यह पूरी दुनिया बहुत ही विचित्र रूप से गढ़ी गई है। पृथ्वी के प्रत्येक हिस्से में कुछ न कुछ ऐसा होता है जो लोगों को अचरज में डाल देता है और लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। आज हम बात करेंगे ऐसे ही विचित्र शिव मंदिर की जो एक दिन में दो बार गायब हो जाता है। अब यह वाक्य पढ़कर आप सोचेंगे कि ऐसा नहीं हो सकता है कि कोई मंदिर गायब हो जाए। आप बिलकुल ठीक सोचेंगे। चलिए बताते हैं इस मंदिर के गायब होने के पीछे की पूरी कहानी।
स्तंभेश्वर मंदिर:
गुजरात राज्य के वडोदरा जिले के अंतर्गत जम्बूसर तहसील में स्थित कावी कम्बोई गाँव के पास समुद्र तट की किनारे भगवान् शिव का एक अतिप्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर पुरे गुजरात सहित देश के लोगों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है। इस मंदिर के प्रति लोगों के मन में इसलिए भी ज्यादा उत्साह रहता है क्यूंकि यह मंदिर दिन में दो बार अदृश्य हो जाता है। यहाँ एक बड़ा मेला भी लगता है और सैकड़ों-हज़ारों श्रद्धालु रोज भगवान् शिव के दर्शन के लिए भी आते हैं।
भगवान् कार्तिकेय ने इसका निर्माण करवाया:
स्थानीय लोककथा के अनुसार भगवान् कार्तिकेय ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। दरअसल एक बार ताड़कासुर नामक एक राक्षस बड़े मन से भगवान् शिव की आराधना करने लगा। उसकी अराधना-भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिया और उससे कोई वरदान मांगने के लिए कहा। राक्षस ने मौका देखकर भगवान शिव से कहा कि ‘वह चाहता है कि उसकी मृत्यु सिर्फ आपके ही किसी पुत्र के द्वारा हो लेकिन उसकी भी आयु 6 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। भगवान् शिव ने उसे यह वरदान दे दिया।
इसके उपरांत ताड़कसुर पूरी दुनिया में आतंक मचाना शुरू कर दिया और ऋषि-मुनियों को भी प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। अतः इस परिस्थिति को देखते हुए भगवान् शिव के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ जिनकी 4 आँखे, 6 मस्तिष्क और 12 हाथ थे। कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध किया और दुनिया को उससे मुक्ति मिली। ताड़कासुर के वध करने के पश्चात कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान् शिव का बहुत बड़ा भक्त था। तब उन्हें बहुत अधिक ग्लानि हुई। अतः उन्होंने ताड़कासुर के वध किये गए स्थान पर ही इस मंदिर का निर्माण करवाया जिसे आज स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
मंदिर के गायब होने का कारण:
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इस मंदिर के गायब होने का कारण कोई बहुत बड़ा चमत्कार नहीं बल्कि विज्ञान है। दरअसल यह मंदिर अरब सागर के कैम्बे तट से लगा हुआ है और जैसा कि सभी समुद्र में प्रत्येक दिन ज्वार-भाटा आते रहते है वैसे ही यहाँ पर भी जब ज्वार आता है तो यह मंदिर पूरी तरह से समुद्र की पानी में समा जाता है और ज्वार के चले जाने के बाद फिर से वापस दिखाई देने लगता है जिसे सामान्यतः लोग मंदिर का गायब हो जाना कहते हैं।
वैसे इस मंदिर के गायब होने के पीछे का कारण जो भी हो लेकिन है ये बहुत ही अद्भुत जिसे प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहेंगा।