भारत में मौजूद सभी राजनीतिक पार्टियों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी सबसे पुरानी पार्टी है लेकिन अपने कुछ नीतियों के कारण वह धीरे-धीरे अपना जनाधार खोती नजर आ रही है। अब जब उन्ही नीतियों की आलोचना वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने की तो उनके ही पार्टी के उनसे कम ओहदे के नेता उनकी आलोचना करने से बाज नहीं आये।
दरअसल कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में कपिल सिब्बल ने कांग्रेस पार्टी की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा था कि पार्टी के आतंरिक ढाँचे में मूलभूत सुधार की आवश्यकता है। कपिल सिब्बल के इस बयान के बाद से कुछ कांग्रेसी नेता उनके खिलाफ हो गए।
जब कपिल सिब्बल से इस बारे में उनका मत जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी की कई नीतियों की खुलकर आलोचना की।
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद का मुद्दा-
इस मुद्दे पर कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई पार्टी बिना अध्यक्ष के कितने दिनों तक चल सकेगी। जब राहुल गाँधी जी ने डेढ़ साल पहले साफ़-साफ़ शब्दों में कह दिया था कि अब कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष गाँधी परिवार से नहीं होगा तो इस पर आगे कोई कार्यवाई क्यों नहीं होती और किसी नए व्यक्ति को अध्यक्ष को क्यों नहीं चुना जा रहा है।
पार्टी के भीतर लोकतंत्र की मांग-
कपिल सिब्बल ने पार्टी में लोकतंत्र की भी मांग की। उन्होने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियां लोकतान्त्रिक मूल्यों पर चलती हैं और कांग्रेस पार्टी में लोकतान्त्रिक तरीके से चुनाव करवाकर पार्टी को मजबूत बनाना चाहिए।
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पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का क़द्र-
उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं की भी बात की। उन्होंने कहा कि हम हर जगह चुनाव हार रहे हैं ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का क्या होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं को कितना बुरा लगता होगा जब उनकी पार्टी एक के बाद एक चुनाव हार रही है।
चुनाव रणनीति-
उन्होंने पार्टी के चुनाव रणनीति की भी आलोचना की उन्होंने कहा कि अगर पार्टी चाहती तो मुझे स्टार प्रचारक बनाकर बिहार चुनाव में भेज सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसका परिणाम हमने बिहार में देखा है।
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