Flag या झंडा-
“Flag या झंडा” प्राचीन समय से ही प्रयोग में रहा है पर झंडे के इतिहास के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है कि झंडे का विकास सबसे पहले किस देश, महाद्वीप में हुआ था। प्राचीन समय में दो राजाओं के युद्ध के समय झंडों का प्रयोग हुआ करता था। यदि एक राजा युद्ध में पराजित हो रहा है और सामने वाले राजा के अधिपत्य को स्वीकार करना चाहता था तो वह युद्ध काल में सफ़ेद झंडे का प्रयोग करता था। किसी राज्य पर विजय स्थापित करने के फलस्वरूप उस राज्य की सीमा में अपने झंडे को फहराकर अपने अधिकार की घोषणा की जाती थी। ज्यों-ज्यों संस्कृतियों का विकास हुआ सभी राज्य, देश अपने राज्य-देश के अलग पहचान हेतु अपने संस्कृति, विविधता के आधार पर झंडे को अपनाते गए।
आधुनिक युग में भी सभी देशों के अपने-अपने राष्ट्रीय झंडे हैं। वर्तमान समय में भी युद्ध के समय अपने झंडे का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा जब कोई खिलाड़ी किसी खेल में विजय प्राप्त करता है तो वह अपने देश के झंडे के साथ खड़ा होकर अपने देश की पहचान दुनिया के सामने रखता है। जब कोई एस्ट्रोनॉट चन्द्रमा या किसी अंतरिक्ष यात्रा पर जाता है तो वह वहां भी अपने देश के झंडे को फहराकर अपने देश के प्रभुत्व को दिखाता है।
झंडे की उत्पत्ति-
झंडे के सटीक इतिहास की कोई जानकारी नहीं होने के बावजूद भी ईरान के शहदाद से उत्खनन में प्राप्त धातु के एक झंडे नुमा कृति को संभावित सबसे प्राचीन झंडा कहा जा सकता है। वर्तमान समय में प्रयोग हो रहे कपड़े के झंडे की खोज भारतीय उपमहाद्वीप अथवा चीन के झोउ सभ्यता में हुई थी।
संभावित सबसे प्राचीन झंडा |
राष्ट्रीय झंडा (National Flag)-
किसी राष्ट्र द्वारा अपने राष्ट्र के पहचान हेतु स्वीकार किये गए झंडे को राष्ट्रीय झंडा (National Flag) कहा जाता है। सभी राष्ट्रों के झंडों का आकार सामान्यतः चौकोर होता है परन्तु नेपाल राष्ट्र का झंडा त्रिभुजाकार है। डेनमार्क का झंडा सबसे पुराना झंडा है जिसे डेनमार्क द्वारा 1478 में स्वीकार किया गया था और उसी रूप में आज भी प्रयोग किया जा रहा है। नीदरलैंड का राष्ट्रीय झंडा सबसे पुराना झंडा है जिसमें सबसे पहले तीन रंगों का प्रयोग किया गया था। ऑस्ट्रेलिया, फिजी, नूजीलैंड और तुवालु देशों का झंडा यूनाइटेड किंगडम के झंडे पर आधारित है। संयुक्त राज्य अमेरिका के झंडे को “The Stars and Stripes Or Old Glory के नाम से भी जाना जाता है।
Flag of Nepal |
Dannebrog: Flag of Denmark |
Flag of Netherlands |
The Stars and Stripes or Old glory: Flag of USA |
भारतीय राष्ट्रीय झंडा (Indian National Flag)-
भारतीय राष्ट्रीय झंडे को तिरंगा कहा जाता है। यह नाम इसमें समाहित तीन रंगों केसरिया, सफेद और हरा के कारण पड़ा है। तीनों रंगों के अलग-अलग महत्व हैं। देश के पहले उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार “भगवा अथवा केसरिया रंग त्याग और निष्पक्षता को दर्शाता है और हमारे नेताओं को भौतिक सुखों के भोग के प्रति निष्पक्ष तथा अपने कार्य के प्रति समर्पित होने का राह दिखाता है। तिरंगे का सफेद रंग हमे सत्य का राह दिखाता है, हरा रंग मिट्टी और पेड़ पौधों से हमारे संबंधों को दिखाता है जिसपर कि सभी जीवों का जीवन आधारित हैं। तिरंगे के बीच में स्थित चक्र धर्म और नीति के साथ-साथ हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ते रहने को सिखाता है।” तिरंगा आयातकार होता है। इसके लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात 2:3 होता है। भारतीय तिरंगे का डिज़ाइन पिंगाली वेंकैया के द्वारा तैयार किया गया था।
भारतीय राष्ट्रीय झंडे का इतिहास (History of Indian National Flag)-
वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन के उपरांत देश में ब्रिटिश सरकार के प्रति लोगों में अत्यधिक गुस्सा भर गया था। लोग स्वदेशी आंदोलन में भाग लेकर ब्रिटिश सरकार का विरोध जता रहे थे। स्वदेशी आंदोलन में सभी को संगठित करने हेतु “वंदेमातरम् झंडे” को अपनाया गया। इस तिरंगे झंडे में आठ कमल के फूल थे जो देश के आठों प्रोविंस का प्रतिनिधित्व करते थे तथा झंडे के नीचे के लाल पट्टी में सूरज और चाँद का प्रतिरूप भी बना हुआ था। इस झंडे के बीच में देवनागरी लिपि में “वंदेमातरम्” भी लिखा हुआ था।
“वंदेमातरम्” झंडा |
