शिवसेना नेता संजय राउत और कंगना का ट्विटर विवाद अब बदले की भावना तक पहुंच गया है। संजय राउत द्वारा कंगना को मुंबई ना आने देने की चेतावनी देने के बाद कंगना ने भी मुंबई आने की धमकी दी और उन्होंने पब्लिकली ऐलान किया कि मैं 9 सितम्बर को मुंबई आऊंगी जिसको जो उखाड़ना है उखाड़ ले।
इसके बाद इस विवाद में उनके जान पर खतरा बढ़ते देख उन्होंने सरकारी सुरक्षा की मांग की और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उन्हें वाई+ श्रेणी की सुरक्षा भी मुहैया करा दी गई लेकिन अब बीएमसी, कंगना के ऑफिस “मणिकर्णिका फिल्म्स” पर छापा मार ऑफिस के स्ट्रक्चर और कागजात की जांच कर रही है जो निश्चित तौर पर इस विवाद से संबंधित हो सकता है। इस जांच की सूचना स्वयं कंगना रनौत ने ट्विटर पर ट्वीट कर दी है।
कंगना ने ट्वीट किया कि बीएमसी के अधिकारी ऑफिस में जगह जगह नापजोख कर रहे है। उन्होने ट्वीट कर बताया कि अधिकारी मेरे पड़ोसियों को भी परेशान कर रहे हैं और कह रहें है कि “वो जो मैडम है उसकी करतूत का परिणाम सबको भुगतना पड़ेगा।”
कंगना ने एक साथ कई ट्वीट किए। उन्होने एक ट्वीट में अपने ऑफिस का वीडियो जारी कर कहा कि “यह ऑफिस मेरे 15 सालों के मेहनत का परिणाम है। मेरा एक ही सपना था कि मैं जब भी फिल्म निर्माता बनूं, मेरा खुद का ऑफिस हो मगर लगता है ये सपना टूटने का वक्त आ गया है। आज अचानक वहां बीएमसी के कुछ अधिकारी पहुंचे।”
उन्होने अपने अगले ट्वीट में लिखा कि “मेरे पास सभी कागजात हैं, बीएमसी के परमिशन हैं, मेरे प्रॉपर्टी में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है। बीएमसी को एक स्ट्रक्चर प्लान भेजकर अवैध नोटिस दिखाना चाहिए। आज उन लोगों ने बिना नोटिस मेरे ऑफिस पर रेड किया है और कल को पूरा ऑफिस गिरा देंगे।”
अब सवाल यह उठता है कि क्या यदि कोई व्यक्ति अपने अभिव्यक्ति की आजादी के अन्तर्गत अपनी बात रखता है और किसी भी सरकार या सरकारी मुलाजिम के खिलाफ बोलता है तो क्या वह या उसकी प्रॉपर्टी जांच के घेरे में आ जाएगी। क्या सरकारी एजेंसियों के द्वारा सरकार अपना व्यक्तिगत बदला लेने का प्रयास कर रही है या कुछ और?
यदि वाकई सरकार या सरकार एजेंसियां नियम के अनुसार कर्यवाई कर रहीं है तो यह कार्यवाई उसी समय क्यूं होती है जब कोई व्यक्ति उनके खिलाफ आवाज उठाता है। यह पूरी तरह अपनी शक्ति का अवैध आजमाइश है और कुछ नहीं।