हम अपने जीवन में अपने सभी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। हमारी कुछ जरूरते ऐसी होती हैं जिन्हे हम आसानी से खरीद कर पूरा कर सकते हैं तथा कुछ जरूरते ऐसी होती हैं जिन्हे हमे खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है बल्कि हम उसे किराये पर लेकर अपना काम पूरा करते हैं और फिर वापस कर देते हैं जैसे कि शादी में कार, टेंट, कैटरिंग आइटम्स इत्यादि। लेकिन अब आप यह जानकर चौंक जायेंगे कि शादी में कार, टेंट और कैटरिंग आइटम्स के अलावा बीबी को भी किराये पर लिया जा सकता है।
किराये पर बीबियां:
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यह भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिए चौंकाने वाली बात हो सकती है लेकिन भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में रहने वाले लोगों के लिए यह बेहद आम बात है। दरअसल शिवपुरी जिले में वैसे लोग जिन्हे कुछ दिनों, महीनों या कुछ सालों के लिए बीबी की आवश्यकता होती है वे किराये पर बीबियां रख सकते हैं। शिवपुरी जिले में विद्यमान इस प्रथा को धाड़ीचा प्रथा के नाम से जाना जाता है।
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कैसे मिलती हैं ये बीबियां:
शिवपुरी जिले में महिला-पुरुष लिंगानुपात बहुत कम है अर्थात 1000 पुरुषों पर लगभग 887 महिलाएं हैं। अब इस क्षेत्र के जिन व्यक्तियों की शादी समय पर किन्ही कारणों से नहीं हो पाती और वे पत्नी सुख का आनंद लेना चाहते हैं तो उनके पास यही रास्ता बचता है कि इस क्षेत्र में पहले से मौजूद दलालों के माध्यम से महिलाओं या लड़कियों को किराये पर पत्नी के रूप हासिल कर सकें।
किस आधार पर आती हैं ये बीबियां:
जरूरतमंद व्यक्ति दलाल के माध्यम से वैसी महिला या लड़की के परिवार वालों से संपर्क करता है जो अपने घर की बेटियों या महिलाओं को किराये पर देने के लिए तैयार होता है। फिर दोनों पक्षों में 10 रूपये से लेकर 100 रूपये तक के स्टाम्प पेपर पर इकरारनामा किया जाता है कि किस दर और कितने दिनों के लिए महिला उस पुरुष के साथ जा रही है। स्टाम्प पेपर पर किये गए इकरारनामे के पूरा होता ही वह महिला अपने घर वापस आ जाती है और फिर किसी और के साथ उसका इकरारनामा कर दिया जाता है जहाँ वह फिर चली जाती है।
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महिला अधिकार का हनन:
भले ही पूरी दुनिया अत्यंत आधुनिक समाज में जी रही हैं जहाँ लोगों को स्वतंत्रता पूर्वक अपनी बात कहने से लेकर अपने अधिकार लेने का हक़ है लेकिन इसके विपरीत इस क्षेत्र में महिलाओं को किसी भी रूप में ना ही कोई अधिकार मिला है और ना ही कोई हक़। यहाँ की महिलाएं और लड़कियां वही करने को मजबूर हैं जो उनके परिवार वाले चाहते हैं। उन्हें अपने परिवार वालों के अनुसार बताये गए व्यक्ति के साथ जीवन गुजारने के अलावा कुछ नहीं मिलता।
महिलाओं की स्थिति:
चूंकि यह प्रथा पूरी तरह पुरुष समाज के पक्ष में कार्यरत है तथा पुरुष वर्ग ही इसे अपने आवश्यकता अनुरूप चला रहे हैं। जिस कारण इसमें महिलाओं की स्थिति अत्यंत बद्तर होती है। जो व्यक्ति कुछ धन देकर किसी महिला को किराये पर ले जाता है वह उसके साथ अपनी सभी जरूरतों को पूरा करता है और उसके साथ अत्यंत क्रूर व्यवहार करता है। उसे इस बात का भान होता है कि उसने इस महिला के एवज में धन दिया है अतः वह चाहे जिस तरह उसका उपयोग कर सकता है।
धाड़ीचा प्रथा की वर्तमान स्थिति:
यह प्रथा कई दशकों से इस क्षेत्र में विद्यमान है और अभी चल रहा है। यह प्रथा अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है क्यूंकि इस प्रथा में शामिल दोनों ही पक्ष को लाभ मिलता है अतः कोई भी व्यक्ति किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं करने जाता और पीड़ित महिला को इतना अधिकार नहीं मिलता कि वह कानून के सामने अपनी आवाज उठा सके। यह प्रथा अभी भी खूब प्रचलित है।
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