भारत दुनिया का एकलौता देश हैं जहाँ हज़ारों प्रकार के तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। अगर इस बारे में शोध किया जाए तो वर्ष का शायद ही कोई दिन बचे जिस दिन भारत के किसी ना किसी कोने में कोई त्योहार ना मनाया जा रहा हो। कभी भारत के पूर्वी हिस्से में तो कभी पश्चिमी तो कभी उत्तरी तो कभी दक्षिणी हिस्से में कोई ना कोई त्योहार जरूर मनाया ही जाता है। हम भारतीय लोगों के जीवन में त्योहारों का बहुत ही खास स्थान होता है।
हम भारतीय अपने जीवन में इतने व्यस्त रहते हुए भी इन त्योहारों के लिए समय निकाल ही लेते हैं और इन्ही तीज-त्योहारों के बहाने अपने रिश्तेदारों, जान-पहचान के लोगों को या तो मिलने के लिए अपने घर बुला लेते हैं या उनके घर चले जाते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसे ही एक मणिपुरी त्योहार के बारे में जिसमे माँ-बाप अपनी शादी-सुदा बेटियों को अपने घर आने का न्योता देकर सम्मानपूर्वक उनका स्वागत करते हैं। इस त्योहार को मणिपुर में ‘निंगोल चैकोबा’ के नाम से जाना जाता है।
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निंगोल चैकोबा (Ningol Chakouba):
यह मणिपुरी त्योहार पूर्णतः शादी-सुदा बेटियों को समर्पित होता है। यह त्योहार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने के पूर्णिमा के दूसरे दिन मनाया जाता है जबकि मणिपुरी कैलेंडर के अनुसार यह हियंगाई महीने के पूर्णिमा के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन शादी-सुदा महिलाएं अपने बच्चों के साथ अपने माता-पिता के घर जाती हैं। जहाँ उनका भव्य स्वागत किया जाता है।
बेटियों के स्वागत और सम्मान के लिए घर में इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन बनाए गए पकवानों को ही स्थानीय भाषा में ‘चैकोबा’ के नाम से जाना जाता है। बड़े ही प्यार-दुलार से बेटियों के समक्ष यह भोजन परोसा जाता है। बेटियां भी बड़े ही शौक से ‘चैकोबा’ का आनंद उठाती हैं और इस त्योहार के बहाने अपने घर-परिवार के लोगों से मिलकर अत्यंत खुश होती हैं। सुबह आईं बेटियों की विदाई शाम को ढेर सारे उपहारों के साथ की जाती हैं। उनके मायके के लगभग सभी बड़े-बुजुर्ग उन्हें कोई ना कोई उपहार अवश्य देते हैं। बेटियां भी उनके लिए उपहार लेकर आती हैं।
सर्व सामाजिक त्योहार:
वैसे तो यह त्योहार मणिपुर के सभी समुदायों, जनजातियों इत्यादि के द्वारा मनाया जाता है लेकिन धीरे-धीरे यह त्योहार धार्मिक बेड़ियों को तोड़ते हुए इतना प्रचलित हो गया है कि दूसरे धर्म के लोग भी इस त्योहार को मनाने लगे हैं। यह त्योहार अब एक सर्व धार्मिक त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा है।
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