हम सभी बचपन से ही जम्मू कश्मीर के बारे में सुनते आ रहे हैं कि जम्मू कश्मीर भारत का स्वर्ग है, यहाँ की वादियाँ बहुत ही खूबसूरत हैं, यहाँ जो घूम आया समझो स्वर्ग देख लिया, स्वर्ग देखना है तो कश्मीर जाओ और पता नही क्या-क्या। लेकिन क्या आपको पता है कि यदि आप जम्मू और कश्मीर में स्वर्ग की अनुभूति लेने के लिए जाना चाह रहे हैं तो आपको इस स्वर्ग से सुन्दर धरा पर और भी कई अत्यंत खूबसूरत चीजों के दर्शन होंगे जिन्हें देखकर आप मन ही मन प्रसन्नचित होंगे। आपकी कश्मीर यात्रा में अन्य खूबसूरत चीजों के साथ कई मनमोहक झील भी देखने को मिलेंगे जिनमे से एक है वुलर झील जिसके बारे में आज हम चर्चा करने जा रहे हैं।
वुलर झील कहाँ स्थित है?
हम अपने विद्यार्थी जीवन में अवश्य वुलर झील के बारे में कुछ ना कुछ पढ़े ही होंगे, जैसे वुलर झील कहाँ स्थित है? या ताजे-पानी की वुलर झील कहाँ स्थित है, वुलर झील जम्मू और कश्मीर के किस जिले में स्थित है इत्यादि। दरअसल वुलर झील जम्मू और कश्मीर राज्य की राजधानी श्रीनगर से 40 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में बांदीपोरा जिले में स्थित है। यह झील बांदीपोरा नगर के पास ही स्थित है।
वुलर झील क्यूँ प्रसिद्ध है?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वुलर झील इतना प्रसिद्ध क्यूँ है? तो इसके उत्तर में कई तथ्य शामिल है जैसे यह भारत ही नही बल्कि एशिया के सबसे बड़े ताजे-पानी के झीलों में से एक है। अपनी विशेषता के कारण यह झील प्रतिवर्ष हजारो-लाखों पर्यटकों को दुनिया भर से खींच कर अपने क़दमों में ला खड़ा कर देता है। यह झील कश्मीर घाटी के 60 प्रतिशत से अधिक मछलियों की आवश्यकताओं की पूर्ती करता है।
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वुलर झील की उत्पत्ति:
इस झील की उत्पत्ति टेक्टॉनिक गतिविधियों के फलस्वरूप हुई है। यह झील लगभग 30 से 189 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। मौसम के अनुसार इसके क्षेत्रफल में बदलाव होता रहता है। इस झील के जल का मुख्य स्रोत झेलम नदी है। इस झील की अधिकतम लम्बाई 16 किलोमीटर अधिकतम चौड़ाई 9.6 किलोमीटर तथा अधिकतम गहराई 15 मीटर तक है।
वुलर झील का नामकरण:
दरअसल इस झील की विशालता और अथाह जल संग्रह क्षमता के कारण प्राचीन समय में इसे महापदम्-सर के नाम से जाना जाता था। चूंकि इस झील का क्षेत्रफल बहुत अधिक था और इसमें अथाह जल समाहित था इसीलिए इसमें अक्सर पानी की लहरें उठा करती थीं जिन्हे संस्कृत भाषा में ‘उल्लोला’ कहा जाता था। यह उल्लोला शब्द धीरे-धीरे अपभ्रंश होते-होते वुलर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। कुछ लोग इसे वुल्लर झील के नाम से भी बुलाते हैं।
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वुलर झील से जुड़ा तथ्य:
ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार जहाँ वुलर झील अवस्थित है, उसी क्षेत्र में पहले एक राजा हुआ करता था जिसका नाम था राजा सुदर्शन था। राजा सुदर्शन क्रूर प्रवृति का व्यक्ति था। धीरे-धीरे जब उसकी क्रूरता बढ़ती गई तब एक दिन इस झील में एक सैलाब आया और राजा सुदर्शन के राज-पाट सहित उसे डूबा दिया जिससे उसका अध्याय हमेशा-हमेशा के लिया समाप्त हो गया।
ऐसा माना जाता है कि सर्दियों के मौसम में जब वुलर झील में पानी की मात्रा कम होता था तो राजा सुदर्शन के राज-पाट के अवशेष दिखाई देते थे। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के समय कश्मीर के राजा रहे जैनुल-आब्दीन ने उसी अवशेष पर एक नया निर्माण करवा कर वहां मस्जिद सहित अन्य इमारतों का निर्माण करवा दिया जिसे कि लंका के नाम से जाना जाता है। अतः इस झील के बीच में बने इस स्थल को जैना-लंका के नाम से जाना जाता है।
पर्यटन:
पर्यटन की दृष्टि से भी वुलर झील जम्मू और कश्मीर राज्य में एक अत्यंत विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ भारत सहित विदेशों से भी भारी संख्या में पर्यटक वर्ष भर पहुँचते रहते हैं। यहाँ पर जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा बोटिंग, वाटर स्पोर्ट्स, वाटर स्कीइंग इत्यादि की व्यवस्था की गई है।
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