होली का नाम सुनते ही हमारे मन में रंगो से सराबोर होने की ख्वाहिश जगने लगती है और मन जोर-जोर से कहने लगता है कि जाने कब आएगी ये होली ताकि मैं दूसरों को दौड़ा-दौड़ा कर रंग लगा सकूँ, पानी से भिगो सकूँ और साथ ही साथ यह भी चाहूँ कि कोई मुझे भी ऐसे ही रंग लगाए। होली का त्योहार ऐसा होता ही है कि हर कोई इसके रंग में रंग जाना चाहता है। लेकिन क्या आपको पता है कि मणिपुर राज्य में भी एक ऐसा ही त्योहार मनाया जाता है जिसे कि याओसांग फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है।
याओसांग फेस्टिवल (Yaoshang Festival):
याओसांग फेस्टिवल पूर्वोत्तर भारतीय राज्य मणिपुर में मनाया जाता है। यह त्योहार मणिपुरी कैलेंडर के अनुसार ‘लामदा’ महीने अर्थात ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार फ़रवरी से मार्च महीने में मनाया जाता है। मुख्यतः यह त्योहार मणिपुर राज्य के मिताई लोगों के द्वारा ही मनाया जाता है। यह मणिपुर राज्य के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है।
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कैसे मनाया जाता है याओसांग फेस्टिवल (Yaoshang Festival):
यह त्योहार भारत के मुख्य भाग में रहने वाले हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले होली के समान ही है। जिस प्रकार लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर होली त्योहार मनाते हैं उसी प्रकार इस त्योहार में भी लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। यह त्योहार मणिपुरी कैलेंडर के लामदा महीने के पूर्णिमा के रात्रि से शुरू होता है और 5 दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन लोग लकड़ियों से बने अस्थाई झोपड़ी को जलाकर इस त्योहार को मनाना शुरू करते हैं।
इस त्योहार के दूसरे दिन मिताई लोगों द्वारा भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इसके उपरांत छोटी-छोटी लड़कियां अपने रिश्तेदारों के घर जाती हैं और उनसे त्योहारी के रूप में कुछ रूपये-पैसे मांगती हैं जिसे कि नकाथेंग (Nakatheng) कहा जाता है। कुछ लड़कियां रस्सियों से रास्ते घेरकर लोगों से त्योहारी के रूप में नकाथेंग (Nakatheng) वसूलतीं हैं।
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इस त्योहार के चौथे दिन लोग एक-दूसरे को पानी और रंगों से सराबोर करते हैं। इस दिन कई तरह के खेलों का आयोजन किया जाता हैं। सभी लोग इन खेलों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लोग एक-दूसरे को बधाइयाँ देते हैं। इस दिन एक परम्परागत कुश्ती का भी आयोजन किया जाता है जिसे कि स्थानीय भाषा में ‘मुकना’ के नाम से जाना जाता है।
मणिपुर राज्य में यह एक अत्यंत ही लोकप्रिय त्योहार है जो कि सभी मणिपुरी समाज के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करता हैं। पुरे मणिपुरी समाज को अपने इस त्योहार पर अत्यंत ही नाज है। ये लोग इस त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं तथा अपने पड़ोसियों के साथ खाने-पीने की वस्तुओं का वितरण करते हैं।