वर्ष 1921 में महात्मा गांधी ने अपनी पत्रिका “Young India” में देश के लिए एक झंडे की आवश्यकता के बारे में लिखा। लाला हंसराज के सलाह पर पिंगाली वेंकैया को एक झंडा डिज़ाइन करने के लिए कहा गया जिसमे कि लाल और हरे रंग हो तथा झंडे के बीच में एक चरखा भी हो। लाल रंग हिन्दू तथा हरा रंग इस्लाम के प्रतिनिधित्व के लिए था लेकिन बाद में जब महात्मा गांधी को लगा कि इसमें अन्य धर्मों का प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है तो उन्होंने अन्य धर्मों के प्रतिनिधित्व के लिए इसमें सफ़ेद रंग जोड़ने को कहा। परन्तु आखिरकार महात्मा गांधी ने कुछ आत्मचिंतन के बाद कहा कि झंडे के रंग धर्मों का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे बल्कि लाल रंग त्याग के लिए, सफ़ेद रंग शुद्धता के लिए और हरा रंग आशा की किरण के लिए सम्बोधित किये जाएंगे।
Flag Introduced in 1921 |
मोतीलाल नेहरू द्वारा देश की एकता के लिए एक नए “स्वराज-ध्वज” को अपनाया गया। वर्ष 1931 में “स्वराज-ध्वज” भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आधिकारिक झंडे के रूप में अपना लिया गया। आजादी से पहले, संविधान सभा द्वारा 23 जून 1947 को भारतीय राष्ट्रीय झंडे के चुनाव हेतु एक कमिटी का गठन किया गया। कमिटी की अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद थे तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरोजिनी नायडू, सी. राजगोपलाचारी, के.एम्. मुंशी और बी.आर. अम्बेडकर इसके सदसय थे। 14 जुलाई 1947 को भारतीय राष्ट्रीय झंडे के स्वरुप में कुछ बदलाव कर उसे भारत के राष्ट्रीय झंडे के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
“स्वराज-ध्वज” |
झंडे में परिवर्तन स्वरुप चरखे के स्थान पर अशोक चिन्ह के चक्र को शामिल कर लिया गया। यह भी सुनिश्चित किया गया कि झंडे में किसी भी धर्म के प्रतिनिधित्व के लिए किसी भी रंग या चिन्ह को शामिल नहीं किया जाएगा। जवाहर लाल नेहरू के अनुसार झंडे का यह स्वरुप बहुत हद तक व्यावहारिक था पर गांधी जी इस परिवर्तन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे। अंततः जवाहर लाल नेहरू द्वारा झंडे के इस परिवर्तित स्वरुप को संविधान सभा के समक्ष 22 जुलाई 1947 को रखा गया जिसे संविधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। झंडे के इस परिवर्तित स्वरुप में केसरिया, सफ़ेद और गहरे हरे रंग को सामान अनुपात में रखा गया तथा झंडे के बीच में एक चक्र को शामिल किया गया जिसमे की 24 तीलियाँ थीं।
Tiranga: Indian National Flag |
तिरंगे के प्रयोग के नियम (Protocol for use of Tiranga)-
भारतीय राष्ट्रीय झंडे के प्रयोग हेतु कुछ नियम भी बनाये गए हैं जो कि “Flag Code of India” के अंतर्गत नियमित किये जाते हैं। जिनमे से कुछ निम्न है।
* किसी भी स्थिति में तिरंगे को जमीन अथवा पानी में नहीं गिराना चाहिए।
* तिरंगे को किसी भी चीज में डुबाया नहीं जाना चाहिए।
* तिरंगे में फूल के कलियों के अलावा किसी भी चीज को रखा नहीं जाना चाहिए।
* तिरंगे को हमेशा सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले फहराना चाहिए।
* तिरंगे का चित्रण कभी भी ऊपर से नीचे की तरफ नहीं किया जाना चाहिए अर्थात यदि तिरंगा क्षैतिज आकार में है तो केसरिया रंग ऊपर की तरफ तथा हरा रंग नीचे की तरफ होना चाहिए और यदि तिरंगा खड़ा है तो
केसरिया रंग हमेशा बाएं तथा हरा रंग हमेशा दाहिने तरफ होना चाहिए।
* केंद्रीय सैन्य अथवा अर्धसैनिक बलों के अंतिम संस्कार में तिरंगे को कॉफिन के ऊपर लपेटा जाता है जिसमे केसरिया रंग सिर के तरफ होता है। तिरंगे को शहीद के चिता के साथ दफनाया या जलाया नहीं जा सकता है।
वर्ष 2002 से पहले भारत के आम लोगों को 15 अगस्त (Independence Day) और 26 जनवरी (Republic Day) के अलावा किसी और दिन राष्ट्रीय झंडे को फहराने की अनुमति नहीं थी। भारत के एक व्यवसायी नवीन जिंदल द्वारा वर्ष 2001 में राष्ट्रीय झंडे को अपने ऑफिस के बिल्डिंग पर फहराने के आरोप में चेतावनी दी गयी कि उनका यह कार्य “Flag Code of India” के खिलाफ है। लेकिन व्यवसायी द्वारा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल (PUBLIC INTEREST LITIGATION) डाला गया। सुप्रीम कोर्ट ने नवीन जिंदल के पक्ष में सरकार से इस सम्बन्ध में विचार करने के लिए कहा जिसके फलस्वरूप सरकार द्वारा “Flag Code of India” में परिवर्तन कर देश के सभी नागरिकों को राष्ट्रीय झंडा 15 अगस्त (Independence Day) और 26 जनवरी (Republic Day) के अलावा भी फहराने का अधिकार दे दिया गया।