यह पूरी दुनिया एक नियम, एक कानून और एक सिस्टम से चलती है। दुनिया में अनेक देश हैं और सभी देशों के अपने अपने नियम कानून हैं। कुछ देश और उनकी संस्था नियमों का पालन करने में सर्वश्रेष्ठ है लेकिन वहीं कुछ देश और उनकी संस्थाएं नियमों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। इसका ताजा उदाहरण मिला इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के मार्चुरी (मुर्दाघर) से जिसे सुनकर आप सुन्न पड़ जाएंगे।
दरअसल इंदौर के सबसे बड़े अस्पताल एम.वाई. चिकित्सालय के लापरवाही का पोल उस समय खुला जब चिकित्सालय के मुर्दाघर से लाश से कंकाल में तब्दील हुए हड्डियों का जखीरा बरामद हुआ। ये लाशें यहां लगभग 15 दिन या एक महीने से पड़ीं थीं जिनपर ध्यान ना देने के कारण ये रखे रखे कंकाल में तब्दील हो गईं। अब जब इस बारे में अस्पताल प्रबंधन से बात की गई तो उन्होंने बस इतना कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि इस लापरवाही के लिए कैजूअल्टी इंचार्ज को नोटिस दिया गया है। अब तक ये भी कन्फर्म नहीं हो पाया है कि आखिर ये लाशें किसकी थीं।
दरअसल इंदौर में किसी लावारिस लाश या किसी दुर्घटना स्थल से बरामद लाश को इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम.वाई. चिकित्सालय में पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाता है। अब यदि लाश के जान पहचान का कोई मिलता है तो पोस्टमार्टम के बाद लाश उसके हवाले कर दी जाती है और यदि लाश लावारिस होती है तो पोस्टमार्टम कर उसे एक सप्ताह तक रखने के बाद नगर निगम को सौंप दिया जाता है जिनके द्वारा उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।
अब जब अस्पताल को इन लाशों के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो इनके बारे क्या कहा जा सकता है कि ये लाशें लावारिस थी या इनका कोई वारिस अभी भी इनका इंतजार कर रहा है और यदि इनका कोई वारिस मिला और उसे उसके परिजन के शव के जगह पर हड्डियों का बोझा पकड़ा दिया जाएगा तो उस पर क्या गुजरेगी? सवाल बड़ा है लेकिन इसका कोई जवाब अस्पताल प्रशासन के पास नहीं है।