यह फसल उत्पत्ति के उपरांत मनाया जाने वाला त्योहार है जो कि मुख्यतः अप्रैल माह के 14 या 15 तारीख को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
इस दिन भगवान् विष्णु और उनके अवतार भगवान् कृष्ण की पूजा की जाती है। सभी घरों में सुबह-सुबह उठकर पहले दर्शन हेतु कई प्रकार के वस्तुओं का प्रयोग कर भगवान् की एक झांकी बनाई जाती है जिसमे अमलतास के फूलों, नारियल, सोने-चांदी, कपड़े, अनाज, फलों, इत्यादि चीजों का प्रयोग किया जाता है।
जिस प्रकार उत्तर भारतीय हिन्दू धर्म के लोग दीवाली के दिन पटाखें फोड़ते है ठीक उसी प्रकार केरल में विशु त्योहार के दिन सभी लोग पटाखें फोड़ कर इस त्योहार को मनाते हैं। इस दिन एक प्रसिद्ध पकवान को अवश्य बनाते हैं जिसे सध्या (Sadhya) के नाम से जाना जाता है। इस पकवान में मुख्यतः नारियल, चावल और गुड़ का प्रयोग किया जाता है।
अट्टुकल पोंगाला (Attukal Pongala):
अट्टुकल पोंगाला केरल राज्य में हिन्दू धर्म के अनुपालकों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार अपने-आप में विशेष और सबसे अलग प्रकार का त्योहार है। यह 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इस त्योहार के 9वें दिन पूरे केरल राज्य भर से महिलायें राज्य के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित प्रसिद्ध अट्टुकल भगवती मंदिर पहुँचती है।
इस दिन सभी महिलाएं मंदिर प्रांगण में एक विशेष प्रकार का भोज मिट्टी के बरतन में पकाती हैं। यहाँ इकठ्ठा होने वाली महिलाओं की संख्या लाखों में होती है। वर्ष 1997 में करीब 15 लाख महिलाएं इस पूजा के लिए यहाँ इकठ्ठा हुईं थी जो एक विश्व रिकॉर्ड बन गया था और इसे ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ में वर्ष 1997 में शामिल भी किया गया था। वर्ष 2009 में करीब 25 लाख महिलाएं इस मंदिर में इकठ्ठा हुईं थी।
इस त्योहार की प्रसिद्धि पूरे केरल में इतना व्यापक है कि हिन्दू धर्म के साथ-साथ ईसाई धर्म की महिलाएं भी इस पूजा में शामिल होती हैं। इस मंदिर को महिलाओं का सबरीमाला मंदिर भी कहा जाता है।
त्रिसूर पूरम (Thrissur Pooram):
त्रिसूर पूरम त्योहार मुख्यतः केरल के त्रिसूर जिले के आस-पास ही मनाया जाता है। यह त्योहार मलयाली कैलेंडर के मेडम महीने के पूरम के दिन आयोजित किया जाता है जो संभवतः अप्रैल के आखिर या मई महीने के पहले सप्ताह में पड़ता है। इस त्योहार में 10 मंदिरों का समूह एक साथ पूजा में शामिल होता है। इन 10 मंदिरों को दो समूहों में बाँट दिया जाता है पहले समूह जिसे पश्चिमी समूह के नाम से भी जाना जाता है में 4 मंदिर जबकि दुसरे समूह जिसे पूर्वी समूह के नाम से जाना जाता है में 6 मंदिर शामिल होते हैं।
इस त्योहार के दिन त्रिसूर जिले में ऑफिशियल छुट्टी रहती है। यह उत्सव सबसे पहले झंडा रोहण के उपरांत शुरू होता है। इस उत्सव में हाथियों को बहुत ही सुन्दर तरीके से सजा कर शामिल किया जाता है। इस उत्सव में मुख्यतः भगवान् शिव की पूजा-आराधना की जाती है जिन्हे कि यहां भगवान् ‘वडाकुमनाथन’ के नाम से जाना जाता है।
इस उत्सव में संध्या कालीन के समय आतिशबाजी का शानदार प्रदर्शन किया जाता है। यह पूर्णतः रोमांचित करने वाला त्योहार है।
थेय्यम उत्सव (Theyyam Festival):
यह उत्सव भी केरल के प्रमुख उत्सवों में से एक है। इस उत्सव में मुख्य आकर्षण थेय्यम नृत्य करने वाले परम्परागत वेशभूषा धारण किये लोगों का होता है। थेय्यम मुख्यतः एक नृत्य का रूप होता है जो इस उत्सव के दिन केरल के उत्तरी मालाबार क्षेत्र के गाँवों में आयोजित किया जाता है। यह उत्सव केरल के साथ-साथ कर्नाटक राज्य के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। यह नृत्य गाँव के मुख्य देव-स्थान पर आयोजित किया जाता है।
