यह दुनिया विविधताओं से भरी पड़ी है। आपको दुनिया के हर एक कोने में कुछ ना कुछ ऐसा मिल ही जाएगा जो असामान्य होगा। जिसके बारे में एक बार सुनने के बाद आपकी भौंहे आश्चर्य से खड़ी हो जायेंगी और एक बार पूछ बैठेंगे ‘सही में ऐसा है क्या?’ इस तरह की असामान्य-सी अजीबो-गरीब चीजें आपके आस-पास भी बहुत अधिक उपलब्ध हैं लेकिन शायद उनके बारे में अभी तक आपको पता नहीं है। चलिए आज बात करते हैं ऐसे ही एक बेहद असामान्य कुंड (Pond) के बारे में जिसका सीधा सम्बन्ध भारतीय पौराणिक इतिहास से है।
भीमकुण्ड:
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बजना गाँव के पास एक पौराणिक कुंड है। इस कुंड का नाम भीमकुण्ड है। भीमकुण्ड का अर्थ होता है भीम का कुंड अर्थात इस कुंड का सम्बन्ध भीम से है। भीम का सम्बन्ध आज से करीब 5000 वर्ष पुरानी गाथा महाभारत से है। महाभारत कहानी में वर्णित पांच पांडवों में से एक भीम सबसे शक्तिशाली थे और उन्ही के नाम पर इस कुंड का नाम “भीमकुण्ड” पड़ा है।
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आखिर क्यों इसका नाम “भीमकुण्ड” है?
भीमकुण्ड का नाम क्यों भीमकुण्ड है? यह प्रश्न उठना लाजिमी है। दरअसल महाभारत काल में जब पांचो पांडव कौरव के साथ पासे के खेल में अपने राज-पाट गँवा कर जंगलों में भटकने के लिए मजबूर हो गए थे। तब जंगल में भटकते-भटकते एक बार पांडव पत्नी द्रौपदी को बहुत तेज प्यास लगी। चूंकि उस समय आस-पास कोई सरोवर नहीं दिखा तो भीम ने गुस्से में पृथ्वी पर अपने गदे से प्रहार किया। भीम के गदे के प्रहार से वहां एक जलधारा फूट पड़ी जिसका पानी पीकर द्रौपदी ने अपनी प्यास बुझाई। यही जलधारा धीरे-धीरे कुंड के रूप में परिवर्तित हो गया और इसे भीमकुण्ड कहा जाने लगा।
क्या है भीमकुण्ड की विशेषता:
भीमकुण्ड की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका सम्बन्ध भारतीय पौराणिक इतिहास से है लेकिन इसके साथ-साथ और भी कई विशेषताएं ऐसी हैं जो इसे अत्यंत खास बनाती हैं। इस कुंड का जल पूरी तरह पारदर्शी है। यह इतना पारदर्शी है कि इस कुंड में विचरित मछलियां आपको साफ़-साफ़ दिख जाएंगी। कहा जाता है कि इस कुंड के कुछ बूँद पानी पीने मात्र से लोगों की प्यास बुझ जाती है। इस कुंड के जल को अत्यंत शुद्ध माना जाता है।
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भीमकुण्ड की गहराई:
भीमकुण्ड वैसे तो एक छोटे से गुफा के मुहाने पर ही स्थित है और ऊपर से देखने पर इसका आकार बहुत बड़ा भी नहीं दिखता है परन्तु इसकी गहराई का अंदाजा आज तक नहीं लग पाया है। कहा जाता है कि कई बार प्रयास किया गया परन्तु किसी को भी आज तक इसमें सफलता नहीं मिली है कि इसकी गहराई कितनी है तथा इसमें इतना पारदर्शी और शुद्ध जल आता कहाँ से है। इन सभी तथ्यों का राज अभी तक खुल नहीं पाया है।
नारद मुनि से इसका सम्बन्ध:
इस कुंड के सम्बन्ध में एक और कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार नारद मुनि ने भगवान् विष्णु को प्रश्न करने के लिए गन्धर्व गान का अलाप किया था जिससे खुश होकर भगवान् विष्णु इसी कुंड से निकलकर नारद मुनि के समक्ष प्रकट हुए थे। चूंकि भगवान् विष्णु की काया का रंग नीला है अतः इस कुंड के जल का रंग भी नीला हो गया। भीमकुण्ड के बारे में चाहे जितनी भी कहानियां प्रचलित हों लेकिन यह आज भी लोगों और दुनिया के लिए एक अनसुलझी पहेली की तरह है। यह उस क्षेत्र में लोगों के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। यहाँ देश-दुनिया से लोग इसके दर्शन हेतु आते हैं।
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