जब से केंद्र सरकार ने नए कृषि सुधार बिलों को पास किया है तभी से किसानों द्वारा इसका भरपूर विरोध किया जा रहा है। इस विरोध में अग्रणी भूमिका पंजाब और हरियाणा के किसान निभा रहे हैं। नए कृषि सुधार बिलों पर सरकार और किसानो में मतभेद बहुत बड़ा है। किसानों के चौतरफा प्रदर्शन को देखते हुए सरकार किसान संगठनों से बातचीत के लिए तैयार हो गई है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या इन दोनों पक्षों के सभी मतभेद एक ही बैठक में समाप्त हो जायेंगे?
सरकार ने अपने नए कृषि सुधार बिलों में एमएसपी सहित किसान मंडियों को समाप्त करने की बात कही थी। लेकिन किसान सरकार के इस नियम से संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है कि सरकार यदि एमएसपी को समाप्त कर देगी तो हमारे उत्पादों को बड़े व्यापारी अपने मनमानी रेट पर खरीदने के लिए दबाब बनाएंगे जो कि हमारे हक़ और मेहनत के खिलाफ होगा।
मंडियों को समाप्त करने के मुद्दे पर भी किसान सरकार से असंतुष्ट हैं। एक तरफ किसान इन बिलों को अपने लिए हानिकारक बता रहें हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार हर मंच पर इन बिलों के अच्छाइयों को बताने में लगी है ऐसे में दोनों पक्षों में भारी विरोधाभाष है।
अब देखने वाली बात यह है कि क्या एक बैठक में दोनों ही पक्षों का मतभेद ख़त्म हो जायेगा या यह एक लम्बा समय लेगा। हालांकि किसान इस बार पूरी तैयारी के साथ आएं हैं और उनका कहना है कि चाहे हमे यहाँ झोपड़ी बनाकर रहना पड़े कोई फर्क नहीं पड़ता, हम रहेंगे लेकिन खाली हाथ लौटेंगे।