थेय्यम नृत्य करीब 450 से अधिक प्रकार का होता है जिसमे एक नृत्य ‘देवाकूथू थेय्यम’ को महिलाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है बाकी सभी नृत्य पुरुषों के द्वारा ही किये जाते हैं। थेय्यम नृत्य का इतिहास बहुत ही पुराना है। थेय्यम के एक रूप जिसे कि विष्णुमूर्ति थेय्यम के नाम से जाना जाता है में भगवान् विष्णु के नरसिम्हा अवतार को दर्शाया जाता है। इस नृत्य में हिरणकशिपु और विष्णु भक्त प्रह्लाद के बीच घटित हुए घटनाओं को प्रतिबिंबित किया जाता है।
मकरविलाकू उत्सव (Makaravilakku Festival):
मकर विलाकू भी केरल राज्य के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मुख्यतः सबरीमाला मंदिर में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार से जुड़े एक कथा के अनुसार जब भगवान श्री राम और उनके भाई लक्ष्मण जंगल में घुमते-घुमते सबरी के पास पहुंचे और सबरी ने उन्हें जूठे बेर खिलाए थे। उसी जगह पर भगवान् श्री राम को एक महान तपस्वी तपस्या करते हुए दिखा।
भगवान् श्री राम ने सबरी उस तपस्वी के बारे में पूछा तो सबरी ने कहा कि इनका नाम सस्ता है और ये यहीं तपस्या करतें है। जब भगवान् श्री राम के आने की आहट सस्ता को मिली तो वह अपनी तपस्या से उठकर भगवान् श्री राम का आदर सत्कार किया।
जिस दिन यह घटना घटित हुई थी उसी दिन की याद में प्रत्येक वर्ष केरल के सबरीमाला मंदिर में हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मकरविलाकू उत्सव का आयोजन किया जाता है और हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
तिरुवातिरा त्योहार (Thiruvathira Festival):
तिरुवातिरा भी केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार का सम्बन्ध मुख्यतः महिलाओं से है। एक प्राचीन कहानी के अनुसार इस दिन प्रेम के देवता कामदेव की मृत्यु हुई थी और उन्ही की याद में इस त्योहार को मनाया जाता है जबकि एक दूसरी कहानी के अनुसार इस दिन भगवान् शिव का जन्म हुआ था।
इस त्योहार के दिन केरल राज्य की हिन्दू धर्म की महिलाएं विशेष तौर से अविवाहित युवतियां एक अच्छे वर (पति) के लिए व्रत रहती हैं। वहीं विवाहित महिलाएं भी अपने पति और परिवार की ख़ुशी के लिए इस दिन व्रत रहतीं हैं। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं चावल अथवा चावल से बने कोई भी भोज्य पदार्थ ग्रहण नहीं करती हैं।
केरल राज्य में यह एक प्रचलित मत है कि इस दिन महिलाओं को पान खाना चाहिए और अपने होंठो को लाल रखना चाहिए। एक मत तो यह भी है कि इस दिन महिलाओं को कम से कम 108 पान खाने चाहिए। इस दिन महिलाएं समूह में इकठ्ठा होकर पारम्परिक गीत गाती हैं और नृत्य भी करती हैं।
अरानमुला नौका रेस (Aranmula Boat Race):
अगस्त-सितम्बर महीने में केरल के अरानमुला में ओणम के मौके पर नौका रेस का आयोजन किया जाता है। इस रेस में सर्प नौकाओं (Snake Boats) के साथ पारम्परिक वेश-भूषा में नाविक रेस लगाते हैं। यह एक बेहद खूबसूरत और दर्शनीय प्रतिस्पर्धा है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ पहुँचते हैं।
दरअसल अरानमुला में स्थित पार्थसारथी मंदिर के पास ही पम्पा नदी में इसका आयोजन किया जाता है। यह मंदिर भगवान् श्री कृष्ण और अर्जुन को समर्पित है और यह भी माना जाता है कि इस त्योहार का आयोजन अर्जुन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता है।
क्रिसमस (Christmas):
यह सर्वविदित है कि केरल राज्य में हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म के साथ-साथ ईसाई धर्म के लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है। केरल राज्य में ईसाई धर्म के अनुपालकों की संख्या कुल जनसँख्या के लगभग 18-20 प्रतिशत है इसलिए यहाँ पर क्रिसमस एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
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