“मैं ना ही किसी से प्रेम करता हूँ और ना ही किसी से घृणा, किन्तु जो व्यक्ति मेरे प्रति भक्तिमय होता है उसके साथ मैं हूँ और वह मेरे साथ है। इस दुनिया में जो व्यक्ति अपने कार्य की सफलता की कामना करते हैं, मैं उन्हें सफल बनाने में अवश्य मदद करता हूँ। मैं ऊर्जा देता हूँ, मैं वर्षा देता हूँ और मैं उसे रोकता भी हूँ। मैं अमर भी हूँ और मैं मृत्यु भी हूँ।”
यह कथन मेरे नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण के हैं जिन्हे यह पूरी दुनिया बड़े श्रद्धा भाव से पूजती हैं और उनके समक्ष अपने सफलता की कामना करती है। भगवान् श्री कृष्ण को मुख्यतः हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) के लोग बड़े मनोभाव के साथ पूजते हैं और उनके प्रति अपने मन में आदरभाव रखते हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण का जन्म पृथ्वी पर आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व वर्तमान उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था। भगवान् श्री कृष्ण के जन्मदिवस को पूरी दुनिया में सनातन धर्म में विश्वास करने वाले लोगों के द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी की रूप में मनाया जाता है।
कब मनाया जाता है श्री कृष्णा जन्माष्टमी:
Raja Ravi Varma (1848 – 1906) – Maharani Prince, H.H. The Maharaja of Travancore, Kaudiar Palace, Thiruvananthapuram
श्री कृष्ण जन्माष्टमी प्रत्येक वर्ष हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन मनाया जाता है। हिन्दू वैदिक पुराणों के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण का जन्म इसी दिन के मध्य रात्रि को हुआ था। भगवान् श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा और उनके मामा कंश के कारावास में हुआ था। दरअसल कंश ने भगवान् श्री कृष्ण की माता देवकी और पिता वासुदेव को बंदी बनाकर कारावास में रखा था क्यूंकि उसे भविष्यवाणी में इस बात का ज्ञान हुआ था कि देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र श्री कृष्ण के द्वारा ही उसका वध किया जाएगा। भगवान् श्री कृष्ण के जन्म के उपरांत उनके पिता वासुदेव ने उन्हें वृन्दावन में यशोदा जी के पास ले जाकर सौंप दिया था जहाँ श्री कृष्ण जी का पूरा बचपन बीता था।
भारत में श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव:
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भारत के लगभग प्रत्येक भाग में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर देश के अलग-अलग भागों में अलग-अलग प्रकार से उत्सवों का आयोजन किया जाता है। देश के अलग-अलग कॉलेजों, प्रतिष्ठानों, विद्यालयों इत्यादि में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर रास-लीला का मंचन भी किया जाता है।
उत्तर भारत श्री कृष्णा जन्माष्टमी:
उत्तर भारत में श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का अलग ही रूप दिखाई पड़ता है। इस दिन सभी घरों के युवक-युवतियां भगवान श्री कृष्ण के प्रति आदरस्वरूप एक दिन का व्रत रखते हैं और शाम से रात्रि में भगवान् के जन्म के समय तक हर्षोउल्लास के साथ भजन-कीर्तन किया जाता है। चूंकि उत्तर भारत में मथुरा भगवान् की जन्मस्थली है इसलिए यहाँ जश्न का माहौल भी अपने चरम पर होता है।
महाराष्ट्र की दही-हांडी उत्सव:
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महाराष्ट्र के अलग-अलग क्षेत्रों में दही-हांडी का आयोजन किया जाता है जिसमे सैकड़ों-हजारों लोगों की भीड़ इकठ्ठा होती है और दही-हांडी का जश्न मनाया जाता है। दही-हांडी कार्यक्रम में एक ऊँचे स्थान पर एक लम्बी रस्सी के सहारे एक मिट्टी की हांडी बांध दी जाती है जिसमे दही और मक्खन रखा होता है। युवको या युवतियों की एक टोली एक के ऊपर एक खड़े होकर इस हांडी तक पहुँचने का प्रयास करते हैं और इसे तोड़कर उसमे रखी दही खाकर जश्न मनाते हैं।
गुजरात का श्री कृष्ण जन्माष्टमी:
गुजरात के द्वारका में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी राजधानी बनाई थी जिसे द्वारकाधीश के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अब ये राज्य समुद्र में समा गया है लेकिन अभी भी उसकी महत्ता कम नहीं हुई है। अतः यहाँ भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
दक्षिण भारतीय श्री कृष्ण जन्माष्टमी:
दक्षिण भारत के अनेक राज्यों में अलग-अलग तरह से श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। तमिलनाडु, आंध्र-प्रदेश, केरल इत्यादि राज्यों में इस दिन लोग व्रत रहते हैं, चौक पुरते हैं और भगवान् के जन्म का उत्सव मनाते हैं।
उत्तरी-पूर्वी राज्यों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी:
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम और मणिपुर में भी यह उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इन राज्यों के वैष्णव धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों द्वारा विशेषतः इस पर्व का आयोजन किया जाता है। इस पर्व पर वहां क्षेत्रीय नृत्य-कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
अन्य देशों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी:
दुनिया के अन्य देशों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन: भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मॉरीशस, फिजी, अमेरिका, ब्रिटेन सहित अन्य कई देशों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन किया जाता है।