भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के महान संगीतकार ए.आर. रहमान ने हाल ही में बताया कि उन्हें क्यों नहीं बड़ी और अच्छी फ़िल्में मिल रहीं है। ए.आर. रहमान का भारत के बड़े संगीतकारों में बड़ा कद है। उन्होंने ना केवल बॉलीवुड बल्कि साउथ इंडियन फिल्मों में भी अपना बड़ा नाम किया है। उनके अच्छे काम के बदौलत ही उन्हें 2009 में उनकी फिल्म Slumdog Millionaire के लिए Broadcast Film Critics Association Award, Golden Globe Award for Best Original Score, BAFTA Award for Best Film Music, Academy Awards (Best Original Score) और Best Original Song सहित अन्य अवार्ड्स मिले थे।
ए.आर. रहमान के इतने बड़े उपलब्धियों के बावजूद भी उन्हें बॉलीवुड की बड़ी और अच्छी फ़िल्में क्यों नहीं मिल रहीं हैं यह बड़ा सवाल है। इन सवालों का जबाब खुद उन्होंने ही दिया। ए.आर. रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया कि सुशांत सिंह राजपूत की नई फिल्म Dil Bechara के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा जब उनके पास अपने फिल्म के गानों के लिए आये तो उन्होंने उनके गानों को दो दिन में पूरा कर दे दिया तब मुकेश छाबड़ा ने उन्हें बताया कि इंडस्ट्री के बहुत सारे लोग आपके पास आने से मना कर रहे थे लेकिन उसके बावजूद मुकेश छाबड़ा अपनी फिल्म के गानों के लिए रहमान से संपर्क किये।
ए.आर. रहमान ने आगे बताया कि बॉलीवुड में उनके खिलाफ गुटबंदी हो रही है और अच्छी फ़िल्में उनके पास आने से रोकने का पूरा प्रयास किया जा रहा है जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों से मुझे बस डार्क फ़िल्में ही मिल रहीं हैं। रहमान के इस आरोप से बॉलीवुड में छिपी गुटबंदी अब लोगों के सामने आ रही हैं जिससे कहीं ना कहीं नए टैलेंट को मौका मिलना मुश्किल हो रहा है और Struggling Stars के Suicide की ख़बरें सबके सामने आ रहीं हैं।
Receiving Award in 1992 |
ए.आर. रहमान के filmy Career की बात करें तो साल 1992 में आई निर्देशक मणिरत्नम की फिल्म “Roja” से इन्होनें डेब्यू किया था। इस फिल्म के लिए साल 1992 का National Film Awards (Silver Lotus) award for best music director इन्हें मिला। Ram Gopal Varma के निर्देशन में बनी फिल्म Rangeela इनकी पहली Bollywood फिल्म थी। फिल्म Dil se और Taal में भी इन्होने अपने संगीत का जादू बिखेरा। इनके संगीत निर्देशन में “छैया-छैया” गीत भी बहुत अधिक लोकप्रिय रहा।
अनेक उपलब्धियों के बावजूद भी ए.आर. रहमान को क्यों गुटबंदी का शिकार होना पड़ रहा है यह एक बड़ा सवाल है और एक-एक करके बॉलीवुड पर लग रहे गुटबंदी और भाई भतीजावाद (Nepotism) के दाग कहीं बॉलीवुड के दामन को ही दागदार ना बना दें।