यह पृथ्वी अनेक प्रकार के विविधताओं से भरी पड़ी है और यहाँ हमे दिखाई देनी वाली प्रत्येक प्राकृतिक संरचना जैसे नदी, पहाड़, झील, झरने इत्यादि का निर्माण कभी न कभी किसी भौगोलिक घटना के कारण ही हुआ है। किसी संरचना का निर्माण किसी भीषण भूकंप के उपरांत हुआ है तो किसी का निर्माण टेक्टॉनिक प्लेटों के आपस में टकराने से हुआ है। फलतः आज हमे पृथ्वी का यह स्वरुप दिखाई दे रहा है।
ठीक इसी प्रकार हम आज बात करेंगे भारत के महाराष्ट्र राज्य के बुलढाणा जिले में स्थित एक मशहूर झील ‘लोनार झील’ के बारे में जिसका निर्माण उल्कापिंड के गिरने के कारण हुआ है। उल्कापिंड, क्षुद्रग्रहों का एक छोटा सा हिस्सा होता है जो भौगोलिक घटनाओं के परिणामस्वरूप किसी ग्रह या चन्द्रमा की कक्षा में चला जाता है। लोनार झील उन 4 अन्य क्रेटर (गड्ढों) में से एक है जिनका निर्माण पृथ्वी पर उल्कापिंड के गिरने के कारण हुआ। तीन अन्य क्रेटर दक्षिणी ब्राजील में स्थित हैं।
कब हुआ था लोनार झील का निर्माण:
झील के बारे में किये गए अनेक अध्ययनों के उपरांत यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया कि लोनार झील का निर्माण आज से लगभग 5 लाख वर्ष पहले हुआ होगा। हालांकि पहले किये गए अध्ययनों के अनुसार 50 से 60 हजार वर्ष पहले ही इसके निर्माण की बात कही जाती थी। आई.आई.टी. बॉम्बे द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार लोनार झील में मिलने वाले मिनरल्स और अपोलो प्रोग्राम द्वारा चन्द्रमा से लाये गए नमूनों में पाए गए मिनरल्स में बहुत हद तक समानता है।
लोनार झील का क्षेत्रफल:
लोनार झील की अधिकतम लम्बाई 1800 मीटर तक है तथा इसकी अधिकतम गहराई 137 मीटर तक है। यह झील लगभग गोलाकार आकृति में है अतः इसका व्यास लगभग 1.2 किलोमीटर लम्बा है। यदि इसका कुल क्षेत्रफल देखा जाए तो यह करीब 1.13 वर्ग किलोमीटर के आस-पास है।
झील का पानी:
इस झील का पानी अधिकतर तो नमकीन है परन्तु कहीं-कहीं इसमें ताजा जल भी मिलता है, विशेषतः जहाँ दो छोटे-छोटे झरने पूर्णा और पेनगंगा आकर मिलते हैं।
ऐतिहासिक उल्लेख:
इस झील का उल्लेख भारतीय पौराणिक शास्त्रों जैसे स्कन्द पुराण, पदम् पुराण इत्यादि में भी किया गया है। इस झील के बारे में मुग़लकालीन रचना आइन-ए-अकबरी में भी लिखा गया है और यहाँ जाने वाला पहला यूरोपियन जे.इ. अलेक्जेंडर था जो वर्ष 1823 में पहली बार यहाँ गया था।
झील के पानी का रंग:
सामान्यतः तो इस झील के पानी का रंग हरा होता है परन्तु जून 2020 में इसका रंग दो-तीन दिनों के लिए गुलाबी हो गया था जो कि लोगों के लिए आश्चर्य का विषय था परन्तु एक अध्ययन के उपरांत पता चला कि झील के पानी का अधिकतम वाष्पीकरण होने तथा इसमें नमक की मात्रा अधिक होने के कारण इस रंग गुलाबी हो गया था।
लोनार वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी:
Credit: Wikipedia.
वर्ष 2015 में सरकार द्वारा लोनार झील के आस-पास के 3.83 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल को लोनार वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी घोषित कर दिया गया तथा नवंबर 2020 में इसे ‘रामसर साइट’ का दर्जा मिल गया।